सोमवार, 9 अक्तूबर 2017

पद्मावती साधना

पद्मावती साधना


          पंंच दिवसीय दीपावली महापर्व समीप ही हैै। इस वर्ष १७ अक्टूबर २०१७ धन तेेेरस सेे इसका आरम्भ हो रहा है और २१ अक्टूबर २०१७ को भाई दूूज केे दिन इसका समापन होगा। आप सभी को दीपावली महापर्व की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

         तन्त्र कोई क्रिया धर्म या पद्धति नहीं है, अपितु व्यवस्थित रूप से मन्त्र साधना और सिद्धि प्राप्त करने का अधिकार है। ब्राह्मण ग्रन्थों में तन्त्र जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण बौद्ध और जैन ग्रन्थों में भी है, बल्कि जैन धर्म में तो तन्त्र को प्रमुखता दी गई है।

          जैन ग्रन्थों के अध्ययन से पता चलता है कि मानसिक शान्ति एवं आत्मा की पवित्रता पर जितना ज़ोर दिया है, उतना ही तन्त्र साधना पर भी महत्व प्रदर्शित किया है। श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही सम्प्रदायों तन्त्रात्मक मन्त्र पद्धति को विशेष महत्व दिया है।

          पद्मावती साधना मूलतः जैन साधना है, यद्यपि इसका उल्लेख "मन्त्र महार्णव" एवं अन्य तान्त्रिक-मान्त्रिक ग्रन्थों में भी आया है, परन्तु इसका सांगोपांग विस्तार से विवेचन जैन ग्रन्थों में ही पाया जाता है। जैन समाज में दीपावली की रात्रि को देवी पद्मावती की साधना-पूजन तो प्रत्येक व्यक्ति करता ही है।

          वस्तुतः रहस्य की बात यही है कि पद्मावती साधना एवं पूजन पद्धति के प्रभाव से ही आज जैन सम्प्रदाय के लोग समाज में उच्च पदों पर आसीन है अथवा बड़े-बड़े उद्योगों व व्यापारों में संलग्न हैं। प्रतिष्ठा और सम्पदा तो जैसे इन्हें विरासत से ही मिलती है।

          जैन धर्म मूलतः अहिंसा, शान्ति, प्रेम, सदाचार और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रेरक धर्म रहा है, परन्तु इसके उपरान्त भी पद्मावती साधना के महत्व तो जैन मुनियों ने मुक्त कण्ठ से स्वीकारा है तथा इसके बारे में कहा है कि पद्मावती साधना तो अत्यन्त उच्चकोटि की साधना है, जिसे प्रत्येक गृहस्थ को सम्पन्न करनी ही चाहिए। चाहे वह किसी भी जाति की हो, धर्म का हो, देवी की कृपा तो उसे प्राप्त होती ही है।

          एक उच्चकोटि के जैन उद्योगपति से बातचीत करने के प्रसंग में उन्होंने स्पष्ट किया कि दीपावली की रात्रि को हम लक्ष्मी पूजन अवश्य करते हैं और पण्डित बुलाते भी हैं, परन्तु पण्डितजी के जाने के बाद अर्द्ध रात्रि को बिल्कुल गोपनीय ढंग से पद्मावती साधना और पद्मावती पूजन विधि-विधान के साथ करते हैं तथा इसी साधना के बल पर हमारा सारा समाज इतना अधिक समृद्ध एवं व्यापारिक दृष्टि से पूर्ण है।

          इस साधना को कोई भी जाति या वर्ग का साधक सम्पन्न कर सकता है, परन्तु मैंने अनुभव किया है कि व्यापार वृद्धि, आर्थिक उन्नति एवं सभी दृष्टियों से पूर्णता प्राप्त करने में इससे श्रेष्ठ न तो अन्य कोई मन्त्र है और न कोई साधना विधि ही। इसका प्रभाव और चमत्कार तुरन्त प्राप्त होता है एवं इससे शीघ्र सिद्धि अनुभव होती है।

          जिन लोगों का व्यापार गति नहीं पकड़ पाता है अथवा किसी भी कारण से व्यापार में हानि होने लगती है तो ऐसे लोगों  को माँ भगवती पद्मावती की साधना करनी चाहिए।

साधना विधान :-----------

          माँ पद्मावती के किसी भी मन्त्र में मुख्य रूप से मृत्तिका (मिट्टी) के मनकों का प्रयोग होता है। अतः दीपावली से पहले ही चिकनी मिट्टी को गीला करके उसकी ११९ गोलियाँ बनाकर सुखा लें।

          दीपावली की रात्रि में स्नान आदि से निवृत्त होकर सफ़ेद वस्त्र धारण कर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके सफ़ेद आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने सफ़ेद वस्त्र से ढँके बाजोट पर गुरु चित्र, गुरु यन्त्र या गुरु चरण पादुका, जो भी आपके पास उपलब्ध हो, उसे स्थापित करें। इसके साथ ही चित्र, यन्त्र या पादुका समक्ष बाजोट पर ही जौ की एक ढेरी बनाकर उस पर एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फिर धूप-अगरबत्ती जलाकर संक्षिप्त गुरुपूजन सम्पन्न करें।
          इसके बाद गुरुमन्त्र मन्त्र की कम से कम चार माला जाप करें और पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी से पद्मावती साधना सम्पन्न करने की अनुमति लेकर उनसे साधना की निर्बाध पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          तदुपरान्त सामान्य गणपति पूजन करके एक माला किसी भी गणपति मन्त्र का जाप करें। फिर भगवान गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          इसके पश्चात भगवान भैरवनाथजी का स्मरण करके एक माला किसी भी भैरव मन्त्र का जाप करें और उनसे साधना की निर्बाध पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          तत्पश्चात साधक को साधना के पहले दिन संकल्प अवश्य लेना चाहिए। इसके बाद हर रोज़ संकल्प लेने की आवश्यकता नहीं होती है।

          आपने जौ की ढेरी पर जिस दीपक की स्थापना की है, उसको माँ भगवती पद्मावती मानकर सामान्य पूजन करें। तीव्र सुगन्ध की धूप-अगरबत्ती जलाकर एक रूई के फाहे पर कमल का इत्र डालकर अर्पित करें। साथ ही कोई भी मिठाई भोग में अर्पित करें।

           फिर साधक को चाहिए कि वह नीचे लिखे मन्त्र का जाप आरम्भ करें -----

मन्त्र :----------

।। ॐ नमो पद्मावती पद्मनेत्रा वज्र वज्रांकुशी प्रत्यक्षं भवति ।।

OM NAMO PADMAVATI PADMANETRA VAJRA VAJRANKUSHI PRATYAKSHAM BHAVATI.

          इस मन्त्र का कम से कम ११ माला जाप नित्य करना है। जाप के उपरान्त एक आचमनी जल छोड़कर सम्पूर्ण जाप माँ भगवती पद्मावतीजी को समर्पित कर दें।

          यह क्रम नियमित रूप से ४३ दिन तक नित्य सम्पन्न करना है। ४३ दिन के बाद भी आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार जाप कर सकते हैं।

          इस साधना में ऊपर बताई गई विधि अनुसार बनाई गई मिट्टी की गोलियों का उपयोग मन्त्र जाप की संख्या स्मरण रखने के लिए किया जाएगा। इसके लिए आप एक जगह पर १०८ गोलियां और दूसरी जगह पर ११ गोलियां रख लें। जब आप एक बार १०८ की संख्या में मन्त्र जाप कर लें तो ११ गोलियों में से एक गोली हटा दें, जिससे आपको याद रहे कि आपने एक माला जाप कर लिया है। फिर आप पुनः उन्हीं १०८ गोलियों से मन्त्र जाप करें। इस प्रकार आप नित्य ११ माला जाप करने में गोलियों का प्रयोग कर सकते हैं।

          इस प्रकार आप यदि ४३ दिन तक इस मन्त्र का जाप सम्पन्न कर लेंगे तो फिर आपके समस्त कार्य सिद्ध होते चले जाएंगे।

          इस मन्त्र प्रयोग से आप कुछ ही समय में अपने व्यापार में परिवर्तन अनुभव करेंगे। जिस गति से आपका व्यापार उन्नति करेगा, उसके बारे में आपने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा। जिस कामना से आपने यह प्रयोग सम्पन्न किया है, माँ भगवती पद्मावतीजी की कृपा से उसके प्रत्यक्ष परिणाम मिलने लगेंगे।

          यह दीपावली पर्व आपके लिए मंगलमय हो, सुख-समृद्धि दायक हो और हर क्षेत्र में उन्नति प्रदायक हो! मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

          इसी कामना के साथ

ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश ।।

1 टिप्पणी:

swamiom ने कहा…

काफी महत्वपूर्ण और दुर्लभ साधनाए आपने प्रदान की है, आपको शुक्रिया, आपका आगर कोई whtsp ग्रुप हो तो मुझे जोड देना साधना में रुची रखता हूं 9967277295