बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

साबर भैरव तन्त्र प्रयोग

साबर भैरव तन्त्र प्रयोग



          होली पर्व समीप ही है। इस बार १ मार्च २०१८ को होलिका दहन होगा एवं २ मार्च २०१८ को धुलैंडी (होली) मनाई जाएगी। आप सभी को होली पर्व की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

          होली के पर्व को सभी साधनाओं के लिए श्रेष्ठ माना गया है। यह पर्व वर्ष में एक ही बार आता है, परन्तु साधकों को इस पर्व की प्रतीक्षा वर्ष भर रहती है। होली की रात्रि को साधना सम्पन्न करने पर निश्चय ही कार्य सिद्धि होती है। तन्त्र के ग्रन्थों में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि जो साधक साधना में पूर्ण सफलता, श्रेष्ठता व सिद्धि प्राप्त करना चाहता हो, उसे होली जैसे महत्वपूर्ण पर्व को व्यर्थ में गँवाना नहीं चाहिए।

          रूद्रयामल तन्त्र में कहा गया है कि यदि होली की रात्रि को किसी भी प्रकार की तान्त्रिक साधना सम्पन्न की जाए तो उसमें अवश्य ही सिद्धि मिलती है। संसार में ऐसी कोई साधना नहीं है जो होली की रात्रि को सिद्ध नहीं हो सकती। एक तरफ जहाँ यह पर्व तान्त्रिकों के लिए वरदान तुल्य है, वहीं साधकों के लिए भी यह दिन श्रेयस्कर व सिद्धिप्रद है। इस दिन साधना सम्पन्न करने पर सफलता अवश्य मिलती है।

          यूँ तो होली की रात्रि को मन्त्रात्मक व तन्त्रात्मक साधनाएँ सम्पन्न की ही जाती है, परन्तु जितना मन्त्र व तन्त्र साधना का महत्व है, उतना ही महत्व साबर मन्त्रों का भी है। साधक चाहे तो इस पर्व पर साबर मन्त्रों का उपयोग कर साधनाओं में सिद्धि सफलता प्राप्त कर सकता है। साबर साधनाओं का तात्पर्य उन मन्त्रों से है, जो मन्त्र संस्कृत में नहीं लिखे गए हैं, अपितु सरल भाषा में प्रकट हुए हैं। गुरू गोरखनाथ व उसके बाद को आचार्यों ने जनहित में साबर साधनाओं का प्रसार किया था। साबर साधनाओं के माध्यम से उसी प्रकार से सफलताएँ पाई जा सकती हैं, जिस प्रकार तन्त्र साधना से। यद्यपि ये मन्त्र दिखने में सरल, सामान्य व देवनागरी लिपि में लिखे हुए प्रतीत होते हैं, परन्तु इन मन्त्रों में इतनी क्षमता है कि ये सिद्धि प्रदान कर सकें।

          अनेक योगियों ने समय-समय पर साबर साधनाओं को अपनाया व इनसे विशेष सफलताएँ प्राप्त कीं। अधिकतर इनमें ऐसी साधनाएँ हैं, जो कम पढ़ा-लिखा साधक भी सम्पन्न कर सकता है। इन साधनाओं के लिए विशेष प्रकार के विधि-विधान, पूजन-अर्चन, माला या विशेष मन्त्र जप के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती। इनके कुछ क्रियात्मक पक्ष हैं, कुछ प्रयोग व मन्त्रों का जप करने पर तुरन्त सफलता प्राप्त हो जाती है।

          होली एक ऐसा दिवस होता है, जिस दिन तन्त्र अपने चरम पर होता है। आप में से कई साधकों ने इस दिन के लिए विधान माँगा था। अतः होली पर किये जाने वाला एक प्रयोग यहाँ दिया जा रहा है। इस प्रयोग के माध्यम से साधक अपनी दरिद्रता, रोग, शत्रु कष्ट आदि का निवारण कर सकता है।

         प्रस्तुत प्रयोग भगवान भैरव से सम्बन्धित है। अतः इसका प्रभाव भी अचूक है। मैंने कई बार कहा है कि जब भी आप कोई साधना करें तो उसे पूर्ण मनोभाव के साथ ही करे अन्यथा ना करें। क्यूँकि आसन पर बैठकर इष्ट की जगह संसार का ध्यान करेंगे तो सफलता सौ जन्मों तक प्राप्त नहीं होगी।अतः जब आप होली पर इस दिव्य प्रयोग को करें तो पूर्ण एकाग्रता के साथ ही करें। वैसे तो इस प्रयोग से सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं, जैसे :-----

१. दरिद्रता का नाश हो जाता है।
२. धन आगमन के मार्ग खुलने लगते हैं।
३. शत्रु द्वारा दिए जा रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है।
४. गम्भीर रोग स्वतः शान्त हो जाते हैं।

          और जीवन से जुड़ी हर समस्या का निवारण इस एक दिवसीय साधना से हो जाता है। प्रस्तुत प्रयोग आपको १ मार्च २०१८ की रात्रि १० के बाद आरम्भ करना है।

साधना विधान :-----------

          सर्वप्रथम साधक स्नान कर उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठ जाएं। इस साधना में आसन एवं वस्त्र लाल रंग के प्रयुक्त होंगे। अपने सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दें तथा उस पर पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का चित्र स्थापित स्थापित कर दें। गुरु चित्र के समक्ष काले तिल की एक ढेरी बना दें। इस पर एक सुपारी सिन्दूर से रंजित करके स्थापित करें। जिनके पास स्वर्णाकर्षण भैरव गुटिका हों, वे लोग गुटिका पर सिन्दूर लगाकर स्थापित करें। धूप-अगरबत्ती एवं तिल के तेल का प्रज्ज्वलित कर दें।

          अब सबसे पहले साधक पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का ध्यान करके संक्षिप्त गुरुपूजन सम्पन्न करें और गुरुमन्त्र का चार माला जाप करें। फिर सद्गुरुदेवजी से साबर भैरव प्रयोग सम्पन्न करने हेतु मानसिक रूप से गुरु-आज्ञा लेकर उनसे साधना की पूर्णता तथा सफलता के लिए निवेदन करें।
      
         तदुपरान्त साधक भगवान गणपतिजी का स्मरण करके सामान्य गणेश पूजन सम्पन्न करे। फिर किसी भी गणपति मन्त्र का एक माला जाप करें और गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें।

         इसके बाद सुपारी या गुटिका का सामान्य पूजन करें। भोग में तले हुए पापड़, उड़द के ३ बड़े रखें। तत्पश्चात अपने जीवन से सभी बाधाओं की निवृत्ति हेतु तथा साधना मार्ग में प्रगति हेतु आप यह साधना कर रहे हैं, ऐसा संकल्प लें।

          अब साधक मन्त्र जाप आरम्भ करे। इसमें माला का प्रयोग नहीं होगा। जाप करते समय भैरव के समक्ष एक कटोरा रखे और अपने पास काले तिल, काली मिर्च, काले उड़द  तीनों को समान भाग में मिलाकर किसी अन्य पात्र में रखे। अब थोड़ी-सी सामग्री ले और अपने मस्तक पर स्पर्श कराएं। स्पर्श करते समय शाबर भैरव मन्त्र पढ़ते रहें, मन्त्र पूर्ण होते ही यह सामग्री भैरव के समक्ष रखे कटोरे में डाल दें। इस प्रकार यह क्रिया एक घण्टे तक करे।

साबर भैरव मन्त्र :-----------

    ।। हूं हूं हूं भैरो दरिद्रता नासै,
    रोग नासै, शत्रु नासै, नासै सगली  पीड़ा,
    सुख बरसे, सफल होय कारज डाले भैरो रक्षा घेरा,
    आदेश आदेश आदेश आदि गुरु को आदेश ।।

          जब मन्त्र जाप की क्रिया सम्पन्न हो जाए, तब भैरव के समक्ष कटोरे में जो सामग्री एकत्रित हुई है, उसे घी में मिला ले और मन्त्र पढ़ते हुए अग्नि में  १०८ आहुति प्रदान करे। सामग्री जरा भी न बचाए, अगर आहुति के बाद भी बच जाए तो बाद में सभी सामग्री अग्नि में डाल दे।

          भगवान भैरव से प्रार्थना कर आशीर्वाद प्राप्त करे और रात्रि में ही बाजोट पर बिछा वस्त्र, सुपारी, भोग की वस्तुएँ आदि किसी वृक्ष के नीचे रख आए। पीछे  मुड़कर न देखें, घर आकर स्नान करे। हवन की भस्म आदि भी अगले दिन कहीं विसर्जित कर दे।

          इस प्रकार यह प्रयोग सम्पन्न होता है। साधक को बाद में भी नित्य २१ बार मन्त्र का पाठ करना चाहिए। इससे प्रयोग की तीव्रता दिन-प्रतिदिन बढ़ती रहती है तथा प्रयोग से सम्बन्धित सभी लाभ साधक को शीघ्रता से प्राप्त होते है।

                   यदि आप स्वर्णकर्षण भैरव गुटिका का प्रयोग करें तो साधना के तुरन्त बाद गुटिका को नीम्बू और नमक मिश्रित जल में डुबो दे २४ घंटे के लिए। इसके बाद धोकर शिवलिंग से स्पर्श कराकर पुनः सुरक्षित रख ले। इसी गुटिका पर भविष्य में पुनः साधना की जा सकती है। 

          आप सभी की होली मंगलमय हो और आपकी साधना सफल हो। मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

          इसी कामना के साथ


ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।।।

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