मंगलवार, 3 जुलाई 2018

महागौरी सौन्दर्य साधना


महागौरी सौन्दर्य साधना


          आषाढ़ मासीय गुप्त नवरात्रि समीप ही है। यह १३ जुलाई २०१८ से शुरू हो रही है। आप सभी को गुप्त नवरात्रि की अग्रिम रूप से हार्दिक शुभकामनाएँ!

          माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है।  इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-सन्ताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।

          एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी, जिससे उनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिवजी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं, तब देवी विद्युत के समान अत्यन्त कान्तिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं। अतः इन्हें उज्जवल स्वरूप की महागौरी, धन-ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी, त्रैलोक्य पूज्या, मंगला, शारीरिक, मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया है। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शान्त और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं -----

सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।

          उत्पत्ति के समय यह आठ वर्ष की आयु की होने के कारण नवरात्रि के आठवें दिन पूजने से सदा सुख और शान्ति देती है। अपने भक्तों के लिए यह साक्षात् अन्नपूर्णा स्वरूप है। इसीलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं। यह धन वैभव और सुख शान्ति की अधिष्ठात्री देवी है। सांसारिक रूप में इनका स्वरूप बहुत ही उज्जवल, कोमल, श्वेतवर्णा तथा श्वेत वस्त्रधारी चतुर्भुज युक्त एक हाथ में त्रिशूल दूसरे हाथ में डमरू लिये हुए गायन संगीत की प्रिय देवी है, जो सफेद वृषभ यानि बैल पर सवार है।

          महागौरी जी से सम्बन्धित एक अन्य कथा भी प्रचलित है, इस कथा के अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहाँ पहुँचा, जहाँ देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, परन्तु वह देवी के तपस्या से उठने का इन्तज़ार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इन्तज़ार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं, क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।

          माँ महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए सर्वविध कल्याणकारी है। हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मन को अनन्य भाव से एकनिष्ठ होकर मनुष्य को सदैव इनके ही पादारविन्दों का ध्यान करना चाहिए।

          महागौरी भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती हैं। इनकी उपासना से आर्तजनों के असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। अतः इनके चरणों की शरण पाने के लिए हमें सर्वविध प्रयत्न करना चाहिए।

          पुराणों में माँ महागौरी की महिमा का प्रचुर आख्यान किया गया है। ये मनुष्य की वृत्तियों को सत्‌ की ओर प्रेरित करके असत्‌ का विनाश करती हैं। हमें प्रपत्तिभाव से सदैव इनका शरणागत बनना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

          वर्तमान समय बड़ा ही भाग-दौड़ का है, क्योंकि समय कम है और काम ज्यादा है, तो भागना तो होगा ही ना! लेकिन इस भाग-दौड़ में हमने प्रकृति में हर जगह प्रदूषण उत्पन्न कर दिया है। वायु दूषित, पानी दूषित और न जाने क्या-क्या कर चुके हैं हम प्रदुषण फ़ैलाने के लिए, पर हम भूल गए है कि इसका प्रभाव हमारे ही जीवन पर पड़ रहा है। हमारा मुख तेजहीन हो चुका है, नए-नए चर्म रोग हमें घेर रहे हैं, क्योंकि ओज़ोन परत कमज़ोर हो रही है और हमें झुलसा रही है। इसलिए जितना हो सके प्रदुषण को रोकें, वृक्ष लगाकर प्रकृति का सहयोग करें। परन्तु अभी जो हमारे शरीर का सौन्दर्य समाप्त हो रहा है इसका क्या करें?

          माना कि देह नश्वर है, परन्तु इसका मतलब यह तो नहीं है ना कि हम उसका ध्यान ही न रखें। यह नश्वर है तो साथ ही ईश्वर का दिया सबसे बड़ा उपहार भी है, जिसके माध्यम से हम मुक्ति को पा सकते हैं। तो आइये करें, महागौरी सौन्दर्य साधना और अपनी देह को आकर्षक तथा सुन्दर बनाएं।

साधना सामग्री :----------

ताम्र पात्र, हल्दी, एक सुपारी, तुलसी या चन्दन माला।

साधना विधि :----------

          साधना किसी भी नवरात्रि के पहले दिन से शुरू की जा सकती है। यदि यह सम्भव न हो तो किसी भी रविवार की रात्रि से आरम्भ करें। समय रात्रि १० के बाद का रहे। आपका मुख पूर्व या उत्तर की ओर हों। आपके वस्त्र तथा आसन सफ़ेद हों।

          सामने एक सफ़ेद कपडा बाजोट पर बिछाएं। अब उस पर माँ भगवती दुर्गा का चित्र स्थापित करें और माँ के चित्र के ठीक सामने एक ताम्रपात्र चावल की ढ़ेरी पर रखें और उसे पूरा हल्दी से भर दें। अब पात्र के ऊपर एक प्लेट में चावल की ढेरी बनाए और उसपर एक सुपारी स्थापित कर दे। घी का दीपक जलाकर धूप-अगरबत्ती लगा दे।

          साधक को चाहिए कि वह पहले गुरुपूजन एवं गणेश पूजन अवश्य करे। संक्षिप्त गुरुपूजन करने के बाद गुरुमन्त्र का चार माला जाप करे और सद्गुरुदेवजी से महागौरी सौन्दर्य साधना सम्पन्न करने हेतु मानसिक रूप से गुरु-आज्ञा लें तथा उनसे साधना की सफलता के निवेदन करे।

          फिर सामान्य गणेश पूजन करे और किसी गणेश मन्त्र का एक माला जाप करके उनसे साधना की निर्विघ्न पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          इसके बाद साधक साधना के पहले दिन संकल्प अवश्य लें। संकल्प में यह अवश्य बोलें कि मैं यह साधना अपने दैहिक सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए कर रहा हूँ।

          फिर हल्दी-पात्र का पूजन करे, फिर सुपारी को माँ महागौरी मानकर पूजन करे। माँ दुर्गा के चित्र का भी सामान्य पूजन करे, भोग पञ्च मेवे का लगाए।

          इस प्रकार पूजन के बाद निम्न मन्त्र की २१ माला जाप करे -----

मन्त्र :-----------

॥ ॐ क्लीं महागौरी महासुन्दरी माम् अखण्ड सौन्दर्य देहि-देहि नमः ॥


OM KLEEM MAHAAGAURI MAHAASUNDARI MAAM AKHAND SAUNDARYA DEHI-DEHI NAMAH.

          मन्त्र जाप के बाद फिर एक बार पुनः हल्दी-पात्र का पूजन करे और सुपारी का भी। पूजन के बाद समस्त जाप एवं पूजा कर्म एक आचमनी जल भूमि पर छोड़कर माँ भगवती महागौरी को ही समर्पित कर दे।

          इस प्रकार यह साधना नवरात्रि काल में ९ दिन तक करे। अन्य दिनों में लगातार ११ दिन करे। साधना समाप्ति के बाद अगले दिन पात्र के अन्दर की हल्दी निकाल ले और रोज़ इसका सेवन एक चुटकी मात्रा में करे। सेवन के पहले भी मन्त्र को २१ बार पढ़ ले। बाकि सभी सामग्री जल में विसर्जित कर दे। पात्र को रहने दे, यह अन्य साधना में प्रयोग किया जा सकता है और माला गले में धारण कर ले। प्रसाद रोज़ स्वयं ही खाए।

          आपकी साधना सफल हो और आपकी मनोकामना पूरी हो! मैं सद्गुरुदेव भगवान परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्दजी के आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

          इसी कामना के साथ

ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश ।।।


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