श्रीगणेश षोडशोपचार पूजन विधान
गणेश चतुर्थी पर्व समीप ही है। इस वर्ष
गणेशोत्सव ३१ अगस्त २०२२
से आरम्भ हो रहा है। आप सभी को गणेश चतुर्थी पर्व
और गणेशोत्सव की अग्रिम रूप से
बहुत–बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
भगवान
गणेश की गणेश चतुर्थी के दिन सोलह उपचारों से वैदिक मन्त्रों के जापों के साथ पूजा
की जाती है। भगवान की सोलह उपचारों से की जाने वाली पूजा को षोडशोपचार पूजा कहते
हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा को विनायक चतुर्थी पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान गणेश को प्रातःकाल, मध्याह्न और सायाह्न में से किसी भी समय पूजा जा सकता है। परन्तु गणेश-चतुर्थी
के दिन मध्याह्न का समय गणेश-पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मध्याह्न के
दौरान गणेश-पूजा का समय गणेश-चतुर्थी पूजा मुहूर्त कहलाता है।
गणेश-पूजा के समय किये जाने वाले सम्पूर्ण
उपचारों को नीचे सम्मिलित किया गया है। इन उपचारों में षोडशोपचार पूजा के सभी सोलह
उपचार भी शामिल हैं। दीप-प्रज्वलन और संकल्प, पूजा
प्रारम्भ होने से पूर्व किये जाते हैं। अतः दीप-प्रज्वलन और संकल्प षोडशोपचार पूजा
के सोलह उपचारों में सम्मिलित नहीं होते हैं।
यदि भगवान
गणपति आपके घर में अथवा पूजा स्थान में पहले से ही प्राण-प्रतिष्ठित हैं तो
षोडशोपचार पूजा में सम्मिलित आवाहन और प्रतिष्ठापन के उपचारों को त्याग देना
चाहिये। आवाहन और प्राण-प्रतिष्ठा नवीन गणपति मूर्ति (मिट्टी अथवा धातु से
निर्मित) की ही की जाती है। यह भी उल्लेखनीय है कि घर अथवा पूजा-स्थान में प्रतिष्ठित मूर्तियों का पूजा के पश्चात विसर्जन के स्थान पर
उत्थापन किया जाता है।
गणेश
चतुर्थी पूजा के दौरान भक्त लोग भगवान गणपति की षोडशोपचार पूजा में एक-विंशति गणेश
नाम पूजा और गणेश अङ्ग पूजा को भी सम्मिलित कर लेते हैं।
इसके बाद
भगवान गणपतिजी का पूर्ण षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। षोडशोपचार पूजन विधि
निम्नानुसार है -----
हाथ में
अक्षत लेकर भगवान गणपतिजी का ध्यान करें -------
ॐ गजाननं भूतगणादिसेवितं
कपित्थजम्बूफलचारूभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धिसहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः‚ ध्यानं समर्पयामि।
हाथ के अक्षत गणेशजी पर चढ़ा दें।
१.
आवाहन एवं प्राण-प्रतिष्ठा
आवाहन
सर्वप्रथम निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए
भगवान गणेश की प्रतिमा के सम्मुख आवाहन-मुद्रा दिखाकर उनका आवाहन करें -----
ॐ गणानां त्वा गणपति (गूं) हवामहे, प्रियाणां त्वा प्रियपति (गूं) हवामहे।
निधीनां त्वा निधिपति (गूं) हवामहे, वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्॥
ॐ
एह्येहि हेरम्ब महेशपुत्र समस्तविघ्नौघविनाशदक्ष।
मांगल्यपूजाप्रथमप्रधान
गृहाण पूजां भगवन्नमस्ते॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च।
प्राण-प्रतिष्ठा
आवाहन के पश्चात् हाथ में अक्षत-पुष्प
लेकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर भगवान गणेश की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा करें
------
ॐ
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च।
अस्यै
देवत्वं अर्चायै मामहेति
च कश्चन॥
ॐ
मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टम्।
यज्ञ
गूं समिमं दधातु विश्वे देवास इह मादयन्तामोऽम्प्रतिष्ठ॥
ॐ
गजाननं! सुप्रतिष्ठे वरदे भवेताम्।
प्रतिष्ठापूर्वकमं आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि‚
ॐ
सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये नमः।
यह कहकर अक्षत-पुष्प गणेशजी पर अर्पित
कर दें।
२. आसन
आवाहन एवं प्रतिष्ठापन के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को आसन के लिए थोड़े अक्षत या पुष्प
समर्पित करें -----
ॐ विचित्ररत्नखचितं दिव्यास्तरणसंयुतम्।
स्वर्ण
सिंहासनं चारू ग्रहाण गुहाग्रज॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, आसनं
समर्पयामि।
३. पाद्य
आसन समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पाद्य (चरण धोने हेतु जल) समर्पित करें -----
ॐ सर्वतीर्थसमुद्भूतं पाद्यं गन्धादिभिर्युतम्।
गजानन
गृहणेदं भगवान भक्तवत्सलः॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, पादयोः पाद्यं
समर्पयामि।
४. अर्घ्य
पाद्य समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को गन्धमिश्रित अर्घ्य जल समर्पित करें -----
ॐ गणाध्यक्ष नमस्तेऽस्तु गृहाण करुणाकर।
अर्घ्यं
च फल संयुक्तं गन्धमाल्याक्षतैर्युतम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, हस्तोरर्घ्यं
समर्पयामि।
५. आचमन
अर्घ्य समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए आचमन के लिए भगवान गणेश को जल समर्पित करें -----
ॐ विघ्नराज नमस्तुभ्यं त्रिदशैरभिवन्दित।
गङ्गोदकेन
देवेश कुरुष्व आचमनं प्रभो॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, मुखे आचमनीयं
समर्पयामि।
६. स्नान
आचमन समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को जल से स्नान कराएं -----
ॐ नर्मदा चन्द्रभागादि गङ्गासङ्ग सजैर्जलैः।
स्नानि
तोसि मया देव विघ्नसंघं निवारय॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, सर्वाङ्ग
स्नानं समर्पयामि।
पञ्चामृत
स्नान
जल से स्नान के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पञ्चामृत से स्नान कराएं -----
ॐ पञ्चामृतं मयानीतं पयो दधि घृतं मधु।
शर्करया समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, पञ्चामृत
स्नानं समर्पयामि।
पयः
(दुग्ध) स्नान
पञ्चामृत से
स्नान के पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पयः (दूध) से स्नान
कराएं -----
ॐ कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्।
पावनं
यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, पयः स्नानं
समर्पयामि।
दधि
स्नान
पयः से स्नान के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दही से स्नान कराएं -----
ॐ पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्।
दध्यानीतं
मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, दधि स्नानं
समर्पयामि।
घृत
स्नान
दही से स्नान के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को घी से स्नान कराएं -----
ॐ नवनीतसमुत्पन्नं सर्वसन्तोषकारकम्।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, घृत स्नानं
समर्पयामि।
मधु
स्नान
घी से स्नान के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शहद से स्नान कराएं -----
ॐ पुष्परेणुसमुद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं
प्रतिग्रह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, मधु स्नानं समर्पयामि।
शर्करा
स्नान
शहद से स्नान के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शर्करा (शक्कर) से स्नान कराएं -----
ॐ इक्षुरससमुद्भूतां शर्करां पुष्टिदां
शुभाम्।
मलापहारिकां दिव्यां स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, शर्करा स्नानं
समर्पयामि।
सुवासित
स्नान
शर्करा से स्नान के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को सुगन्धित तेल से स्नान कराएं -----
ॐ चम्पाकाशेकबकुल मालती मोगरादिभिः।
वासितं स्निग्धताहेतु तैलं चारू प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, सुवासित स्नानं
समर्पयामि।
शुद्धोदक
स्नान
सुगन्धित तेल से स्नान के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शुद्ध जल से स्नान कराएं -----
ॐ गङ्गा च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदा सिन्धु कावेरी स्नानार्थं
प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, शुद्धोदक
स्नानं समर्पयामि।
७. वस्त्र
समर्पण वं उत्तरीय समर्पण
वस्त्र
शुद्धोदक स्नान के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को मौलि के रूप में वस्त्र समर्पित करें -----
ॐ शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालङ्करणं
वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, वस्त्रं
समर्पयामि।
उत्तरीय
समर्पण
वस्त्र समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शरीर के ऊपरी अङ्गों के लिए वस्त्र समर्पित करें
-----
ॐ उत्तरीयं तथा देव नाना चित्रितमुत्तमम्।
गृहणेदं मया भक्तया दत्तं तत्सफली कुरु॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, उत्तरीयं
समर्पयामि।
८.
यज्ञोपवीत
वस्त्र एवं उत्तरीय समर्पण के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पित करें -----
ॐ नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं
मया दत्तं गृहाण
परमेश्वर॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, यज्ञोपवीतं
समर्पयामि।
९. गन्ध
यज्ञोपवीत समर्पण के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को सुगन्धित द्रव्य समर्पित करें -----
ॐ श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ! चन्दनं
प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, गन्धं
समर्पयामि।
१०.
अक्षत
गन्ध समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को अक्षत चढ़ाएं -----
ॐ अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुङ्कुमाक्ताः
सुशोभिता।
मया
निवेदिता भक्त्या गृहाण
परमेश्वर॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, अक्षतान्
समर्पयामि।
११.
पुष्प माला, शमी पत्र, दुर्वाङ्कुर, सिन्दूर
पुष्पमाला
अक्षत समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पुष्प माला चढ़ाएं -----
ॐ माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै
प्रभो।
मयाहृतानि
पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, पुष्पमालां समर्पयामि।
शमीपत्र
पुष्प माला समर्पण के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शमी पत्र चढ़ाएं -----
ॐ त्वत्प्रियाणि सुपुष्पाणि कोमलानि शुभानि
वै।
शमीदलानि हेरम्ब!
गृहाण गणनायकः॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये नमः, शमी पत्राणि समर्पयामि।
दुर्वाङ्कुर
शमी पत्र समर्पण के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दुर्वाङ्कुर (तीन अथवा पाँच पत्र वाला
दूर्वा) चढ़ाएं -----
ॐ दुर्वाङ्कुरान् सुहरितानमृतान
मङ्गलप्रदान्।
आनीतांस्तव
पूजार्थं गृहाण गणनायकः॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, दुर्वाङ्कुरान्
समर्पयामि।
सिन्दूर
दुर्वाङ्कुर समर्पण के पश्चात्
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को तिलक के लिये सिन्दूर चढ़ाएं -----
ॐ सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं
कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, सिन्दूरं
समर्पयामि।
१२.
धूप
सिन्दूर समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को धूप समर्पित करें -----
ॐ वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः।
आघ्रेयः
सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, धूपं
आघ्रापयामि।
१३.
दीप
धूप समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दीप समर्पित करें -----
ॐ साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं
मया।
दीपं
गृहाण देवेश त्रैलोक्य
तिमिरापहम्॥
भक्त्या
दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।
त्राहि मां निरयाद्
घोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, दीपं दर्शयामि।
हस्त-प्रक्षालन
“ॐ हृषिकेशाय नमः।” — कहकर हाथ धो लें।
१४.
नैवेद्य एवं करोद्वर्तन
नैवेद्य
दीप समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को नैवेद्य समर्पित करें -----
ॐ नाभ्या आसीदन्तरिक्ष (गूं) शीर्ष्णोद्यौः
समवर्तत।
पदभ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रा तथा लोकां अकल्पयन्॥
ॐ प्राणाय स्वाहा। ॐ
अपानाय स्वाहा। ॐ समानाय स्वाहा। ॐ उदानाय स्वाहा। ॐ व्यानाय स्वाहा।
शर्कराखण्डखाद्यानि
दधिक्षीरघृतानि च।
आहारं
भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिग्रह्यताम्॥
ॐ
सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये नमः, नैवेद्यं निवेदयामि‚ नानाऋतुफलानि च
समर्पयामि।
नैवेद्यान्ते
आचमनीयं जलं समर्पयामि।
आचमन हेतु जल समर्पित करें।
चन्दन
करोद्वर्तन
नैवेद्य
समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को चन्दन युक्त जल
समर्पित करें -----
ॐ
चन्दनं मल्योद्भूतं कस्तूर्यादि समन्वितम्।
करोद्वर्तनकम् देव
गृहाण परमेश्वर॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, करोद्वर्तनकम् चन्दनं
समर्पयामि।
१५.
ताम्बूल, नारिकेल एवं दक्षिणा
ताम्बूल
चन्दन
करोद्वर्तन के पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को ताम्बूल (इलायची, लौंग, सुपारी के साथ) समर्पित करें -----
ॐ
पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
एलादिचूर्ण संयुक्तं ताम्बूलं
प्रतिगृह्याताम्॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, मुखवासार्थम् ताम्बूलं
समर्पयामि।
नारिकेल
ताम्बूल
समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को नारियल समर्पित करें -----
ॐ इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन वे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, नारिकेलं फलं समर्पयामि।
दक्षिणा
नारिकेल
समर्पण के पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दक्षिणा समर्पित करें -----
ॐ हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः।
अनन्तपुण्यफलदमतः
शान्तिम् प्रयच्छ मे॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, दक्षिणा द्रव्यं
समर्पयामि।
१६.
नीराजन एवं विसर्जन
नीराजन/आरती
निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ने के पश्चात् भगवान गणेश की आरती करें
-----
ॐ इद (गूं) हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीर
(गूं) सर्वगुण (गूं) स्वस्तये।
आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि
लोकसन्य भयसनि।
अग्निः
प्रजां बहुलां मे करोत्वन्नं पयो रेतो अस्मासु धत्त॥
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तू प्रदीपितम्।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, कर्पूरं आरार्तिकं
समर्पयामि।
पुष्पाञ्जलि
निम्नलिखित
मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पुष्पाञ्जलि समर्पित करें
-----
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि
प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः
सन्ति देवाः॥
नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च।
पुष्पाञ्जलिः मया दत्तो गृहाण परमेश्वर॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि।
प्रदक्षिणा
भगवान गणेश
की प्रदक्षिणा (बाएँ से दाएँ ओर की परिक्रमा) के साथ निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए
श्रीगणेश को फूल समर्पित करें -----
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि
सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे॥
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्रीमन्महागणाधिपतये
नमः, प्रदक्षिणां समर्पयामि।
विसर्जन
दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प लेकर विसर्जन हेतु
निम्नलिखित मन्त्र पढ़ें -----
आवाहनं
न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां
चैव न जानामि क्षमस्व गणेश्वर॥
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम्।
तस्मात्कारुण्य भावेन रक्षस्व विघ्नेश्वर॥
गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्रयं मेव च।
आगता सुख सम्पत्तिः पुण्याञ्च तव दर्शनात्॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरः।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे।
यदक्षरपद भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर॥
भगवान लम्बोदर आपको तथा आपके
सम्पूर्ण परिवार को अपना आशीर्वाद प्रदान करे और आपके जीवन से सभी विघ्नों का नाश
हो। मैं सद्गुरुदेव भगवानजी से ऐसी ही प्रार्थना करता हूँ।
इसी कामना के साथ
ॐ नमो आदेश निखिल
को आदेश आदेश आदेश।