शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

स्वप्नेश्वर शिव साधना


स्वप्नेश्वर शिव साधना

          
                  भगवान शिव का परमप्रिय मास श्रावण मास समीप ही है। यह २८ जुलाई २०१८ से शुरू हो रहा है। आप सभी को शिव मास श्रावण मास की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ! 
        
                   शाबर मन्त्रों के साहित्य में कुछ ऐसे करिश्मे भी हैं कि जिनके बारे में जितना भी कहा जाए, कम ही है। तन्त्र क्षेत्र में मेरे प्रवेश के साथ ही मुझे सर्वप्रथम जो साधना प्राप्त हुई उसी दुर्लभ साधना को आज आप सब लोगों के समक्ष रख रहा हूँ। इस साधना को किए हुए आज कितने साल हो गए, न जाने कितनी साधनाएँ इस अवधि में की है, लेकिन आज इतने समय के बाद भी इसका प्रभाव अचूक है।

          स्वप्न तन्त्र के अनुसार शिव को स्वप्नेश्वर और शक्ति को स्वप्नेश्वरी की संज्ञा दी गई है। आदि देव एवं देवी स्वप्नों के अधिष्ठाता है। हमारे स्वप्न मात्र स्वप्न न होकर भविष्य के संकेत होते हैं। यह तो कई लोगों का अनुभव रहा ही होगा कि यदा-कदा साधनाओं के दरमियान ऐसे कई अनुभव और संकेत मिलना, देव दर्शन करना, मृत परिचितों को देखना, समस्याओं का समाधान मिलना, पूर्व जन्म देखना आदि से सहज ही समझा जा सकता है कि साधक के जीवन में स्वप्न की महत्ता क्या है?

          हमारे महर्षियों ने इस विषय पर पूर्ण शोध करके, स्वप्नों का विष्लेषण करके कई नए साधनात्मक एवं भौतिकता सम्बन्धी रहस्य प्रकट किए हैं। स्वप्नों में दिखाई देने वाली घटनाएँ स्थल, स्वप्नों का समय, उसके अनुसार नक्षत्र आदि सभी को जोड़कर निश्चित रूप से यह जाना जा सकता है कि आखिर स्वप्न के दृश्य का सही और सचोट संकेत किस घटना पर है? इसी विज्ञान के साथ जब तन्त्र को जोड़ा गया तो इसी में ही उद्भव हुआ स्वप्न तन्त्र का।

          स्वप्न तन्त्र के द्वारा हम तान्त्रिक प्रक्रियाओं और साधनाओं के द्वारा कई ऐसे कार्य कर सकते हैं, जिसे आश्चर्य ही कहा जा सकता है, जैसे कि स्वप्न के माध्यम से प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करना, स्वप्नों के संकेतों को समझना, स्वप्नों के द्वारा देव दर्शन करना आदि। तान्त्रिक ग्रन्थों में कई ऐसी साधनाएँ दी गई हैं, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति यह सब कर सकता है। विभिन्न साधनाओं का प्रयोजन विभिन्न रूप से होता आया है, जैसे कोई साधना के द्वारा प्रश्नों का उत्तर जाना जा सकता है या फिर कोई साधना के द्वारा स्वप्न में देव दर्शन सम्भव है।

          पर क्या कोई ऐसी भी साधना है, जिसके द्वारा पूरे स्वप्न शास्त्रों को एक ही बार में समझा जा सकें? हाँ, एक ऐसा ही साधना विधान आपके समक्ष नीचे पंक्तियों में प्रस्तुत किया जा रहा है।

          जब इसका प्रयोग होता है, तब रात्रि में स्वप्नावस्था में भोलेनाथ दर्शन देते हैं और आगे कौन-सी साधना साधक को फलीभूत होगी? उस विषय पर भी मार्ग दर्शन करते हैं। यह स्वप्न सिर्फ गुरु के सामने ही बताया जाता है और गुरु उस स्वप्न के संकेत से साधक को आगे की साधनाएँ प्रदान करते हैं।

                     अस्तु, यह प्रयोग कितना अधिक महत्त्व रखता है? यह तो इसी से ही समझा जा सकता है कि इस साधना के द्वारा कोई भी व्यक्ति अपने स्वप्न के माध्यम से प्रश्नों के जवाब प्राप्त कर सकता है। भोलेनाथ का स्वप्नेश्वर स्वरूप में दर्शन भी इसी के द्वारा सम्भव है। इस साधना की विशेषता यह भी है कि इसको करने से अपने आप ही स्वप्न के संकेतों को समझने का ज्ञान हो जाता है और भविष्य में वो उसके हर एक स्वप्नों को समझते हुए सचेत होता हुआ अपने मार्ग पर गतिशील रहता है।

          यह साधना तीन चरणों में सम्पन्न होती है -----

१. स्वप्नेश्वर शिव के दर्शन हेतु :--- ११ माला मन्त्रों के जाप को ११ रात्रि तक नित्य जाप करे।

२. पूर्ण सिद्धि के लिए (स्वप्न शास्त्र के ज्ञान के लिए) :--- उपरोक्त पद्धति से ११ माला ११ दिन का एक अनुष्ठान होता है। ऐसे तीन अनुष्ठान पूर्ण करने से पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है।

३. स्वप्न में प्रश्न का जवाब प्राप्त करने के लिए :--- १०८ (१ माला) मन्त्रों को ११ रात्रि तक जाप करे।

साधना विधान :------------

          यह साधना आप  श्रावण मास  में  सम्पन्न  करें और सोमवार से शुरू करे। इसमें सिर्फ रुद्राक्ष माला का ही प्रयोग होता है। रात्रि के ११ बजे बाद स्नान करके ही यह साधना करे। आसन कोई भी हो, दिशा उत्तर रहे। अपने सामने बाजोट पर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर उसपर कोई भी शिवलिंग स्थापित करें। यदि पारद शिवलिंग हो तो अधिक उचित रहेगा।

          सबसे पहले मानसिक रूप से गुरु पूजन करके गुरुमन्त्र का कम से कम चार माला जाप करें। फिर सद्गुरुदेवजी से साबर स्वप्नेश्वर शिव साधना सम्पन्न करने हेतु मानसिक रूप से गुरु-आज्ञा लें और उनसे साधना की पूर्णता एवं सफलता के लिए निवेदन करें।

          तत्पश्चात सामान्य गणपति पूजन सम्पन्न करें और किसी भी गणपति मन्त्र का एक माला जाप करें। फिर भगवान गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          तदुपरान्त साधक को चाहिए कि वह संकल्प अवश्य लें। फिर हर रोज़ संकल्प लेने की आवश्यकता नहीं होती है।

          इसके बाद साधक भगवान शिव का सामान्य पूजन करें और नेवैद्य में कोई भी मिठाई अर्पण करें। फिर भगवान शिव एवं गुरु को साक्षी मानकर उनसे आज्ञा लेकर साधना शुरू करे।

स्वप्नेश्वर शिव साबर मन्त्र :-----------

।। ॐ नमोSजाय त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने वामाय विश्वरूपाय स्वप्नाधिपतये नमः मम स्वप्ने कथय मे तथ्यं सर्व कार्येष्वशेषत: क्रिया सिद्धिं विधास्यामि त्वत्प्रसादान् महेश्वरः ।।

OM NAMOAJAAY TRINETRAAY PINGALAAY MAHAATMANE VAAMAAY VISHWAROOPAAY SWAPNAADHIPATAYE NAMAH MAM SWAPNE KATAHAY ME TATHYAM SARV KAARYESHWASHESHATAH KRIYA SIDDHIM VIDHAASYAAMI TVAT PRASAADAAN MAHESHWARAH.

          अगर स्वप्न में किसी प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हों तो उस रोज़ जाप सम्पन्न करने के बाद उस प्रश्न को मानसिक रूप से दोहराएं और स्वप्नेश्वर से जवाब प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।

          इस साधना के दरम्यान रात्रि में एक बार नींद उड़ जाती है और कुछ मिनटों तक नींद नहीं आती है। फिर पूर्ण निद्रा का आभास होता है, पर कुछ ही समय में नींद आ जाती है, ऐसा निश्चित रूप से होता ही है। प्रश्न का जवाब मिले तो इस कार्य काल में लिख ले वर्ना सुबह तक वो जवाब भूल जाएंगे।

          मेरी यह हार्दिक इच्छा रहेगी कि सभी गुरु भाई-बहिन एक न एक बार इस साधना को सम्पन्न ज़रूर करे।

          आज के लिए बस इतना ही

।। ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश ।।


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