मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

साबर लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग


साबर लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग



          पंच दिवसीय दीपावली महापर्व निकट ही है। इसका आरम्भ ५ नवम्बर २०१८ से हो रहा है और इसका समापन ९ नवम्बर २०१८ को होगा। आप सभी को दीपावली महापर्व की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

          धर्म जीवन का आधार है, लेकिन धर्म से जीवन जीने के लिए प्रधान आवश्यकता अर्थ की रहती है और इसीलिए इसे दूसरा पुरुषार्थ कहा गया है। जीवन प्राप्त हुआ है तो धर्म के साथ जीवन जीते हुए अर्थ की प्राप्ति की जाए, उससे जीवन चलाया जाए, तभी जीवन का तीसरा और चौथा पुरुषार्थ काम और मोक्ष सफल हो सकते हैं।

          सामान्य रूप से अर्थ का तात्पर्य धन अर्थात रुपया, पैसा मान लिया गया है, जबकि यह अपने आप में एक अत्यन्त सीमित अर्थ है। केवल रुपये, पैसे इत्यादि से जीवन चल ही नहीं सकता है। यह तो अर्थ का एक छोटा-सा रूप है और इसीलिए हमने हिन्दू मान्यता में अर्थ का तात्पर्य लक्ष्मी को माना है। सामान्य रूप से लक्ष्मी का जो स्वरूप देखते हैं, वास्तविक रूप में लक्ष्मी का स्वरूप उससे बिल्कुल अलग है। लक्ष्मी के आठ स्वरूपों को जीवन का आधार, अर्थ का आधार माना गया है। लक्ष्मी के इन आठ स्वरूपों को अष्टलक्ष्मी कहा गया है और जिसके जीवन में अर्थ अपने पूरे स्वरूप में, अष्ट लक्ष्मी के स्वरूप में विद्यमान है, वही जीवन पूर्ण कहा गया है।

          लक्ष्मी की कृपा से ही मनुष्य सांसारिक जीवन में अपने तीसरे पुरुषार्थ काम का पूर्ण रूप से उपयोग कर वह मोक्ष मार्ग पर गतिशील हो सकता है। लक्ष्मी का यह स्वरूप जो कि विद्या माया स्वरूप हैं, वह मनुष्य को निरन्तर कर्म पथ पर अग्रसर करते हैं।

          लक्ष्मी मनुष्य जीवन की आवश्यकता है और जीवन का सौन्दर्य भी है। प्रत्येक युग में लक्ष्मी की महत्ता रही है और रहेगी ही। वर्तमान में जब मनुष्य की बाह्य आवश्यकताएँ बढ़ती जा रही है, तब लक्ष्मी की कामना तो होगी ही।

          लक्ष्मी का दूसरा नाम चंचला भी है। कई बार अत्यधिक प्रयास करने पर भी जब लक्ष्मी घर में टिक नहीं पाती है, धनागम होता है, कहाँ जाता है? पता ही नहीं चलता है कमाई से अधिक खर्च होता है ऋण भार से व्यक्ति दबता चला जाता है। तब जीवन में आनन्द, मस्ती और उमंग समाप्त हो जाता है।

          यह सर्वमान्य नियम भी नहीं है कि प्रयत्न करो और लक्ष्मी आती रहे। कई बार प्रयास करने के बाद भी धन का आगमन नहीं हो पाता। जीवन में जूझते रहते हैं, फिर भी घर की दरिद्रता समाप्त नहीं होती। इस प्रकार घर में अविश्वास, बिखराव बढ़ता चला जाता है और घर के घर टूटते चले जाते हैं, उजड़ते चले जाते हैं।

          इस स्थिति से उबरने के लिए मनुष्य को साबर साधना ही अधिक कारगर सिद्ध हो सकती है और हुई है। यह वही प्रयोग है जो सबके लिए आवश्यक है।

साधना विधि :----------

          यह साधना प्रयोग आप धन त्रयोदशी से आरम्भ करें। यदि आपके लिए यह सम्भव न हो तो इसे किसी भी पूर्णिमा की मध्य रात्रि से शुरू किया जा सकता है।

          साधक रात के लगभग ११ बजे के बाद स्नान करके लाल वस्त्र धारण कर लें। फिर लाल आसन बिछाकर दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाएं। अपने सामने किसी बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर एक ताँबे अथवा स्टील की थाली (बड़ी प्लेट) रखें। इस थाली में कुमकुम से ऊर्ध्वमुखी त्रिकोण का निर्माण करे। त्रिकोण के एक कोने में ऊपर पाँच "हकीक पत्थर" रखें, नीचे के दूसरे कोने में पाँच "मूँगे के टुकड़े" रखें तथा नीचे के तीसरे कोने में पाँच "रुद्राक्ष के दाने" रख लें।

          अब सर्वप्रथम साधक पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का ध्यान करके गुरुमन्त्र का यथाशक्ति जाप करे। फिर सद्गुरुदेवजी से साबर लक्ष्मी आबद्ध प्रयोग सम्पन्न करने हेतु मानसिक रूप से गुरु-आज्ञा लेकर उनसे साधना की सफलता के लिए प्रार्थना करें।



           इसके बाद में त्रिकोण के प्रत्येक कोने पर तेल के दीपक जलाकर रखें। त्रिकोण के मध्य में सरसों की ढेरी बनाकर एक चौमुखा तेल का दीपक जलाकर रखें। इसके बाद हकीक माला से निम्न मन्त्र की सात माला मन्त्र जाप करें -----

साबर मन्त्र :----------

॥ ओम नमो आदेश श्री गुरु को
    गजानन वीर बसे मसान
    अब दो ऋद्धि का वरदान
    जो-जो मांगू सो-सो आन
    पाँच लड्डू सिर पर सिन्दूर
    हाट-बाट का माटी मसान की
    सब ऋद्धि हमारे पास पठेओ
    शब्द साँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ॥

OM NAMO AADESH SHRI GURU KO
GAJAANAN VEER BASE MASAAN
AB DO RIDDHI KA VARDAAN
JO-JO MAANGU SO-SO AAN
PAANCH LADDOO SIR PAR SINDOOR
HAAT-BAAT KA MAATI MASAAN KI
SAB RIDDHI HAMARE PAAS PATHEO
SHABD SAANCHA PHURO MANTRA ISHWARO VAACHA.

          मन्त्र जाप के पश्चात एक आचमनी जल भूमि पर छोड़कर समस्त जाप समर्पित कर दें। इस साधना क्रम को नित्य तीन दिनों तक सम्पन्न करें। प्रतिदिन मन्त्र जाप पूरा होने पर रात्रि में साधक वहीं पर सो जाए।

          चौथे दिन प्रातः सभी सामग्री लाल वस्त्र में बाँधकर घर में रख ले। मन्त्र जप द्वारा इस साधना को जब आप पूरा कर ले, तब धनागम का कोई न कोई मार्ग सुलभ होगा। लक्ष्मी की प्राप्ति इससे होती ही है। यह प्रयोग प्रामाणिक और परीक्षित है। यही इसकी विशेषता है। आप करें और सफलता प्राप्त करें, यह आपका सौभाग्य होगा।

          आपके लिए यह दीपावली महापर्व मंगलमय हो और यह दीपावली आप के जीवन में धन-धान्य, सुख-समृद्धि, यश एवं अपार खुशियाँ लेकर आए। मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए ऐसी ही कामना करता हूँ।

          इसी कामना के साथ

ॐ नमो आदेश निखिलजी को आदेश आदेश आदेश ॥

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