गुरुवार, 25 मई 2017

धूमावती साधना

धूमावती साधना


           माँ भगवती धूमावती जयन्ती निकट ही है।  इस बार माँ भगवती धूमावती जयन्ती जून २०१७ को आ रही है। आप सभी को माँ भगवती धूमावती जयन्ती  की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ।

           दस महाविद्याओं में धूमावती महाविद्या साधना अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस साधना के बारे में दो बातें विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, प्रथम तो यह दुर्गा की विशेष कलह निवारिणी शक्ति है, दूसरी यह कि यह पार्वती का विशाल एवं रक्ष स्वरूप है, जो क्षुधा से विकलित कृष्ण वर्णीय रूप है, जो अपने भक्तों को अभय देने वाली तथा उनके शत्रुओं के लिए साक्षात काल स्वरूप है।

           साधना के क्षेत्र में दस महाविद्याओं के अन्तर्गत धूमावती का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। जहाँ धूमावती साधना सम्पन्न होती है, वहाँ इसके प्रभाव से शत्रु-नाश एवं बाधा-निवारण भी होता है। धूमावती साधना मूल रूप से तान्त्रिक साधना है। इस साधना के सिद्ध होने पर भूत-प्रेत, पिशाच व अन्य तन्त्र-बाधा का साधक व उसके परिवार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, अपितु उसकी प्रबल से प्रबल बाधाओं का भी निराकरण होने लग जाता है।

           धूमावती का स्वरूप क्षुधा अर्थात भूख से पीड़ित स्वरूप है और इन्हें अपने भक्षण के लिए कुछ न कुछ अवश्य चाहिए। जब कोई साधक भगवती धूमावती की साधना सम्पन्न करता है तो देवी प्रसन्न होकर उसके शत्रुओं का भक्षण कर लेती है और साधक को अभय प्रदान करती हैं।

           दस महाविद्याओं में धूमावती एक प्रमुख महाविद्या है, जिसे सिद्ध करना साधक का सौभाग्य माना जाता है। जो लोग साहसपूर्वक जीवन को निष्कण्टक रूप से प्रगति की ओर ले जाना चाहते हैं, उन्हें भगवती धूमावती साधना सम्पन्न करनी ही चाहिए। भगवती धूमावती साधना सिद्ध होने पर साधक को निम्न लाभ स्वतः मिलने लगते हैं -----

१. धूमावती सिद्ध होने पर साधक का शरीर मजबूत व सुदृढ़ हो जाता है। उस पर गर्मी, सर्दी, भूख, प्यास और किसी प्रकार की बीमारी का तीव्र प्रभाव नहीं पड़ता है।
२. धूमावती साधना सिद्ध होने पर साधक की आँखों में साक्षात् अग्निदेव उपस्थित रहते हैं और वह तीक्ष्ण दृष्टि से जिस शत्रु को देखकर मन ही मन धूमावती मन्त्र का उच्चारण करता है, वह शत्रु तत्क्षण अवनति की ओर अग्रसर हो जाता है।
३. इस साधना के सिद्ध होने पर साधक की आँखों में प्रबल सम्मोहन व आकर्षण शक्ति आ जाती है।
४. इस साधना के सिद्ध होने पर भगवती धूमावती साधक की रक्षा करती रहती है और यदि वह भीषण परिस्थितियों में या शत्रुओं के बीच अकेला पड़ जाता है तो भी उसका बाल भी बाँका नहीं होता है। शत्रु स्वयं ही प्रभावहीन एवं निस्तेज हो जाते हैं।

           इस साधना के माध्यम से आपके जितने भी शत्रु हैं, उनका मान-मर्दन कर जो भी आप पर तन्त्र प्रहार करता है, उस पर वापिस प्रहार कर उसी की भाषा में जबाब दिया जा सकता है। जिस प्रकार तारा समृद्धि और बुद्धि की, त्रिपुर सुन्दरी पराक्रम और सौभाग्य की सूचक मानी जाती है, ठीक उसी प्रकार धूमावती शत्रुओं पर प्रचण्ड वज्र की तरह प्रहार कर नेस्तनाबूँद करने वाली देवी मानी जाती है। यह अपने आराधक को बड़ी तीव्र शक्ति और बल प्रदान करने वाली देवी है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूपों में साधक की सहायता करती  है। सांसारिक सुख अनायास ऐसे ही प्राप्त नहीं हो जाते, उनके लिए साधनात्मक बल की आवश्यता होती है, जिससे शत्रुओं से बचा रहकर बराबर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहा जा सके। मगर आज के समय में आपके आसपास रहने वाले और आपके नजदीकी लोग ही कुचक्र रचते रहते हैं और आप सोचते रहते हैं कि आपने किसी का कुछ भी बिगाड़ा नहीं है तो मेरा कोई क्यों बुरा सोचेगा, काश!ऐसा ही होता!

           मगर सांसारिक बेरहम दुनिया में कोई किसी को चैन  से रहते हुए नहीं देख सकता और आपकी पीठ पीछे कुचक्र चलते ही रहते हैं। इनसे बचाव का एक ही सही तरीका है, धूमावती साधना। इसके बिना आप एक कदम नहीं चल सकते, समाज में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते है कि अचानक से किसी परिवार में परेशानियाँ शुरू हो जाती है और व्यक्ति जब ज्यादा परेशान होता है तो किसी डॉक्टर को दिखाता है, मगर महीनों इलाज कराने के बावज़ूद भी बीमारी ठीक नहीं होती, तब कोई दूसरी युक्ति सोचकर किसी अन्य जानकार को दिखाता है और मालूम पड़ता है कि किसी ने कुछ करा दिया था या टोना-टोटका जैसा कुछ मामला था और जब इलाज कराया, तब वह ५-७ दिन में बिलकुल ठीक हो गया। ऐसे में जो पढ़े-लिखे व्यक्ति होते हैं, उन्हें भी इस पर विश्वास हो जाता है कि वास्तव में इस समाज में रहना कितना मुश्किल काम है।

           धूमावती दारूण विद्या है। सृष्टि में जितने भी दुःख, दारिद्रय, चिन्ताएँ, बाधाएँ  हैं, इनके शमन हेतु धूमावती से ज्यादा श्रेष्ठ उपाय कोई और नहीं है। जो व्यक्ति इस महाशक्ति की आराधना-उपासना करता है, उस पर महादेवी प्रसन्न होकर उसके सारे शत्रुओं का भक्षण तो करती ही है, साथ ही उसके जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होने देती। क्योंकि इस साधना से माँ भगवती धूमावती लक्ष्मी-प्राप्ति में आ रही बाधाओं का भी भक्षण कर लेती है। अतः लक्ष्मी-प्राप्ति हेतु भी इस शक्ति की पूजा करते रहना चाहिए।

साधना विधान :----------
         
           इस साधना को धूमावती जयन्ती, किसी भी माह की अष्टमी, अमावस्या अथवा रविवार के दिन से आरम्भ किया जा सकता है। इस साधना को किसी खाली स्थान पर, श्मशान, जंगल, गुफा या किसी भी एकान्त स्थान या कमरे में करनी चाहिए।

           यह साधना रात्रिकालीन है और इसे रात में ९ बजे के बाद ही सम्पन्न करना चाहिए। नहाकर लालवस्त्र धारण कर गुरु पीताम्बर ओढ़कर लाल ऊनी आसन पर बैठकर पश्चिम दिशा की ओर मुँहकर साधना करनी चाहिए।

           साधक अपने सामने चौकी पर लाल वस्त्र बिछा लें। इस साधना में माँ भगवती धूमावती का चित्र, धूमावती यन्त्र और काली हकीक माला की विशेष उपयोगिता बताई गई है, परन्तु यदि सामग्री उपलब्ध ना हो तो किसी ताम्र पात्र में "धूं" बीज का अंकन काजल से करके उसके ऊपर एक सुपारी स्थापित कर दें और उसे ही माँ धूमावती मानकर उसका पूजन करना चाहिए। जाप के लिए रुद्राक्ष माला का उपयोग किया जा सकता है।

           सबसे पहले साधक शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर धूप-अगरबत्ती भी लगा दे। फिर सामान्य गुरुपूजन सम्पन्न करे और गुरुमन्त्र का चार माला जाप कर ले। फिर सद्गुरुदेवजी से धूमावती साधना सम्पन्न करने की अनुमति लें और साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करे।

           इसके बाद साधक संक्षिप्त गणेशपूजन सम्पन्न करे और "ॐ वक्रतुण्डाय हूं" मन्त्र की एक माला जाप करे। फिर भगवान गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करे।

           फिर साधक संक्षिप्त भैरवपूजन सम्पन्न करे और "ॐ अघोर रुद्राय नमः" मन्त्र की एक माला जाप करे। फिर भगवान अघोर रुद्र भैरवजी से साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करे।

           इसके बाद साधक को साधना के पहिले दिन संकल्प अवश्य लेना चाहिए।

           साधक दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि  मैं अमुक नाम का साधक गोत्र अमुक आज से श्री धूमावती साधना का अनुष्ठान आरम्भ कर रहा हूँ। मैं नित्य २१ दिनों तक ५१ माला मन्त्र जाप करूँगा। माँ ! मेरी साधना को स्वीकार कर मुझे मन्त्र की सिद्धि प्रदान करे तथा इसकी ऊर्जा को मेरे भीतर स्थापित कर दे।

           इसके बाद  साधक माँ भगवती धूमावती का सामान्य पूजन करे। काजल, अक्षत, भस्म, काली मिर्च आदि से पूजा करके कोई भी मिष्ठान्न भोग में अर्पित करे।
 
           हाथ में जल लेकर निम्न विनियोग पढ़कर भूमि पर जल छोड़ें -----

विनियोग :-----

           ॐ अस्य धूमावतीमन्त्रस्य पिप्पलाद ऋषिः, निवृच्छन्दः, ज्येष्ठा देवता, धूम्  बीजं, स्वाहा शक्तिः, धूमावती कीलकं ममाभीष्टं सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।

ऋष्यादि न्यास :-----

ॐ पिप्पलाद ऋषये नमः शिरसि।       (सिर स्पर्श करे)
ॐ निवृच्छन्दसे नमः मुखे।             (मुख  स्पर्श  करे)
ॐ ज्येष्ठा देवतायै नमः हृदि।          (हृदय  स्पर्श  करे)
ॐ धूम्  बीजाय नमः गुह्ये।           (गुह्य  स्थान स्पर्श  करे)
ॐ स्वाहा शक्तये नमः पादयोः।        (पैरों   को   स्पर्श  करे)
ॐ धूमावती कीलकाय नमः नाभौ।      (नाभि स्पर्श करे)
ॐ विनियोगाय नमः सर्वांगे।           (सभी अंगों का स्पर्श करे)

कर न्यास  :-----
 
ॐ धूं धूं अंगुष्ठाभ्याम नमः।      (दोनों तर्जनी उंगलियों से दोनों अँगूठे को स्पर्श करें)
ॐ धूम् तर्जनीभ्यां नमः।          (दोनों अँगूठों से दोनों तर्जनी उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ मां मध्यमाभ्यां नमः।          (दोनों अँगूठों से दोनों मध्यमा उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ वं अनामिकाभ्यां नमः।         (दोनों अँगूठों से दोनों अनामिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ तीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।       (दोनों अँगूठों से दोनों कनिष्ठिका उंगलियों को स्पर्श करें)
ॐ स्वाहा करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः।  (परस्पर दोनों हाथों को स्पर्श करें)

हृदयादि न्यास :-----

ॐ धूं धूं हृदयाय नमः।       (हृदय को स्पर्श करें)
ॐ धूं शिरसे स्वाहा।          (सिर को स्पर्श करें)
ॐ मां शिखायै वषट्।         (शिखा को स्पर्श करें)
ॐ वं कवचाय हुम्।          (भुजाओं को स्पर्श करें)
ॐ तीं नेत्रत्रयाय वौषट्।       (नेत्रों को स्पर्श करें)
ॐ स्वाहा अस्त्राय फट्।       (सिर से घूमाकर तीन बार ताली बजाएं)

           इसके बाद साधक हाथ जोड़कर निम्न श्लोकों का उच्चारण करते हुए माँ भगवती धूमावती का ध्यान करें ---

ध्यान :------

ॐ विवर्णा चंचला दुष्टा दीर्घा च मलिनाम्बरा।
विमुक्त कुन्तला रूक्षा विधवा विरलद्विजा।।
काकध्वज रथारूढ़ा विलम्बित पयोधरा।
शूर्पहस्ताति रक्ताक्षीघृतहस्ता वरान्विता।।
प्रवृद्धघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा।
क्षुत्पिपासार्दिता नित्यं भयदा कलहास्पदा।।

          इस प्रकार ध्यान करने के बाद साधक भगवती धूमावती के मूलमन्त्र का ५१ माला जाप करें ---

मन्त्र :----------

          ।। ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा ।।

OM DHOOM DHOOM DHOOMAAVATI SWAAHAA.

         मन्त्र जाप के उपरान्त साधक निम्न श्लोक का उच्चारण करने के बाद एक आचमनी जल छोड़कर सम्पूर्ण जाप भगवती धूमावती को समर्पित कर दें।

ॐ गुह्यातिगुह्य गोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं।
     सिद्धिर्भवतु मे देवि! त्वत्प्रसादान्महेश्वरि।।

         इस प्रकार यह साधना क्रम साधक नित्य २१ दिनों तक निरन्तर सम्पन्न करें।

         "मन्त्र महोदधि" ग्रन्थ के अनुसार इस मन्त्र का पुरश्चरण एक लाख मन्त्र जाप है। तद्दशांश हवन करना चाहिए। यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो १०,००० अतिरिक्त मन्त्र जाप कर लेना चाहिए।

         इस तरह से यह साधना पूर्ण होकर कुछ ही दिनों में अपना प्रभाव दिखाती है। यह दुर्भाग्य को मिटाकर सौभाग्य में बदलने की अचूक साधना है।  इस साधना के बारे में कहा गया है कि बन्दूक की गोली एक बार को खाली जा सकती है, मगर इस साधना का प्रभाव कभी खाली नहीं जाता।
 
         महाविद्याओं में धूमावती साधना सप्तम नम्बर पर आती है। यह शत्रु का भक्षण करने वाली महाशक्ति और दुखों से निवृत्ति दिलाने वाली देवी है। इस साधना के माध्यम से साधक में बुरी शक्तियों को पराजित करने की और विपरीत स्थितियों में अपने अनुकूल बना देने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है, उसके सामने सभी को हार माननी पड़ती  है। परन्तु जो समय पर हावी हो जाता है, वह उससे भी ज्यादा ताकतवर कहलाता है। परिपूर्ण होना केवल शक्ति साधना के द्वारा ही सम्भव है। इसके माध्यम से दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में परिवर्तित किया जा सकता है।
                        
         आपकी साधना सफल हो और माँ भगवती धूमावती का आपको आशीष प्राप्त हो। मैं सद्गुरुदेव भगवानजी से ऐसी ही प्रार्थना करता हूँ।

                इसी कामना के साथ

              ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।।


14 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

माँ की क्रपा के बिना समस्त पीड़ाओं और शत्रुओं का संहार सम्भव ही नही
जय माँ 🙏🙏🙏🙏🙏🐚👍😎

pandit durgadutta jha ने कहा…

जय माँ धूमावती

Unknown ने कहा…

MAA DHUMVATHI DEVI JAI HO

Unknown ने कहा…

Jay maa dhumavati

Unknown ने कहा…

ॐ धुं धुं धूमावती स्वह

kumar pankaj ने कहा…

Jai Gurudev

Unknown ने कहा…

Maa dhumabatti ki sakti is sansar mai sab kush dene baale hai paisa satruoo ka naas saadak kai jeeven ko kabhi kasat nahi deti hemesa sukh poorvak jeevan vateet karta hai maa dhumabaati aapki sada hi jai ho hai apne bhakat per hamesa apni kirpna banaye rakhna

Unknown ने कहा…

Jai gurudev

Ram ने कहा…

JAY MAA DHUMAVATI BAGALAMUKHI MATA MAHARANI PITAMBARA DEVI PRASEED 🙏💐💐🙏

Unknown ने कहा…

Jai grudev

Unknown ने कहा…

Jai grudev

Unknown ने कहा…

Maa

Unknown ने कहा…

Jai guru dev ki

bundelkhand news ने कहा…

जय मां धूमावती