स्फटिक शिवलिंग भाग्योदय साधना
श्रावण मास समीप ही है। इस बार यह मास १० जुलाई २०१७ से आरम्भ हो रहा है। चूँकि श्रावण मास शिव आराधना–साधना के लिए श्रेष्ठ माह है‚ अतः इसे शिव मास भी कहा जाता है। आप सभी को श्रावण मास की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!
मनुष्य मूलत: पृथ्वी का ही एक
भाग है और
इसी
तत्व से उसमें मानसिक तथा शारीरिक स्थायित्व आता है।
इस प्रकार स्फ़टिक पृथ्वी तथा अन्य तत्वों से, ग्रहों से उर्जा ग्रहण कर मनुष्य में पुन: संचारित करने की शक्ति रखता है। एक प्रकार से यह ''शक्ति केन्द्र''
है, जो ऊर्जा को ग्रहण कर नियन्त्रित करता है। उसे इस प्रकार से प्रवाहित करता है कि व्यक्ति उस ऊर्जा को ग्रहण कर सके और देह की उर्जा में गुणात्मक परिवर्तन कर सके। यहाँ तक कि उच्च कोटि के शिवलिंग स्फ़टिक शिवलिंग होते हैं, जिसके सामने बैठने मात्र से ऊर्जा भाव संचारित होता है।
स्फ़टिक शिवलिंग के बारे में स्वयं सद्गुरुदेवजी ने किसी महाशिवरात्रि के एक अवसर पर तीन श्लोकों का उच्चारण कर उसके घर में स्थापन के महत्व पर प्रकाश डाला था। साथ ही उससे सम्बन्धित पूर्ण भाग्योदय एवं शिव सायुज्यता के लिए कल्याणकारी मन्त्र भी प्रदान किया था। निश्चय ही साधकों के घर में पारद शिवलिंग तो हो सकते हैं, परन्तु स्फ़टिक शिवलिंग तो हज़ारों में से किसी एक के पास ही होता है।
स्फ़टिक लिंगमाराध्यं सर्वसौभाग्यदायकम् ।
धनं धान्यं प्रतिष्ठां च आरोग्यं प्रददाति स: ॥
स्फटिक शिवलिंग की आराधना तथा पूजन सभी प्रकार से सौभाग्यदायक है। धन, धान्य तथा प्रतिष्ठा के साथ साधक को वह सम्पूर्ण आरोग्य भी प्रदान करता है।
स्फटिक लिंगं प्रतिष्ठाप्य नित्यं यजयाति यो पुमान् ।
रोगम् शोकम् च दारिद्रयं सर्वम् नश्यति तद् गृहात् ॥
रोगम् शोकम् च दारिद्रयं सर्वम् नश्यति तद् गृहात् ॥
जो व्यक्ति घर
में स्फटिक शिवलिंग की प्रतिष्ठा कर नित्य पूजा करता है,
उसके घर से रोग, शोक और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।
पूजनादस्य लिंगस्य अभ्यर्चनात् सश्रद्धया।
सर्वपाप विनिर्मुक्तः शिव सायुज्यमाप्नुयात्॥
जो साधक श्रद्धापूर्वक प्रतिदिन स्फटिक शिवलिंग की पूजा व आराधना करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर शिव सायुज्य को प्राप्त करता है।
साधना विधि :--------
यह साधना किसी भी सोमवार से आरम्भ की जा सकती है। आप इसे श्रावण मास के प्रथम सोमवार से शुरू करें। सोमवार को शुभ मुहूर्त में दक्षिणाभिमुख होकर अपने आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने किसी बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछाकर उस पर किसी पात्र में अक्षत के आसन पर स्फटिक शिवलिंग को स्थापित कर दीजिए। इसके साथ ही पूज्यपाद सद्गुरुदेवजी का चित्र अथवा विग्रह भी स्थापित कर दें। फिर शुद्ध घी का दीपक और धूप-अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर दें।
अब सबसे पहले सद्गुरुदेवजी का सामान्य पूजन सम्पन्न करें और गुरुमन्त्र का
चार माला जाप करें। इसके बाद सद्गुरुदेवजी से स्फटिक शिवलिंग साधना सम्पन्न करने की
अनुमति लें और उनसे साधना की निर्विघ्न पूर्णता एवं सफलता के लिए प्रार्थना करें।
फिर भगवान गणपतिजी का संक्षिप्त पूजन करें और "ॐ
गं गणपतये नमः" मन्त्र की एक माला जाप करें। इसके बाद भगवान गणपतिजी से साधना की निर्बाध पूर्णता और
सफलता के लिए प्रार्थना करें।
इसके बाद साधक को साधना
के पहिले दिन संकल्प अवश्य लेना चाहिए।
साधक दाहिने हाथ में जल
लेकर संकल्प लें कि “मैं अमुक नाम का साधक गोत्र अमुक आज से स्फटिक शिवलिंग भाग्योदय साधना
आरम्भ कर रहा हूँ। मैं नित्य २१ दिनों
तक यह साधना सम्पन्न
करूँगा। भगवान
शिव मेरी
साधना को स्वीकार कर मुझे मन्त्र की सिद्धि प्रदान करे तथा मेरे जीवन में जो भी बाधा‚
रूकावट या नकारात्मक उर्जा व्याप्त हो‚
उसे समाप्त
कर दीजिए‚ जिससे कि मेरे जीवन में सम्पूर्ण रूप से भाग्योदय हो सके।”
इसके बाद साधक स्फटिक
शिवलिंग का सामान्य विधि से पूजन करे।
फिर दूध, दही, घी, शहद और
शक्कर से निम्न मन्त्रों के उच्चारण के साथ स्नान कराएं।
ॐ शं सद्योजाताय नम:‚ दुग्ध स्नानं समर्पयामि।
ॐ वं वामदेवाय नम:‚ दधि स्नानं समर्पयामि।
ॐ यं अघोराय नम:‚ घृत स्नानं समर्पयामि।
ॐ नं तत्पुरुषाय नम:‚ मधु स्नानं समर्पयामि।
ॐ मं ईशानाय नम:‚ शर्करा स्नानं समर्पयामि।
फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं तथा दूसरे पात्र में कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर शिवलिंग को स्थापित कर दीजिए। धूप‚ दीप‚ पुष्प‚ अक्षत आदि से “ॐ नम:शिवाय” बोलते हुए संक्षिप्त पूजन कीजिए। इसके बाद दूध से बने नैवेद्य का भोग अर्पित कीजिए। फिर शिवलिंग पर दुग्ध मिश्रित जल से अभिषेक करते हुए निम्न मन्त्र का १००८ बार जाप करें -----
मन्त्र :-------
॥ॐ शं शंकराय स्फटिक प्रभाय ॐ ह्रीं नम:॥
OM SHAM SHANKARAAY SFATIK PRABHAAY OM HREEM NAMAH.
मन्त्र जाप के उपरान्त साधक निम्न श्लोक का उच्चारण करने के बाद एक आचमनी जल छोड़कर सम्पूर्ण जाप भगवान शिव को समर्पित कर दें।
ॐ
गुह्यातिगुह्य गोप्ता त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं।
सिद्धिर्भवतु मे देव!
त्वत्प्रसादान्महेश्वर।।
अभिषेक वाले जल को प्रणाम कर श्रद्धापूर्वक उसे प्रसाद रूप में ग्रहण लीजिए।
यह प्रयोग २१ दिन का है। इसके बाद शिवालिंग को पूजा स्थान में स्थापित कर दीजिए।
आगे भी यदि भाग्य बाधा साथ न दे रही हो तो इसी शिवालिंग पर पुनः प्रयोग सम्पन्न
कर सकते हैं।
आपकी यह साधना निखिल कृपा से सफल हो और भगवान शिव का आपको आशीष प्राप्त हो। मैं सद्गुरुदेव भगवानजी से ऐसी ही
प्रार्थना करता हूँ।
इसी कामना के साथ
ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।।
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