रविवार, 21 जनवरी 2018

दरिद्रता नाशक भुवनेश्वरी साधना

दरिद्रता नाशक भुवनेश्वरी साधना
(ग्रहण काल का अचूक प्रयोग)


          अगर मन्त्र साधना उपयुक्त समय अथवा दिवस पर की जाए तो उसका प्रभाव स्वतः ही कई गुना बढ़ जाता है। अतः साधना क्षेत्र में विभिन्न दिवसों का महत्व विस्तार पूर्वक समझाया गया है और इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि महोरात्रि (शिवरात्रि), क्रूर रात्रि (होली), मोह रात्रि (जन्माष्टमी) एवं काल रात्रि (दीपावली), कुछ ऐसे विशेष पर्व हैं, जो कि साधना के क्षेत्र में अद्वितीय है, जिनका महत्व हर योगी, यति, साधक भली प्रकार से जानता एवं समझता है।

          परन्तु जहाँ हमारे शास्त्रों ने इन जैसे अनेक पर्वों को सराहा है, प्राथमिकता दी है, वहीं उन्होंने कुछ विशेष पर्वों को अति शुभ एवं साधना और तन्त्र क्षेत्र में सर्वोपरि माना है। ये पर्व हैं सूर्य ग्रहण तथा चन्द्र ग्रहण।

          ग्रहण की महत्ता इसलिए सर्वाधिक है, क्योंकि उस समय कुछ इस प्रकार का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव पैदा होता है, जो साधना से प्राप्त होने वाले फल को कईं गुना बढ़ा देता है।

          ग्रहण काल के दौरान किए गए मन्त्र जाप सामान्य रूप से किए गए लाख जपों के बराबर होते हैं। उस दिन दी गई एक आहुति भी हज़ार आहुतियों के समान फल देती है।

          इस बार चन्द्र ग्रहण ३१ जनवरी २०१८ को है और चूँकि ज्योतिष के अनुसार चन्द्र एवं सूर्य मुख्य ग्रह है। अतः इस काल का मानव जीवन के साथ-साथ समस्त संसार पर भी निश्चित प्रभाव पड़ता है।

          चन्द्रमा मन, भावना, कल्पना शक्ति, ऐश्वर्य, संगीत, कला, धन, वैभव, सौन्दर्य, माधुर्य, तीव्र बुद्धि, चरित्र, यश, कीर्ति आदि का ग्रह है। अतः इसके द्वारा जब ग्रहण निर्मित होता है तो उपरोक्त बातों का प्राप्ति के लिए व्यक्ति चाहे तो इस दिवस का लाभ उठाकर उचित साधना सम्पन्न कर सकता है और इच्छित सफलता प्राप्त कर सकता है।

         वैसे तो ग्रहण के अवसर पर सम्पन्न करने के लिए शास्त्रों में अनेक विधान प्राप्त होते हैं, लेकिन जब बात आती है दरिद्रता नाश एवं धन-वैभव प्राप्ति की, तो माँ भगवती भुवनेश्वरी का नाम सबसे पहले आता है। यहाँ दरिद्रता नाशक भुवनेश्वरी साधना विधि प्रस्तुत की जा रही है।

          यह तो नाम से ही स्पष्ट है कि यह साधना कितनी महत्वपूर्ण है? जिस पर माँ भुवनेश्वरी की कृपा हो जाए, वह कभी दरिद्र नहीं रह सकता। क्यूँकि माँ कभी अपनी सन्तान को दुःखी नहीं देख सकती है। अतः ज्यादा न लिखते हुए विधान दे रहा हूँ।

साधना विधान :-----------

          यह साधना किसी भी ग्रहण काल (चन्द्र ग्रहण अथवा सूर्य ग्रहण) में की जा सकती है। साधक को चाहिए कि वह ग्रहण काल में स्नान कर सफ़ेद वस्त्र धारण करे और उत्तर दिशा की ओर मुख करके सफ़ेद आसन पर बैठ जाए।

          अब अपने सामने किसी बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछाए और उस पर पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का चित्र स्थापित करे। चित्र के समक्ष अक्षत से बीज मन्त्र "ह्रीं" लिखे और उस पर एक कोई भी रुद्राक्ष स्थापित करे।

          फिर सर्वप्रथम संक्षिप्त गुरुपूजन सम्पन्न करें और गुरुमन्त्र का एक माला जाप करके पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी से दरिद्रता नाशक भुवनेश्वरी साधना सम्पन्न करने की आज्ञा लें। फिर उनसे साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए निवेदन करें।

           इसके बाद भगवान गणपतिजी का स्मरण करके एक माला किसी गणपति मन्त्र का जाप करें। फिर गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          इसके बाद भगवान भैरवनाथजी का स्मरण करके एक माला किसी भी भैरव मन्त्र का एक माला जाप करें। फिर भैरवनाथजी से साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          अब जो रुद्राक्ष आपने स्थापित किया है, उसका सामान्य पूजन करें। फिर निम्न मन्त्र को पढ़ते जाएं और थोड़े-से अक्षत रुद्राक्ष पर अर्पण करते जाएं। यह क्रिया आपको २१ बार करनी है। अर्थात २१ बार मन्त्र पढ़ना होंगे और २१ बार अक्षत भी अर्पण करने होंगे।

।। ॐ ह्रीं भुवनेश्वरी इहागच्छ इहतिष्ठ इहस्थापय मम सकल दरिद्रय नाशय नाशय ह्रीं ॐ ।।

          अब पुनः रुद्राक्ष का सामान्य पूजन करके कोई भी मिठाई का भोग लगाएं, तिल के तेल का दीपक लगाएं। फिर बिना किसी माला के निम्न मन्त्र का लगातार २ घण्टे तक जाप करें और जाप करते वक़्त लगातार थोड़े अक्षत रुद्राक्ष पर अर्पण करते रहें -----

मूल मन्त्र :-----------

।। हूं हूं ह्रीं ह्रीं दारिद्रय नाशिनी भुवनेश्वरी ह्रीं ह्रीं हूं हूं फट् ।।

HOOM HOOM HREEM HREEM DAARIDRAY NAASHINI BHUVANESHWARI HREEM HREEM HOOM HOOM PHAT.

          साधना समाप्ति के बाद एक आचमनी जल छोड़कर समस्त जाप माँ भगवती भुवनेश्वरी को ही समर्पित कर दें।

          साधना के बाद भोग स्वयं खा लें और रुद्राक्ष को जल से स्नान कराकर लाल धागे में पिरो लें। फिर इस रुद्राक्ष को गले में धारण कर लें। साधना में प्रयुक्त हुए सारे अक्षत उसी वस्त्र में बाँध कर कुछ दक्षिणा के साथ देवी मन्दिर में रख आएं और दरिद्रता नाश के लिए माँ भगवती से प्रार्थना कर लें।

          यह साधना अद्भूत है। अतः स्वयं साधना सम्पन्न कर अनुभव प्राप्त करें। मन्त्र में जो बीजाक्षर प्रयुक्त हुए हैं, उन सभी बीजाक्षरों में मकार का उच्चारण होगा।

          आपकी साधना सफल हो और माँ भगवती भुवनेश्वरी आप सबका कल्याण कल्याण करे। मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

            इसी कामना के साथ


ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश ।।।

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