बुधवार, 16 अगस्त 2017

गजमुख गणपति साधना

 गजमुख गणपति साधना


         गणेश चतुर्थी पर्व निकट ही है। इस  वर्ष गणेशोत्सव २५ अगस्त  २०१७ से शुरु हो रहा है। आप सभी को गणेश चतुर्थी पर्व की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

         हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। गणेश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले, कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का आविर्भाव हुआ था।

          मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान गणेश को संकटहरण भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहाँ सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, वहीं समस्त इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है। पौराणिक मान्यता है कि दस दिवसीय इस उत्सव के दौरान भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश पृथ्वी पर रहते हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। उन्हें बुद्धि, समृद्धि और वैभव का देवता मान कर उनकी पूजा की जाती है।


          गणेशोत्सव की शुरुआत हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भादों माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है। इस दिन को गणेश चतुर्थी कहा जाता है। दस दिन तक गणपति पूजा के बाद आती है अनंत चतुर्दशी, जिस दिन यह उत्सव समाप्त होता है। पूरे भारत में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

                आप सभी के घर में विघ्नहर्ता भगवान गणपतिजी पधारेंगे और आप सभी को उनकी सेवा का अवसर प्राप्त होगा। साथ ही मोदक अर्थात लड्डू खाने का भी मौका मिलेगा, किन्तु मोदक का स्वाद लेने के साथ ही आपको साधना का अमृतपान भी करना चाहिए। क्योंकि ऐसा सुअवसर साल में एक बार ही आता है। अतः इस अवसर को हाथ से ना जाने दें।

                 गजमुख गणपति साधना प्रयोग उन साधकों को करना चाहिए, जो हर छोटी-छोटी बात से चिन्तित हो जाते हैं। वास्तव में यह प्रयोग समस्त चिन्ताओं से मुक्त कर देने वाला प्रयोग है। साथ ही अथक परिश्रम के बाद भी यदि आप प्रगति नहीं कर पा रहे हैं तो यह प्रयोग आपको आपके परिश्रम का पूरा लाभ दिलवाएगा। जिन्हें मान-सम्मान की प्राप्ति न होती हो तथा जिनके द्वारा किए गए कार्यों का कोई कुछ मूल्य ना समझता हो तो यह साधना आपके लिए ही है। इस साधना से भगवान गणपतिजी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में व्याप्त विघ्न और बाधाएँ समाप्त हो जाते हैं। अतः उपरोक्त सभी लाभों को प्राप्त करने के लिए गजमुख गणपति साधना अवश्य करें।

साधना विधि :—————

          साधना गणेश चतुर्थी से आरम्भ करें और यह साधना आपको गणेश विसर्जन के दिन तक करना है। समय का कोई बन्धन नहीं है, बस नित्य एक ही समय अवश्य रखें, उसमें परिवर्तन न करे। जहाँ तक सम्भव हो, आसन-वस्त्र पीले ही रखें अन्यथा कोई भी आसन-वस्त्र प्रयोग में लिए जा सकते हैं।

          घर में जहाँ पर आप गणपति जी की स्थापना करेंगे, वहीं पर आपको यह साधना करनी है। भगवान गणपतिजी की प्रतिमा के साथ ही पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का चित्र अथवा विग्रह भी स्थापित कर दें। फिर शुद्ध घी का दीपक और धूप-अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर दें।

          अब सबसे पहले सद्गुरुदेवजी का सामान्य पूजन सम्पन्न करें और गुरुमन्त्र का चार माला जाप करें। इसके बाद सद्गुरुदेवजी से गजमुख गणपति साधना सम्पन्न करने की अनुमति लें और उनसे साधना की निर्विघ्न पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें।

          इसके बाद साधक को साधना के पहिले दिन संकल्प अवश्य लेना चाहिए।

                  साधक दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि मैं अमुक नाम का साधक गोत्र अमुक आज से गजमुख गणपति साधना आरम्भ कर रहा हूँ। मैं नित्य ११ दिनों तक २१ माला मन्त्र जाप सम्पन्न करूँगा। भगवान गजमुख गणपतिजी मेरी साधना को स्वीकार कर मुझे मन्त्र की सिद्धि प्रदान करे तथा मेरे जीवन में जो भी बाधा रूकावट या नकारात्मक ऊर्जा व्याप्त हो उसे समाप्त कर दीजिएजिससे कि मेरे जीवन में सम्पूर्ण रूप से प्रगति हो सके और जीवन पूरी तरह चिन्तामुक्त हो सके।

          इसके बाद आप भगवान गणपतिजी का पंचोपचार पूजन करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और यथाशक्ति नैवेद्य अर्पित करें।

          अब एक नारियल लें और उस पूरे नारियल पर हल्दी का लेप लगा दें। यह लेप आपको हल्दी को घी में घोलकर बनाना है। लेप लगा देने के बाद एक ही प्रकार के पाँच सिक्के लें। फिर नारियल और पाँचों सिक्कों को एक पीले कपड़े में बाँधकर पोटली बना लें। यह पोटली गणपति जी के सामने रख दें।

          अब आप हर रोज़ रुद्राक्ष माला, स्फटिक माला अथवा मूँगा माला से निम्न मन्त्र की २१ माला जाप करें  ———

मन्त्र :—————

     ।। ॐ गं श्रीं ग्लौं श्रीं गजमुख गणपतये नमः।।

 OM GAM SHREEM GLOUM SHREEM GAJMUKH GANNPATAYE NAMAH.

                    मन्त्र जाप के बाद हर रोज़ हवन के लिए किसी पात्र में अग्नि जला लें और १०८ मखानों को घी में मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करें। यह संक्षिप्त हवन इस साधना का आवश्यक अंग है।

           अन्तिम दिन भगवान गणपति जी को अपने परिवार की रीति अनुसार विदा कर दीजिए। पीले कपड़े की पोटली को किसी मन्दिर में रख आएं अथवा गणपति विसर्जन के समय कोई निर्धन या भिखारी मिल जाए तो उसे दे सकते हैं।

          यह प्रयोग अत्यन्त सरल है, परन्तु इसका प्रभाव अचूक है। अतः प्रत्येक साधक को इसे करना ही चाहिए।

          भगवान लम्बोदर आपको तथा आपके सम्पूर्ण परिवार को अपना आशीर्वाद प्रदान करे और आपके जीवन से सभी विघ्नों का नाश हो। मैं सद्गुरुदेव भगवानजी से ऐसी ही प्रार्थना करता हूँ।

          इसी कामना के साथ


ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।

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