शनिवार, 23 दिसंबर 2017

आदित्य भैरव सायुज्य कृत्या प्रयोग

आदित्य भैरव सायुज्य कृत्या प्रयोग




          नववर्ष २०१८ समीप ही है। एक साधक को चाहिए कि वह नववर्ष का आरम्भ पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी द्वारा बताए गए साधनात्मक तरीके से करे, जिससे कि सम्पूर्ण नववर्ष उसके और उसके परिवार के लिए सौभाग्यदायक, समृद्धिदायक और आरोग्यदायक हो। आप सभी को नववर्ष २०१८ की अग्रिम रूप से  ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ। 
      
         वह दिन जब हम जीवन का प्रारम्भ करते हैं, हम सभी के लिए नववर्ष कहलाता है। मान्यताओं, संस्कारों और तथ्यों के आधार पर एक सामान्य वर्ष में कई बार नववर्ष मनाया जाता है, जैसे नवरात्रि को हिन्दू संस्कृति का तो भिन्न-भिन्न प्रान्तों के अपने नववर्ष होते हैं तो स्वयं का जन्मदिन भी व्यक्ति विशेष के लिए नववर्ष ही होता है और मानव चिन्तन सदैव इस ओर रहा है कि कैसे हम अपने मनोवांछित को प्राप्त कर न्यूनताओं को समाप्त कर सके और सार्थक कर सके अपना नववर्ष।

         सदगुरुदेव हमेशा नववर्ष के अवसर पर साधकों को विलक्षणता प्रदान करने वाले नवीन तथ्यों से परिचित तो करवाते ही थे, साथ ही साथ दिव्यपात श्रेणी की विभिन्न दीक्षाओं को भी उन्होंने देना प्रारम्भ किया था, जिससे साधक सामान्य न होकर अद्भुत हो जाए। परन्तु १९९८ के बाद वे सारे क्रम ही लुप्त हो गए और अन्य कोई उन तथ्यों को समझा पाए, ऐसा सम्भव ही नहीं था। हमारे विभिन्न ज्ञात और लुप्त तन्त्र ग्रन्थ प्रमाण हैं  उन उच्चस्तरीय साधनाओं के जिनका प्रयोग कर साधक अपनी जीवन शैली में आमूलचूल परिवर्तन कर सकता है और वर्ष भर के लिए श्रेष्ठता तो प्राप्त कर ही सकता है। ऐसा ही एक ग्रन्थ है गुह्य रहस्य पद्धतिजो पूरी तरह दिनों, महीनों और वर्षों को अनुकूल बनाने तथा गतिमान वर्ष, माह एवं दिवस के अधिष्ठाता ग्रह, देवशक्ति, मातृका और मुन्था को वश में करके स्वयं का भाग्य लेखन करने की गुह्यतम पद्धति पर आधारित है पूरा ग्रन्थ ही २२८ प्रयोगों से युक्त है, भिन्न-भिन्न दिवसों और माहों के अपने-अपने प्रयोग हैं। परन्तु उन सब में जो सभी के लिए प्रभावकारी पद्धति है, उसी का विवेचन मैं इस लेख में कर रहा हूँ।

         इस प्रयोग को दो तरीकों से किया जा सकता है
१. या तो जब सामूहिक मान्यताओं के आधार पर नववर्ष प्राम्भ हो तब।
२. या जब साधक का जन्मदिवस हो या उसकी पारिवारिक या धार्मिक मान्यताओं के आधार पर जब नववर्ष प्रारम्भ होता हो।

          चाहे आप किसी भी क्रम को मानते हो, तब भी आप दो तरीके से इस प्रयोग को कर सकते हैं
१. या तो सूर्योदय के समय का आश्रय लेकर साधना की जाए।
२. या फिर जिस समय साधक का जन्म हुआ हो,  उस समय पर इसे सम्पन्न किया जाए। भले ही आप १ जनवरी को इसका प्रयोग कर रहे हो, परन्तु तब भी आप इसे इन दोनों में से किसी भी समय पर कर सकते हैं, अर्थात मान लीजिए कि किसी का जन्म २४ अगस्त को रात्रि में ९.३५ पर हुआ है, तब ऐसे में साधक १ जनवरी को ही या तो सूर्योदय के समय इस साधना को कर सकता है या फिर रात्रि में ९.३५ पर। दोनों ही समय प्रभावकारी हैं और इसमें कोई दोष नहीं है।

          आप चाहे आत्मविश्वास की मजबूती चाहते हों या फिर रोजगार की प्राप्ति या वृद्धि, सम्मान चाहते हों या फिर सन्तान-सुख या सन्तान या परिवार का आरोग्य, आर्थिक उन्नति चाहते हों या कार्य में सफलता, जीवन में प्रेम की अभिलाषा हो या फिर विदेश यात्रा का स्वयं के भाग्य में अंकन, प्रयोग सभी अभिलाषाओं की पूर्ति करता है।

          गुरु मन्त्र की १६ माला अनिवार्य हैं,  उन्हीं क्षणों में साधक के द्वारा इस प्रयोग को करने से पहले,  तभी यह प्रयोग पूर्णता प्रदान करता है।

साधना विधान :-----------

          आप अपनी मान्यताओं के आधार पर जिस भी नववर्ष के प्रारम्भ में इस साधना को करना चाहे, उस सुबह सूर्योदय के पहले उठकर स्नान कर ले और श्वेत वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करे। अर्घ्य पात्र में जल भर कर और उसको पहले सामने रखकर २१-२१ बार निम्न मन्त्रों से अभिमन्त्रित कर लें

ॐ आदित्याय नमः।
ॐ मित्राय नमः।
ॐ भाष्कराय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ खगाय नमः।
ॐ पूषाय नमः।
ॐ ग्रहाधिपत्ये नमः।

          इसके बाद ही उस जल से अर्घ्य प्रदान करें। तत्पश्चात साधना कक्ष में स्वयं या परिवार के साथ बैठकर सदगुरुदेव और भगवान गणपति का पूजन करें।

          आज जिस गुरु ध्यान मन्त्र का प्रयोग होता है, वह भी इस अवसर विशेष के साथ योगित है। सद्गुरुदेव पूजन से पूर्व निम्न ध्यान मन्त्र का ७ बार उच्चारण करें

अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानांजनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरुवै नमः।।

          तत्पश्चात पंचोपचार विधान या सुविधाजनक रूप से पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का पूजन करें, फिर १६ माला गुरुमन्त्र की जाप करें। इसके बाद सद्गुरुदेवजी से आदित्य  भैरव  सायुज्य  कृत्या साधना सम्पन्न  की आज्ञा लें। फिर उनसे साधना की  निर्बाध  पूर्णता  और  सफलता  एवं संवत्सर की  शुभता के  लिए प्रार्थना करें

         तदुपरान्त  भगवान गणपति का सामान्य पूजन करें और  एक माला किसी  भी  गणपति  मन्त्र  का जाप  करें। फिर भगवान गणपतिजी  से  साधना की  निर्विघ्न  पूर्णता  और  सफलता  के  लिए प्रार्थना करें

         इसके बाद उनकी साक्षी में ही  हाथ में जल लेकर उपरोक्त साधना में सफलता की प्रार्थना करें और संकल्प लें।

         यदि आप परिवार के साथ पूजन कर रहे हैं तब भी और यदि आप अकेले पूजन कर रहे हैं तब भी किसी भी पारिवारिक सदस्य या आत्मीय के नाम से संकल्प ले सकते हैं।

          जितने सदस्य यह प्रयोग कर रहे हैं उन सभी के लिए एक-एक घृत का दीपक लगेगा। जिस बाजोट पर गुरु यन्त्र या चित्र रखा हो, उस बाजोट पर श्वेत वस्त्र बिछाना है और सदगुरुदेव के चित्र के सामने आदित्य भैरव यन्त्र का निर्माण अष्टगन्ध से करना है और जहाँ पर लिखा है वहाँ पर घी का दीपक जलाना है। फिर उस यन्त्र और दीपक का पंचोपचार पूजन कर खीर का भोग लगाना है।

                                               
         यदि आप अपने परिवार के अन्य सदस्यों या अपने आत्मीयों को भी इसका प्रभाव देना चाहते हों तो यन्त्र के चारों ओर १ व्यक्ति के लिए १ दीपक घी का प्रज्वलित कर सकते हैं और स्वयं की ११ माला की समाप्ति पर प्रत्येक व्यक्ति की तरफ से ३-३ माला उनके नाम का संकल्प लेकर जाप कर सकते हैं।

                   माला गुरु रहस्य माला या स्फटिक, रुद्राक्ष या सफ़ेद हकीक की हो सकती है। अन्य मालाओं में मूँगा या शक्ति माला का चयन भी किया जा सकता है। पूर्ण एकाग्र भाव से निम्न मन्त्र की ११ (ग्यारह) माला जाप करना है -----

मन्त्र :---------

।। ॐ ह्रीं श्रीं आदित्य भैरवाय सौभाग्यं प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं कृत्याय श्रीं ह्रीं ॐ।।

OM HEENG SHREEM AADITYA BHAIRVAAY SOUBHAGYAM PRASEED PRASEED HREENG HREENG KRITYAAY SHREEM HREENG OM.

          मन्त्र जाप के उपरान्त समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर भगवान भैरवनाथजी को समर्पित कर दें  तत्पश्चात गुरु आरती सम्पन्न कर उस खीर के भोग को सपरिवार ग्रहण किया जा सकता है।

          इस प्रकार यह साधना विधान एक दिवसीय ही है, किन्तु आप चाहें तो इसे कम से कम ११ दिन तक सम्पन्न कर सकते हैं 

          नवीन संवत्सर की उपलब्धियों को आप अपने जीवन में स्वतः ही देखेंगे।

          इस प्रयोग के द्वारा आप सभी को अपने अभीष्ट की प्राप्ति हो और आपकी अशुभता एवं दुर्भाग्य की समाप्ति होकर न्यूनताओं का नाश हो। साथ ही नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो। ऐसी ही मैं सद्गुरुदेव भगवान श्रीनिखिलेश्वरानन्दजी से प्रार्थना करता हूँ।

                इसी कामना  के साथ

ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश ॥

सोमवार, 11 दिसंबर 2017

सोमवती अमावस्या और सरल लघु प्रयोग

सोमवती अमावस्या और सरल लघु प्रयोग


           सोमवती अमावस्या समीप ही है। यह इस बार १८  दिसम्बर २०१७ को आ रही है। इस दिन भगवान शिव, विष्णु, पितृ दोष-कालसर्प दोष निवारण आदि से सम्बन्धित साधनाप्रयोग और विविध उपाय किए जा सकते हैं।

           हिन्दू पंचांग के अनुसार अमावस्या माह की ३० वीं और कृष्ण पक्ष की अन्तिम तिथि होती है। उस दिन आकाश में चन्द्रमा दिखाई नहीं देता, रात्रि में सर्वत्र गहन अन्धकार छाया रहता है। इस दिन का ज्योतिष एवं तन्त्र शास्त्र में अत्यधिक महत्व हैं। प्रत्येक माह एक अमावस्या आती है और हर सप्ताह में एक सोमवार। परन्तु ऐसा बहुत ही कम होता है जब अमावस्या और सोमवार एक ही दिन हो। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाती है। यह अनोखी तिथि साल में लगभग एक या दो बार ही आती है। यह अमावस्या स्नानदान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। 

           सोमवार भगवान चन्द्र को समर्पित दिन है। भगवान चन्द्र को शास्त्रों में मन का कारक माना गया है। अत: इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है कि यह दिन मन सम्बन्धी दोषों के समाधान के लिये अति उत्तम है। चूँकि हमारे शास्त्रों में चन्द्रमा को ही समस्त दैहिकदैविक और भौतिक कष्टों का कारक माना जाता है।

           सोमवती अमावस्या कलियुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है, लेकिन सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी शास्त्रीय और पौराणिक कारण हैं। सोमवार को भगवान शिव और चन्द्रमा का दिन कहा गया है। सोम यानि अमृत। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा का सोमांश यानि अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर चन्द्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पड़ता है।

           अमावस्या अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है। शिव महापुराण में इस सन्धि विच्छेद को भगवान शिव ने माता पार्वती को समझाया था। क्योंकि सोम को अमृत भी कहा जाता है, अमा का अर्थ है एकत्र करना और वस्या वास को कहा गया है। यानि जिसमें सब एक साथ वास करते हों, वह अमावस्या अति पवित्र सोमवती अमावस्या कहलाती है। यह भी माना जाता है कि सोमवती अमावस्या में भक्तों को अमृत की प्राप्ति होती है।

           निर्णय सिंधु व्यास के वचनानुसार इस सोमवती अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत का विधान है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन पीपल की सेवा, पूजा, परिक्रमा का अति विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या में पीपल की छाया से, स्पर्श करने से और प्रदक्षिणा करने से समस्त पापों का नाश, अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति और आयु में वृद्धि होती है।

          पीपल के पूजन में दूध, दही, मीठा, फल, फूल, जल, जनेऊ जोड़ा चढ़ाने और दीप दिखाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। कहते है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में भगवान शिव जी तथा अग्रभाग में भगवान ब्रह्मा जी का निवास है। इसलिए सोमवार को यदि अमावस्या हो तो पीपल के पूजन से अक्षय पुण्य, लाभ तथा सौभाग्य की वृद्धि होती है।

          सोमवती अमावस्या को अत्यन्त पुण्य तिथि माना जाता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन किए गए किसी भी प्रकार के उपाय शीघ्र ही फलीभूत होते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन उपाय करने से मनुष्यों को सभी तरह के शुभ फल प्राप्त होते हैं, अगर उनको कोई कष्ट है तो उसका शीघ्र ही निराकरण होता है और उस व्यक्ति तथा उसके परिवार पर आने वाले सभी तरह के संकट टल जाते हैं।

          सोमवती अमावस्या पर आजमाए जाने वाले कुछ टोटके या प्रयोग हैं, जिनका लाभ जरूर होता है। धन प्राप्ति, पितृदोष शान्ति, व्यापार की परेशानी, जीवन के कष्टों का अन्त, नौकरी में आने वाली बाधा आदि मिटाने के लिए अमावस्या को ये प्रयोग करने चाहिए। इनसे लाभ होता ही है।

धन प्राप्ति के टोटके

          १. तमाम प्रयासों के बाद भी आपको धन की प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो आप अमावस्या को नारियल का एक प्रयोग आजमा सकते हैं। अमावस की रात एक पानी वाला नारियल, सूखा नहीं, लें। नारियल गोले के पाँच बराबर टुकड़े कर लीजिए। इन टुकड़ों को शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर के सामने शाम के समय रख दें, फिर शिवजी को अपने सारे संकट बताएं। धन की बाधा से आपके क्या काम रूक रहे हैं? सब हाल उन्हें कहें।

          ध्यान रहे, यदि किसी अन्य का धन हड़पने या अन्य के प्रति द्वेष के भाव से यह प्रयोग बिल्कुल न करें। अपनी परेशानी और भगवान से सहायता की याचना करनी है, वह भी शुद्ध भाव से। रात के समय इन नारियल को खिड़की पर रख दें। सुबह उठते ही नारियल के टुकड़ों को घर से दूर कहीं रख आएं। धीरे-धीरे धन सम्बन्धी लाभ मिलने लगेगा।

          २. अमावस्या की रात नदी के बहते पानी पाँच लाल फूल और पाँच जलते हुए दीपक रखने चाहिए। इससे धनलाभ होता है।

          ३. अमावस्या की रात मन्दिर बन्द होने से पहले या घर के मन्दिर में पट बन्द करने से पहले एक घी का दीपक जलाएं। इससे धनलाभ मिलेगा।

जीवन की परेशानियाँ मिटाने के लिए टोटके

          १. परेशानियों से राहत का एक और टोटका है जो किसी भी अमावस्या को किया जाता है। महीने की शुरुआत में आप एक लाल धागा अपने गले में पहन लें। इसमें कोई ताबीज की जरूरत नहीं, बस एक लाल धागा हो। धागे को पूरे महीने भर गले में धारण किए रखें। अमावस्या की रात कहीं सुनसान में एक गड्ढा खोदकर उसे दबा दें। इससे आपकी परेशानियाँ धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी। यदि पहले महीने में लाभ दिखे तो फिर इसे हर माह करें।

          २. किसी कुएं में अगर आप हर अमावस्या को एक चम्मच दूध डालते रहते हैं तो इससे आपके जीवन में सभी दुःख खत्म होने लगते हैं।

          ३. सोमवती अमावस्या को घर के मन्दिर में अथवा ईशान कोण में गाय के घी का एक दीपक संध्याकाल में अवश्य जलाएं। लाल रंग के धागे की बाती बनाएं और सम्भव हो तो घी में थोड़ा केसर डाल दें। इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन आगमन होता है।

          ४. किसी नदी तालाब पर जाकर मछलियों को शक्कर मिश्रित आटे की गोलियां खिलाएं। इससे घर में पैसे का आगमन शुरू होता है।

शत्रुबाधा शान्ति के लिए टोटका

      अमावस्या की रात यदि काले कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाई जाए और कुत्ता उसी समय यह रोटी खा लेता है तो इससे आपके सभी शत्रुओं का भाव परिवर्तित होना शुरू हो जाएगा। वे आपके प्रति द्वेष और आपको परेशान करने का भाव छोड़ देंगे। उसके बाद आप भी उन शत्रुओं को भूलते जाएं, उन्हें छेड़ें नहीं।

बेरोजगारी दूर करने के टोटके

          १. आप अगर लम्बे समय से बेरोजगार हैं, रोजगार में बाधा आ रही है तो अमावस्या की रात को एक छोटा-सा उपाय करके देखिए। एक नीम्बू को सुबह घर के मन्दिर में साफ करके रख दें। शाम को इसे अपने सिर से सात बार उतारकर चार बराबर भागों में काट लें। रात के समय चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में इसको फेंक दें। इससे रोजगार में आने वाली बाधा दूर होने लगेगी। यह उपाय भी चुपचाप करना चाहिए।

          २. अमावस्या के दिन मछलियों को आटे की गोलियाँ ज़रूर खिलाएं। इससे कई तरह के कष्ट खत्म होने लगेंगे।

कालसर्प दोष दूर करने का उपाय

          १. जिन्हें कालसर्प दोष बहुत सता रहा है, उनके लिए अमावस्या बहुत लाभकारी है। सुबह स्नान के पश्चात चाँदी से बने नाग नागिन की पूजा करें। सफ़ेद फूल के साथ इन्हें बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इससे कालसर्प योग का दोष दूर होता है।

          २. अमावस्या की रात उस व्यक्ति के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती है, जिसे कालसर्प दोष है। घर में योग्य पुरोहित से अपने लिए या परिवार के लिए हवन करवाएं। शिवजी की पूजा करें।

पितृदोष शान्ति के लिए किए जाने वाले उपाय

          १. अमावस्या पितरों का दिन माना गया है। इस दिन घर के पितृगण का तर्पण करना चाहिए। घर में पूर्ण शुद्धि से बनाए भोजन का भोग उन्हें भेंट करना चाहिए। इससे पितर तृप्त होते हैं तथा आशीष देते हैं। यदि पितरों का आशीर्वाद नहीं मिल रहा है तो सारी पूजा-पाठ के बावजूद आपको अपेक्षित लाभ नहीं हो सकता, इसलिए पितरों की तृप्ति आवश्यक कही गई हैं।

          २. यदि पितर सन्तुष्ट एवं प्रसन्न हैं तो जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। घर-परिवार में सुख शान्ति प्राप्त होती है। पितरों के निमित्त तर्पण के साथ ही साथ कुछ भोजन एवं अन्न निकाल देना चाहिए। यह भोजन पशुओं जैसे गाय, कौए, कुत्ते, जलचर जैसे मछली आदि को खिला दें। किसी दरिद्र को अन्न या भोजन भी दान कर सकते हैं। आपके सेवाभाव से पितरों को तृप्ति मिलती हैं। जब वे देखते हैं कि उनकी सन्तानें दयावान हैं, सभी जीवों पर दयालु हैं तो उनका मन प्रसन्न होता है।

          ३. सोमवती अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करें। पेड़ को जनेऊ एवं अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु के मन्त्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें। पीपल की सात परिक्रमा करें।

          ४. अमावस्या के दिन स्टील के लोटे में गाय का दूध, काले और सफेद तिल और थोड़ा जल मिला लें। इसे पीपल की जड़ में जल अर्पित करें।

          ५. सोमवती अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम पर गरीबों, गाय, मछलियों आदि को भोजन, चारा आदि दें।

सर्वबाधा निवारण के उपाय

          १. सोमवती अमावस्या या किसी भी अमावस्या को भूखे लोगों को भोजन कराने का बड़ा महत्व कहा गया है। अमावस्या को अन्नदान यज्ञ के फल के जैसा होता है। कम से कम एक दरिद्र, भिखारी अथवा गाय को सामर्थ्यअनुसार तृप्तिभर भोजन कराएं, चारा खिलाएं।

          २. सोमवती अमावस्या पर दान का अनन्त फल है। इस दिन गरीबों, दरिद्रों, जरूरतमन्दों या सामने हाथ फैला देने वालों को कुछ न कुछ दान अवश्य करना चाहिए। इससे कुण्डली में जो ग्रह खराब फल दे रहे होते हैं, वे शान्त होते हैं।

          ३. सोमवती अमावस्या पर शिव मन्दिर में जाकर शिवलिंग पर जल एवं बेलपत्र चढ़ाएं। शिवलिंग के पास बैठकर "ओम नमः शिवाय" की एक माला अवश्य जाप करें। इससे कालसर्प योग का दोष भी खत्म हो जाता है।

     ४. अमावस्या की शाम को पीपल अथवा बरगद के पेड़ की पूजा करें। उसके नीचे देसी घी का दीपक जलाएं।


राशिअनुसार किए जाने वाले उपाय

            शास्त्रों में सोमवती अमावस्या को बहुत महत्व दिया गया है। सोमवती अमावस्या के दिन अगर कुछ खास टोने-टोटके किए जाएं तो इनसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। वहीं अगर इन टोटकों को राशिअनुसार किया जाए तो ये जल्द ही अपना असर दिखाते हैं।

       आइए आपको बताते हैं, राशिअनुसार किए जाने वाले उपायों के बारे में -----

     मेष राशि : मेष राशि के जातक अमावस्या के दिन घर में हवन करवाएं और शिव की पूजा करें।

     वृष राशि : वृष राशि के जातक अमावस्या के दिन किसी कुए में एक चम्मच दूध डालें, लाभ होगा।

     मिथुन राशि : मिथुन राशि के जातक अमावस्या की रात एक पानी वाला नारियल लें और उसके पाँच बराबर टुकड़े करके शिवजी को अर्पित करें।

     कर्क राशि : अमावस्या की रात को कर्क राशि के जातक किसी मन्दिर में जाकर अभिमन्त्रित धागा लें और इसे पहन लें।

     सिंह राशि : सिंह राशि के जातक अमावस्या के दिन किसी काले कुत्ते को तेल लगी हुई रोटी खिलाएं, कष्टों का निवारण होगा।

     कन्या राशि : कन्या राशि के जातक अमावस्या की रात को एक नीम्बू अपने सर से सात बार उतारकर, चार बराबर भागों में काट कर किसी चौराहे पर रख दें। नौकरी, व्यवसाय में लाभ होगा।

     तुला राशि : तुला राशि के जातक अमावस्या के दिन मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाएं, कष्टों का निवारण होगा।

     वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि के जातक अमावस्या की रात को बहते नदी के पानी में पाँच लाल फूल और पाँच जलते हुए दीए छोड़ें, धन लाभ होगा।

     धनु राशि : धनु राशि के जातक अमावस्या की रात को मन्दिर में एक घी का दीया जलाएं, लाभ मिलेगा।

     मकर राशि : मकर राशि के जातक अमावस्या की रात को एक नीम्बू अपने सर से सात बार उतारकर, चार बराबर भागों में काट कर किसी चौराहे पर रख दें, नौकरी, व्यवसाय में लाभ होगा।

     कुम्भ राशि : कुम्भ राशि के जातक अमावस्या के दिन किसी काले कुत्ते को तेल लगी हुई रोटी खिलाएं, कष्टों का निवारण होगा।


     मीन राशि :मावस्या की रात को मीन राशि के जातक किसी मन्दिर में जाकर अभिमन्त्रित धागा लें और इसे पहन लें, लाभ होगा। 

               मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

               इसी कामना के साथ

        ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।।