गुरुवार, 8 मार्च 2018

तान्त्रोक्त नवदुर्गा साधना विधान

तान्त्रोक्त नवदुर्गा साधना विधान



                   वासन्तीय (चैत्र) नवरात्रि पर्व समीप ही है। यह १८ मार्च २०१८ से आरम्भ हो रहा है। इसी दिन से हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत २०७५ शुरू हो रहा है। आप सभी को हिन्दू नववर्ष एवं चैत्र नवरात्रि की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

          नवरात्र चार प्रकार के होते हैं, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होने वाले बासन्तीय नवरात्र शयन कहलाते हैं। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरम्भ होने वाले शारदीय नवरात्र बोधन कहलाते हैं। इनके अतिरिक्त दो गुप्त नवरात्र भी होते हैं, प्रथम आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से तथा द्वितीय माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होते हैं। चारों ही नवरात्रों में भगवती दुर्गा की आराधना होती है।

          श्रीमद्भागवत् पुराण में भी उल्लेख है कि भगवान श्रीराम को भी रावण को पराजित करने के लिए माँ भगवती की शरण में जाना ही पड़ा था। "नवशक्तिभिः संयुक्त नवरात्रं तदुच्यते" अर्थात देवी की शक्ति इस अवसर पर एक महाशक्ति का रूप धारण करती है, इसलिए इसे नवरात्रि कहते हैं। नवरात्रि में नवीन ऊर्जा साधक साधना से ही प्राप्त करता है।

          नवरात्रों में माँ भगवती दुर्गा देवी के पृथक-पृथक रूपों की पृथक-पृथक प्रकार से पूजा करने से साधक को पूर्ण फल प्राप्त होता है। देवी की नौ मूर्तियाँ हैं, जिन्हें नव दुर्गा कहते हैं। इनके पृथक-पृथक नाम हैं, जिनका उल्लेख विभिन्न ग्रन्थों में मिलता है तथा जिनकी पूजा-अर्चना करने का विधान भी विभिन्न विद्वानों व महात्माओं ने उल्लेखित किया है।

           नवरात्रि काल में साधारणतः नवदुर्गा  पूजा व साधनाएँ साधकजन किया करते हैं और उन्हीं नव दुर्गाओं के मन्त्र भी जपा करते हैं। किन्तु हम तान्त्रिक हैं और तान्त्रिक साधनाएँ ही करते हैं वैदिक साधना नहीं, क्योंकि भगवान शिव ने भी यही कहा है कि  कलियुग में केवल तान्त्रिक मन्त्र और साधनाएँ ही पूर्ण फल प्रदान करने में सक्षम होंगे।

          और इसी कारण ही अब की बार नवरात्रि में नवदुर्गाओं की जो तत्व है, उसी तत्व स्वरूपी महामाया शक्ति की उन विशिष्ट शक्तिओं की ही पूजा व जाप मन्त्र प्रस्तुत कर रहा हूँ।

          और यह सभी मन्त्र नवदुर्गा के मन्त्र से सर्वथा भिन्न है, क्योंकि मुझे लगता है कि नवदुर्गा के अर्थ को समझ कर अगर उसके सार तत्व को ही साधा जाए तो उत्तम होगा। क्योंकि तन्त्र यह कहता है कि यही वो नवनिधि है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में आता है। माँ भगवती की कृपा से आप सब भी नवनिधि सम्पन्न हों, यही कामना करते हुए आप के सामने यह पोस्ट को रख रहा हूँ।

          इन शक्तिओं की मन्त्र साधना आप नवरात्रि के दौरान कर सकते हैं।

साधना विधान :----------

          यह साधना आप किसी भी नवरात्रि के प्रथम दिवस से आरम्भ कर सकते हैं। रात्रि काल में ९ बजे के बाद साधना शुरु की जा सकती है।

          साधक को चाहिए कि वह स्नान करके लाल वस्त्र धारण कर ले और लाल आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए। अब किसी बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी एवं माँ भगवती दुर्गा का चित्र स्थापित कर दें। चित्र के सामने किसी थाली में नौ दीपकों में शुद्ध घी डालकर स्थापित कर दें। इसके साथ ही धूप-अगरबत्ती भी प्रज्ज्वलित कर दें।

          सर्वप्रथम पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का संक्षिप्त पूजन करके गुरुमन्त्र की चार माला करें। फिर सद्गुरुदेवजी से तान्त्रोक्त नवदुर्गा साधना सम्पन्न करने की आज्ञा लेकर उनसे साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए निवेदन करें।

          इसके बाद भगवान गणपतिजी का स्मरण करके किसी भी गणपति मन्त्र का एक माला जाप करें। फिर भगवान गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          तदुपरान्त भगवान भैरवनाथजी का स्मरण करके "ॐ भं भैरवाय नमः" मन्त्र की एक माला जाप करें। फिर भगवान भैरवनाथजी से साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          इसके बाद साधक को चाहिए कि वह साधना के पहले दिन संकल्प अवश्य लें। फिर प्रतिदिन संकल्प लेना आवश्यक नहीं है।

          अब थाली में स्थापित उन नौ दीपकों को माँ नवदुर्गा का स्वरूप मान कर सामान्य पूजन करें और यथाशक्ति भोग अर्पित करें।

          इसके बाद नवरात्रि के पहले दिन माँ भगवती शैलपुत्री के निम्नलिखित मन्त्र का रुद्राक्ष अथवा लाल चन्दन माला से २१ माला जाप करें। माँ शैलपुत्री, जो  त्रैलोक्य मोहन कार्य अर्थात तीनों लोकों को मोहित कर देने वाली शक्ति है -----

मन्त्र :----------

।। ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सर्वजन मनोहारिणी नमः स्वाहा ।।

AYIEM HREEM KLEEM SHREEM SARVAJAN MANOHAARINNI NAMAH SWAAHA.

          २१ माला जाप के उपरान्त समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के दूसरे दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती ब्रह्मचारिणी के निम्न मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ ब्रह्मचारिणी, जो समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाली शक्ति है -----

मन्त्र :----------

।। ऐं क्लीं सौः कामेश्वरीच्छा कामफल प्रदे देवी नमः स्वाहा ।।

AYIEM KLEEM SOUH KAAMESHWARI ICHCHHA KAAMPHAL PRADE DEVI NAMAH SWAHA.

          २१ माला जाप के पश्चात समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के तीसरे दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती चन्द्रघण्टा के नीचे दिए गए मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ चन्द्रघण्टा, जो समस्त प्रकार के पापों का हनन करने वाली शक्ति है -----

मन्त्र :----------

।। श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं सर्वपापसंहारिके देवी नमः स्वाहा ।।

SHREEM KLEEM HREEM AYIEM SARVPAAP SANHAARIKE DEVI NAMAH SWAAHA.

          २१ माला जाप के बाद समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के चौथे दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती कूष्माण्डा के नीचे दिए गए मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ कूष्माण्डा, जो सर्व सौभाग्य प्रदान करने वाली शक्ति है -----

मन्त्र :----------

।। ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौः सर्वसौभाग्य प्रदायिनी देवी नमः स्वाहा ।।

AYIEM HREEM SHREEM KLEEM SOUH SARVSOUBHAAGY PRADAAYINI DEVI NAMAH SWAAHA.

          २१ माला जाप के उपरान्त समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के पाँचवें दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती स्कन्दमाता के निम्नलिखित मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ स्कन्दमाता, जो समस्त प्रकार के कार्यों को सिद्ध करने वाली शक्ति है, चाहे वो शान्ति कर्म हो या मारण कर्म -----

मन्त्र :----------

।। ऐं ईं हौं सः कामत्रिपुराय नमः स्वाहा ।।

AYIEM EEM HOUM SAH KAAM TRIPURAAY NAMAH SWAAHA.

          २१ माला जाप के पश्चात समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के छठवें दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती कात्यायनी के निम्न मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ कात्यायनी, जो सर्व प्रकार से साधक की रक्षा करने वाली शक्ति है -----

मन्त्र :----------

।। ॐ ह्रीं महायक्षीश्वरी रक्षय रक्षय मम शत्रुणाम भक्षय भक्षय स्वाहा ।।

OM HREEM MAHAAYAKSHEESHWARI RAKSHAY RAKSHAY MAM SHATRUNNAAM BHAKSHAY BHAKSHAY SWAAHA.

          २१ माला जाप के बाद समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के सातवें दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती कालरात्रि के नीचे दिए गए मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ कालरात्रि, जो समस्त प्रकार के रोगों का नाश करने वाली शक्ति है -----

मन्त्र :----------

।। ॐ कालि कालि कालरात्रिके मम सर्व रोगान छिन्धि छिन्धि  भिन्दी भिन्दी भक्षय भक्षय नमः स्वाहा ।।

OM KAALI KAALI KAALRAATRIKE MAM SARVROGAAN CHHINDI CHHINDI BHINDI BHINDI BHAKSHAY BHAKSHAY NAMAH SWAAHA.

          २१ माला जाप के उपरान्त समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के आठवें दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती महागौरी के निम्नलिखित मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ महागौरी, जो समस्त प्रकार के आनन्द को देने वाली शक्ति है -----

मन्त्र :----------

।। ह्रीं क्लीं ॐ सर्व आनन्द प्रदायिने  नित्य मदद्रवे स्वाहा ।।

HREEM KLEEM OM SARV AANAND PRADAAYINE NITYA MADDRAVE SWAAHA.

          २१ माला जाप के पश्चात समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          नवरात्रि के नौवें दिन ऊपर बताई गई विधि अनुसार गुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरव पूजन एवं नवदुर्गा पूजन सम्पन्न करके माँ भगवती सिद्धिदात्री के निम्न मन्त्र की उसी माला (रुद्राक्ष या लाल चन्दन) से २१ माला जाप करें। माँ सिद्धिदात्री, जो समस्त प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाली देवी है -----

मन्त्र :----------

।। स्त्रीं हूँ  फट क्लीं ऐं तुरे तारे कुल्ले कुरु कुल्ले नमः स्वाहा ।।

STREEM HOOM PHAT KLEEM AYIEM TURE TAARE KULLE KURU KULLE NAMAH SWAAHA.

          २१ माला जाप के बाद समस्त जाप एक आचमनी जल छोड़कर माँ भगवती नवदुर्गा को समर्पित कर दें।

          साधना काल में साधक के गले में रुद्राक्ष होना अनिवार्य है। नौ दिनों तक लगातार इन्हीं दीपकों को प्रज्ज्वलित कर साधना करना होता है। यह दीपक बदलना नहीं है, बस बत्ती छोटी हो जाय तो उसे बदल देना चाहिए। इस प्रकार एक-एक करके नौ दिनों में नौ मन्त्रों का जाप पूरा हो जाता है।

          इसके बाद दशमी को सभी सामग्री, दीपक, फोटो को विसर्जन कर दें, माला को नहीं। किसी कुमारी कन्या को भोजन करवाकर उनसे आशीर्वाद लें या फिर किसी अनाथ आश्रम में पैसे दान कर दें। अगर आप किसी जरुरतमन्द को भी दान कर देते हैं तो भी विधान पूर्ण माना जाएगा।

          आपकी साधना सफल हो और यह नवरात्रि आपके लिए मंगलमय हो! मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

          इसी कामना के साथ

ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश ।।।

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