गुप्त नवरात्रि और माँ दुर्गा साधना
प्रयोग
माघ मासीय गुप्त नवरात्रि निकट ही है। आप सभी को गुप्त नवरात्रि की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!
गुप्त नवरात्रि में साधना करने से फल अत्यन्त लाभदायक और तीव्र गति से प्राप्त होता है। यह इस वर्ष दिनांक २८.०१.२०१७ से शुरु होकर दिनांक ०५.०२.२०१७ तक रहेगी।
वैसे तो नवरात्रि में साधक अपनी सुविधा अनुसार कभी भी साधना कर सकता है, लेकिन नीचे दिए गए समय में करे तो साधना तीव्र गति से पूर्ण होती है और जल्दी ही फल की प्राप्ति होती है।
१. ब्रम्ह महूर्त में - सुबह ४ बजे से ६ बजे तक।
२. रात्रि १० बजे, ११ बजे या रात्रि १२ बजे के बाद।
हर इन्सान को अलग-अलग परेशानियों का सामना करना पड़ता है, किसी को प्यार नहीं मिलता तो किसी के पास पैसों की हमेशा तंगी बनी रहती है, किसी इन्सान की अभिलाषा या इच्छा पूरी नहीं होती। इन सब कारणों के लिए ही मैं आज कुछ अलग-अलग प्रयोग प्रस्तुत कर रहा हूँ। साधक अपनी इच्छा अनुसार प्रयोग चुन कर उसे सम्पन्न कर सकता है। साधक एक से अधिक प्रयोग भी कर सकता है। शक्ति साधनाओं का गुप्त नवरात्री के पर्व में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान होता है तो माँ की साधना करना अधिक लाभप्रद होगा। देवी शक्ति इस पर्व में चैतन्य होने के कारण साधना में सफलता मिलती ही है, इसमें कोई दो राय नहीं है।
१. धन प्राप्ति के लिए माँ भुवनेश्वरी
साधना प्रयोग
मन्त्र :---
।।श्रीं ह्रीं श्रीं।।
SHREEM HREEM SHREEM.
प्रयोग रात्रि में १० बजे के बाद कभी भी आरम्भ कर सकते हैं। दिशा उत्तर या पूर्व रहेगी। वस्त्र और आसान सफ़ेद रंग के होंगे। ऊपर दिए गए मन्त्र की ५१ मालाओं का जाप स्फटिक माला से करना है। अपने सामने माँ भुवनेश्वरी का चित्र स्थापित कर दें और उनका पूजन करके हाथ जोड़कर निम्नानुसार ध्यान करें-
ॐ उद्यद्दिनद्युतिं इन्दुकिरीटां तुंगकुचां नयनत्रययुक्तां।
स्मेरमुखीं वरदांकुशपाशाभीति करां प्रभजे भुवनेशीम्।।
फिर मन्त्र जाप आरम्भ कर दें। मन्त्र जाप खत्म होने पर हो सके तो १०१ बार शुद्ध घी से हवन कर दें।
यह प्रयोग एक ही दिन का है, लेकिन अगर आप चाहे तो पूरे ९ दिन तक कर सकते हैं। अगर आप ९ दिन तक यह साधना कर लेते हैं तो आपको सभी दिशाओं से शुभ सन्देश जल्द ही प्राप्त होते हैं। साधना पूरी होते ही आपको धन-प्राप्ति के नए मार्ग मिलने लगेंगे और आपके ऊपर माँ की कृपा दृष्टी बनी रहेगी।
२. माँ चण्डिका बाधा निवारक साधना
मन्त्र :---
।।ओम् चण्डिके फूं।।
OM CHANDIKE PHOOM.
प्रयोग ९ रात्रि का है। यह प्रयोग रात्रि १२ बजे के बाद से कभी भी शुरू कर सकते हैं। दिशा दक्षिण रहेगी। आसन और वस्त्र लाल रंग के इस्तेमाल करें। माँ चण्डिका की तस्वीर अपने सामने स्थापित कर उनका कुमकुम से पूजन करें और सरसों के तेल का दिया जलाएं। माला काली हकीक की इस्तेमाल करें और ऊपर दिए हुए मन्त्र का ३१ माला जाप करें। जाप खत्म होने पर १०१ बार सरसों के तेल से हवन करें।
इस प्रयोग से घर में किसी भी प्रकार की बाधाएँ हो तो उनका नाश हो जाता है और विजय की प्राप्ति होती है।
३. देवी कृपा प्राप्ति हेतु चामुण्डा प्रयोग
इस साधना को रात्रि में १० बजे के बाद शुरू करें। इसमें २ सुपारी को लेकर एक को काजल से पोत दें और दूसरी को सिन्दूर से। दोनों को इस तरह स्थापित करना है कि वह एक दूसरे को स्पर्श करती रहे और जुडी रहे। यह देवी चामुण्डा के दोनों रूपों का प्रतीक है। इनका पूजन करें और इसके बाद चामुण्डा मूलमन्त्र का ५१ माला जाप करें। इसे स्फटिक माला या किसी भी माला से जाप किया जा सकता है। इसमें वस्त्र और आसन लाल रहे, दिशा पूर्व रहे।
मन्त्र :---
।।ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डाये विच्चे।।
AYING HREENG KLEENG
CHAMUNDAAYE VICHCHE.
यह प्रयोग कमसे कम ५ दिन तक करते रहना चाहिए और किसी भी स्थिति में डरना नहीं चाहिए।आप चाहे तो इसे नौ दिन तक सम्पन्न कर सकते है। यूँ इस साधना को साहसिक व्यक्ति ही सम्पन्न करे तो ज्यादा उपयुक्त है।
अगर योग्य रूप से इस साधना को किया जाए तो देवी ५ दिन में बिम्बात्मक रूप में दर्शन देती ही है और देवी की कृपा बनी रहती है।
४. माँ दुर्गा सिद्ध बाधा-मुक्ति, धन-पुत्रादि प्राप्ति मन्त्र प्रयोग
मन्त्र :---
।।ॐ
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः
मनुष्यो मत्प्रसादेन
भविष्यति न संशयः।।
इस मन्त्र का जाप रोज १ माला करें। साधक चाहे तो मन्त्र जाप बढ़ा सकता है। यह क्रम ९ दिन तक नित्य रहें। आसन और वस्त्र लाल हों, माला स्फटिक की या रुद्राक्ष की हों। समय रात्रि १० बजे के बाद या सुबह ४ बजे के बाद रहें। इस प्रयोग से मनुष्य की सारी बाधाओं का नाश होता है और धन-धान्य,पुत्रादि की प्राप्ति होती है।
५. माँ दुर्गा सर्वकल्याणकारी
मन्त्र प्रयोग
मन्त्र
:---
।।ॐ सर्वमंगलमांगल्ये
शिवे सर्वार्थसाधिके
शरण्ये त्रयम्बके गौरि
नारायणि नमोस्तुते।।
यह माँ दुर्गा का सर्वकल्याणकारी एवं सिद्ध मन्त्र है और उनको अति प्रिय है। कोई भी शुभ काम करने से पूर्व इस मन्त्र का जप किया जाता है। इस मन्त्र का जप रोज १ या १ से आधिक माला करें।यह क्रम नौ दिन तक नित्य रहें। आसन-वस्त्र लाल रहें, जाप स्फटिक या रुद्राक्ष माला से करें। समय रात्रि १० बजे के बाद या सुबह ४ बजे का रहे।
६. दारिद्रय-दु:ख विनाश
मन्त्र प्रयोग
मन्त्र :---
।।ॐ दुर्गे स्मृता हरसि
भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव
शुभां ददासि
दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का
त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय
सदार्द्रचित्ता।।
यथासम्भव मन्त्र जाप करें, १ से अधिक माला जाप करें तो अत्यधिक प्रभावशाली रहेगा। माला कोई भी इस्तेमाल करे तो चलेगा। आसन और वस्त्र लाल ही रहे। रात्रि १० और ब्रम्ह-मुहूर्त में सुबह ४ बजे जाप करे तो अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध होगा।
७. तान्त्रोक्त चामुण्डा
नवार्ण वशीकरण प्रयोग
मन्त्र :---
।। वषट्
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे वषट् "अमुकं " मे वश्यं कुरु कुरु
स्वाहा ।।
वशीकरण का नाम सुनते ही लोग इसे खराब नजर से देखते हैं। अतः इन लोगों को लगता है कि वशीकरण का अर्थ है काला जादू। वशीकरण का अर्थ है किसी को अपने अनुकूल बनाना, उसका मन फेरना और उसमें अपने प्रति प्यार का भाव जगाना। लेकिन कई लोग इस विद्या का गलत उपयोग करते हैं, जिसके कारण वशीकरण कर्म का नाम खराब हो गया है।
हर इन्सान किसी ना किसी से प्यार करता ही है। हर इन्सान को किसी ना किसी से इज्ज़त या सम्मान की आशा होती है। संगठन में काम करने वाले कर्मचारियों को अपने सहकर्मियों से मदद और इज्ज़त की आशा होती है। इन सभी कारणों के लिए और आपसी प्रेम-सम्बन्ध बढ़ाने के लिए इस नवार्ण मन्त्र का प्रयोग आपके लिए लाभप्रद होगा।
यह मन्त्र माँ चामुण्डा का स्वयं सिद्ध तान्त्रोक्त मन्त्र है, इसका गलत उपयोग कदापि ना करे। अतः यह आपको हानि पहुँचा सकता है।
मन्त्र जाप से पहले स्नान कर लें, शुद्ध हो जाएं और
लाल वस्त्र पहन लें, फिर अपने घर में किसी शान्त स्थान पर
लाल आसन बिछा कर बैठ जाएं। सर्वप्रथम गणेश पूजन करें और एक माला "ॐ गं गणपतये
नमः" मन्त्र का जाप करें। फिर गुरु पूजन करें और एक माला गुरुमन्त्र का
जाप करें। अगर गुरु ना बनाया हो तो आप भगवान शिव को गुरु मान कर उनका पूजन करें और
एक माला "ओम नमः शिवाय" मन्त्र जाप करें। फिर गणेश जी और अपने गुरु से साधना में सफलता हेतु
आशीर्वाद लें। इसके बाद माँ दुर्गा का चित्र और माँ दुर्गा का सिद्ध यन्त्र अपने
सामने स्थापित कर दें, उनका पंचोपचार पूजन
करें, माँ को कुमकुम लगाएं, सरसों के
तेल का दिया जलाएं, अगरबत्ती या धूप जलाएं तथा तत्पश्चात
जिसको वश में करना है, उसका कोई चित्र अपने सामने रख दें,
अगर चित्र ना हो तो उस व्यक्ति का मन ही मन ध्यान करते रहें और
मन्त्र जपें। पूर्ण श्रद्धा भाव से एक ही बैठक में ऊपर दिए गए मन्त्र की २१ मालाएँ
जाप करें। "अमुक" की जगह उस व्यक्ति का नाम लें, जिसको आप वश में करना चाहते हैं। मन्त्र जाप के समय
अपने आसन से उठे नहीं और सिर्फ उसका ही ध्यान करें, जिसको आप
वश में करना चाहते हैं। मन्त्र जाप पूरा होने पर माँ के चरणों में मन्त्र जाप
समर्पित कर दें और उनसे साधना में सफलता की प्रार्थना करें।
इस प्रयोग के शुरुआत और आखिर में अगर आप माँ दुर्गा के सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का सम्पुट लगाएं तो यह अत्यधिक प्रभावशाली हो जाता है। इसके लिए आप गणेश और गुरु पूजन के बाद एक पाठ एवं अन्त में जाप पूरा होने के बाद कुञ्जिका स्तोत्र का एक पाठ करना ना भूले।
यह प्रयोग नवरात्रि काल में सतत नौ दिनों तक किया जाना चाहिए, तभी साधना का सम्पूर्ण लाभ मिल पाएगा।
८. सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र
प्रयोग
सुबह में ९ बार और रात्रि में ९ बार सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का पाठ करने से इंसान की हर अभिलाषा हर इच्छा निश्चित ही पूरी होती है।
स्नानादि कर पवित्र हो जाएं, फिर गणेश और गुरु पूजन कर लें तथा एक-एक माला गणेश एवं गुरुमन्त्र का जाप करें। उसके बाद माँ चामुण्डा (माँ दुर्गा) का पूजन कर लें।
फिर माँ के चित्र और यन्त्र के सामने "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" की १ माला जाप कर लें। उसके पश्चात माँ दुर्गा के सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का ९ बार पाठ करें।
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम्
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ।।१।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ।।२।।
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ।।३।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्धयेत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।।४।।
अथ मन्त्र:
।।ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल
प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट स्वाहा।।
इति मन्त्रः
नमस्ते रुद्ररुपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ।।१।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि ।।२।।
जाग्रतं हि महादेवी जपं सिद्धं कुरुष्व मे ।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।।३।।
क्लींकारी कामरुपिण्यै बीजरूपे नमोस्तुते ।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।।४।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ।।५।।
धां धीं धूं धुर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवी शां शीं शूं मे शुभं कुरु
।।६।।
हुं हुं हुंकाररुपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ।।७।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धीजाग्रं धीजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।।८।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ।।
फलश्रुति
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्ति हेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ।।
यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिः अरण्ये रोदनं यथा ।।
। इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
इसके बाद पुन: एक माला "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" मन्त्र की जाप करें।
ऊपर दिए गए किसी भी प्रयोग को करने से पहले सारे नियमों का पालन करें। स्नान करके ही प्रयोग को करने बैठें, जितना हो सके उतना लाल रंग का इस्तेमाल करें। सभी प्रयोगों में एक समय हल्का भोजन, भूमि शयन, ब्रम्हचर्यव्रत का पालन, यथासम्भव कम वार्तालाप का पालन करे। घर में चप्पल न पहने और चमड़े का स्पर्श न करे। देवी को नित्य ताजे फल का भोग लगाएं।
हर प्रयोग के पहले और पूरा होने के बाद सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का सम्पुट लगाना ना भूले। इससे आपका प्रयोग और शक्तिशाली बन जाता है। प्रयोग के आखिर में नियम अनुसार हवन जरुर करें।
आज के लिए बस इतना ही
ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।।