महामृत्युंजय तन्त्र के सिद्ध प्रयोग
श्रावण मास समीप ही है। इस बार यह मास १० जुलाई २०१७ से आरम्भ हो रहा है। चूँकि श्रावण मास शिव आराधना–साधना के लिए श्रेष्ठ माह है‚ अतः इसे शिव मास भी कहा जाता है। आप सभी को श्रावण मास की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!
"महामृत्युंजय मन्त्र" भगवान शिव
का सबसे बड़ा मन्त्र माना जाता है। हिन्दू धर्म में इस मन्त्र को प्राण रक्षक और
महामोक्ष प्रदाता मन्त्र कहा जाता है। मान्यता है कि महामृत्युंजय मन्त्र से शिवजी
को प्रसन्न करने वाले जातक से मृत्यु भी डरती है। इस मन्त्र को सिद्ध करने वाला
जातक निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त करता है। भगवान शिव को कालों का काल महाकाल कहा
जाता है। मृत्यु अगर निकट आ जाए और आप महाकाल के महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करने
लगे तो यमराज की भी हिम्मत नहीं होती है कि वह भगवान शिव के भक्त को अपने साथ ले
जाए।
इस मन्त्र की शक्ति से जुड़ी कई
कथाएँ शास्त्रों और पुराणों में मिलती है, जिनमें बताया गया है कि इस मन्त्र के
जाप से गम्भीर रूप से बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो गए और मृत्यु के मुँह में पहुँच
चुके व्यक्ति भी दीर्घायु का आशीर्वाद पा गए। यही कारण है कि ज्योतिषी और पण्डित
बीमार व्यक्तियों को एवं ग्रह दोषों से पीड़ित व्यक्तियों को महामृत्युंजय मन्त्र
जाप करवाने की सलाह देते हैं। शिव को अति प्रसन्न करने वाला मन्त्र है
महामृत्युंजय मन्त्र। लोगों कि धारणा है कि इसके जाप से व्यक्ति की मृत्यु नहीं
होती, परन्तु यह पूरी तरह सही अर्थ नहीं है।
महामृत्युंजय का अर्थ है, महामृत्यु पर विजय अर्थात् व्यक्ति की
बार-बार मृत्यु ना हो, वह मोक्ष को प्राप्त हो जाए। उसका शरीर
स्वस्थ हो, धन एवं मान की वृद्धि तथा वह जन्म मृत्यु के बन्धन से मुक्त हो जाए।
महामृत्युञ्जय मन्त्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय स्थित एक मन्त्र है। इसमें शिव की
स्तुति की गई है। शिव को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ माना जाता है। कहा जाता है कि यह
मन्त्र भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी असीम कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। इस
मन्त्र का सवा लाख बार निरन्तर जाप करने से आने वाली अथवा मौजूदा बीमारियाँ तथा
अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव तो समाप्त होता ही है,
इस
मन्त्र के माध्यम से अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है।
हमारे वैदिक शास्त्रों और पुराणों में
असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जाप करने का
विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय भगवान शिव को खुश करने का मन्त्र है। इसके
प्रभाव से इन्सान मौत के मुँह में जाते-जाते बच जाता है,
मरणासन्न
रोगी भी महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से जीवन पा लेता है। बीमारी,
दुर्घटना,
अनिष्ट
ग्रहों के प्रभावों से दूर करने, मौत को टालने और आयु बढ़ाने के लिए सवा
लाख महामृत्युंजय मन्त्र जाप करने का विधान है।
शिव के साधक को न तो मृत्यु का भय रहता है,
न
रोग का, न शोक का। शिव तत्व उनके मन को भक्ति और शक्ति का सामर्थ्य देता है।
शिव तत्व का ध्यान महामृत्युंजय के रूप में किया जाता है। इस मन्त्र के जाप से शिव
की कृपा प्राप्त होती है। सतयुग में मूर्ति पूजा कर सकते थे,
पर
अब कलयुग में सिर्फ मूर्ति पूजन काफी नहीं है। भविष्य पुराण में यह बताया गया है
कि महामृत्युंजय मन्त्र का रोज़ जाप करने से उस व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य,
धन,
समृद्धि
और लम्बी उम्र मिलती है।
यहाँ
सर्वजन हितार्थ महामृत्युंजय
तन्त्र के विविध प्रयोग
प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इन प्रयोगों के द्वारा महादेव शिव शीघ्र
प्रसन्न होते हैं तथा उनके आशीर्वाद स्वरूप अकाल मृत्यु से मुक्ति प्राप्त होती
है। आरोग्य (पूर्ण स्वस्थ शरीर) की
प्राप्ति, ग्रह-नक्षत्र दोष, नाड़ी दोष,
मांगलिक
दोष, शत्रु-षडाष्टक दोष, विधुरदोष, वैधव्य दोष,
अधिक
कष्ट देने वाले असाध्य रोग और मृत्यु तुल्य मानसिक एवं शारीरिक कष्टों का निवारण
होता है, प्रारब्धकर्म,
संचित
कर्म और वर्तमान कर्मों का नाश होता है।
१ १. सूर्य ग्रह-शान्ति, सुख-समृद्धि तथा ऐश्वर्य-प्राप्ति के लिए
प्रत्येक रविवार को एक ताँबे के पात्र में जल लेकर उसमें
गुड और लाल चन्दन मिलाकर उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करें तथा महामृत्युंजय
मन्त्र का जाप करें।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव
बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
इस प्रयोग से आपके घर में सुख समृद्धि
आएगी, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, लक्ष्मी का वास होगा तथा सूर्य ग्रह
शांत होंगे।
२. मनोकामना पूर्ति के लिए
महादेव शिव को श्रावण सोमवार के दिन अथवा शिवरात्रि के दिन १०८
निम्बुओं की माला बनाकर पहनाएं तथा अमावस
के दिन उस निम्बुओं की माला को उतारकर
निम्बुओं को अलग-अलग कर दें। महामृत्युंजय
के मन्त्र के साथ निम्बुओं का हवन करने से
कोई एक मनोकामना की पूर्ति होती है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव
बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
३. अचानक आए संकट के नाश के
लिए
महामृत्युंजय का जाप करने के साथ जायफल की आहुति देने से सभी रोगों का
नाश होता है और अचानक आई हुई विपदा का निवारण होता है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव
बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
४. सभी रोगों के नाश और उत्तम स्वास्थ प्राप्ति के लिए
यदि कोई व्यक्ति भयंकर रोग से ग्रसित
हो तो उसे इस रोग से मुक्ति दिलाने के लिए महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करते हुए
भगवान शिव के पारद शिवलिंग का प्रतिदिन
सवा घंटे तक जलाभिषेक करना चाहिए तथा उसके बाद अभिषेक किये हुए जल का थोड़ा-सा पानी
हर रोज रोगी को पिलाना चाहिए। इस प्रयोग से रोगी का बहुत ही पुराना रोग या मृत्यु
के समान कष्ट देने वाला रोग भी समाप्त हो जाता है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव
बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
५. स्वास्थ लाभ के लिए
सर्वप्रथम आप तान्त्रिक महामृत्युञ्जय
मन्त्र के १,३७,५००
मन्त्र जाप का अनुष्ठान करके मन्त्र सिद्धि प्राप्त करें। तत्पश्चात जब कभी कोई
नजर दोष से पीडित बच्चे, टोने-टोटकों से या तान्त्रिक क्रिया से परेशान कोई व्यक्ति आए तो उसे
मोरपंख से झाड़ा (झाड़नी) देने से समस्त समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
तान्त्रिक महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ भूः भुवः स्वः ॐ
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय
मामृतात् स्वः भुवः भूः ॐ।।
६. धन-लाभ की प्राप्ति, व्यापार में लाभ, उत्तम विद्या की प्राप्ति
तथा तीव्र बुद्धि की प्राप्ति के लिए
प्रत्येक बुधवार को काँसे का पात्र लेकर उसमें
जल के साथ दही, शक्कर तथा घी मिलाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से असीम धन की
प्राप्ति होती है, व्यापार में लाभ होता है,
उत्तम
विद्या की प्राप्ति होती है व बुद्धि तीव्र होती है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
७. पुत्र-प्राप्ति एवं सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति
के लिए
प्रति मंगलवार को ताँबे के पात्र में
जल में गुड मिलाकर लाल फूल डालकर मृत्युञ्जंय मन्त्र जाप करते हुए शिवलिंग पर
चढ़ानें से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति, पुत्र
की प्राप्ति और स्वास्थ्य लाभ व शत्रुओं का नाश तथा मंगल ग्रह की शान्ति होती है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव
बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
८. विवाह, सन्तान तथा भौतिक सुख-शान्ति
प्राप्ति के लिए
प्रत्येक शुक्रवार को चाँदी या स्टील के
बर्तन में जल, दूध, दही, घी, मिश्री व शक़्कर आदि मिलाकर महामृत्युंजय का जाप करते हुए शिव को अर्पित करने से तुरन्त विवाह का योग
बनता है, सन्तान की प्राप्ति होती है तथा भौतिक सुख प्राप्त होता है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
९. उत्तम विद्या, धनधान्य और पुत्र-पौत्र सुख
व मनोंकामना की पूर्ति के लिए
प्रति गुरूवार को काँसे या पीतल के
पात्र में जल में हल्दी मिला कर मृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से उत्तम विद्या
की प्राप्ति, धनधान्य तथा पुत्र-पौत्र आदि की प्राप्ति और बृहस्पति (गुरू) ग्रह की
शान्ति होती है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
१०. रोगी के स्वास्थ्य लाभ के लिए
शिव मन्दिर में जाकर शिवलिंग के पास आसन लगाकर कर बैठें तथा अपने
समीप जल से भरा एक ताँबे का पात्र रखे तथा पाँच माला महामृत्युंजय मन्त्र का जाप
करें। प्रत्येक माला के जाप के बाद उस जल से भरे ताँबे के कलश में फुक मारते जाएं। इस तरह पाँच माला
जाप के साथ उस जल से भरे ताँबे के पात्र में पाँच बार फूँक मारे। इसके बाद उस जल
को रोगी को पिलाएं। यह अचूक उपाय है तथा इस के द्वारा रोगी के स्वास्थ में
आश्चर्यजनक लाभ होगा।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
११. मानसिक कष्ट, शत्रु भय, आर्थिक संकट निवारण और
धनधान्य, व्यापार की वृद्धि, राज्य प्राप्ति के लिए
शनिवार को बादाम तेल और जैतुन तेल में
गुलाब एवं चन्दन इत्र मिलाकर, एक
चौमुखा (चार बत्ती वाला) दीपक शिव मन्दिर में जलाकर, लोहे या स्टील के पात्र में सरसो का तेल भरकर मृत्युञ्जय मन्त्र का
जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से मानसिक
कष्ट का निवारण होता है, शत्रुओं का नाश होता है, व्यापार में उन्नति या नौकरी में
उन्नति होती है, धनधान्य की वृद्धि होती है, अपने कार्य क्षेत्र में राज्य की
प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
१२. मानसिक शान्ति और
मनोकामना की पूर्ति के लिए
प्रति सोमवार को चाँदी अथवा स्टील के
पात्र में जल में दूध, सफेद तिल्ली और शक्कर मिलाकर
मृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से मानसिक शान्ति और मनोकामना
की पूर्ति तथा चन्द्र ग्रह की शान्ति होती है।
महामृत्युंजय मन्त्र :------
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
यहाँ जो महमृत्युंज्य तन्त्र के विविध प्रयोग प्रस्तुत किए गए हैं‚ वे सभी स्वयं
सिद्ध हैं, जिनका
प्रयोग बहुत ही सरल है तथा इन मन्त्र प्रयोगों द्वारा अति शीघ्र फल की प्राप्ति
होती है।
मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।
इसी कामना के साथ
ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश
आदेश आदेश।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें