शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

होली पर करने योग्य सरल प्रयोग

    होली पर करने योग्य सरल प्रयोग




                   होलिका दहन की रात्रि साधकों और तान्त्रिकों के लिए तो महत्वपूर्ण होती ही है, परन्तु आम व्यक्तियों के लिए भी कम महत्वपूर्ण नहीं होती। क्योंकि इस दिन व्यक्ति अपनी बहुत-सी या किसी भी समस्या का निदान साधनाओं या छोटे-छोटे प्रयोगों द्वारा कर सकता है। साधनाएँ बहुत लम्बी होती हैं और हर व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता कि ज़्यादा समय साधनाओं में दे सके। हालाँकि इस दिन की गई एक माला मन्त्र जाप का प्रभाव लगभग सौ माला के बराबर होता है, इसलिए साधक और तान्त्रिक लोग इस मुहूर्त का बहुत बेसब्री से इन्तज़ार करते हैं। जिस से कम समय और श्रम में लम्बी साधनाएँ भी सिद्ध कर सकें।
                    यहाँ हम कुछ ऐसे ही लघु प्रयोग देने जा रहे हैं, जिनके द्वारा सामान्य व्यक्ति भी अपने दैनिक जीवन में आने वाली कई समस्याओं का समाधान खुद कर सकते हैं, बस ज़रूरत है तो श्रद्धा और विश्वास से इन लघु प्रयोगों को करने की।
                   महाशिवरात्रि से लेकर चैत्र मास की नवरात्रि तक के समय को "तन्त्र माह" कहा जाता है। इस समयावधि में यदि इन प्रयोगों को सम्पन्न किया जाए तो इनका पूर्ण लाभ साधक को अवश्य ही प्राप्त होता है। अतः आप प्रयोग सम्पन्न करें और लाभ उठाएं।

खण्ड ()  होली का मूल प्रयोग

                    होलिका दहन की रात्रि में होलिका दहन के समय घर का प्रत्येक सदस्य होलिका को शुद्ध घी में भिगोकर दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता डण्ठल सहित अर्पित करे, होली की ११ परिक्रमाएँ करें, एक सूखा नारियल भी अर्पित करें। परिक्रमा करते समय नया अनाज (जौ या गेहूँ)भी बाली सहित होलिकाग्नि को समर्पित करते रहें। कुमकुम, गुलाल और प्रसाद आदि भी अर्पित करें।
                     यदि आप घर पर भी होलिका दहन करते हैं तो मुख्य होली में से एक जलती लकड़ी घर पर लाकर नवग्रह की समिधाओं (लकड़ियों)एवं गाय के गोबर से बने उपलों (कहीं-कहीं गोबर से बल्ग़ुरियाँ बनाकर भी उपलों की जगह जलाई जाती हैं) से घर पर होली प्रज्ज्वलित करना चाहिए और ऊपर जो प्रयोग दिया है, उसे मुख्य होली पर ना करके घर पर भी कर सकते हैं। घर का प्रत्येक सदस्य शुद्ध घी में भिगोकर दो लौंग, एक बताशा और पान का एक पत्ता, एक सूखा नारियल अर्पित करें और फिर होली की ११ परिक्रमाएँ  घर के सभी सदस्य करें। यह होली का मूल प्रयोग है।

खण्ड ()  होली पर करने योग्य टोटके

        १. यदि किसी ने आपके व्यवसाय अथवा निवास पर किसी प्रकार की कोई तन्त्र क्रिया करवा रखी है तो आप यह उपाय अवश्य करें। होली की रात्रि में जिस स्थान पर होलिका दहन हो, उस स्थान पर एक गड्ढा खोदकर उसमें ११ अभिमन्त्रित धनकारक कौड़ियाँ दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर व्यवसाय स्थल की मिट्टी के साथ नीले वस्त्र में बाँधकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। तन्त्र क्रिया नष्ट हो जाएगी।
विशेष :— यदि आपके लिए उपरोक्तानुसार प्रयोग करना सम्भव न हो पाए तो इसे दूसरे रूप में भी किया जा सकता है। होलिका दहन के पश्चात कण्डे, झाड़ियाँ तथा अन्य सामग्री को जलाने से जो राख बनती है, उसमें से थोड़ी राख किसी पात्र में डालकर घर ले आएं। निवास स्थान के बाहर फर्श, आँगन आदि पर अभिमन्त्रित 11 कौड़ियाँ रखकर उसके ऊपर लाई गई राख डाल दें। सुबह राख में से कौड़ियों को निकाल लें। राख को भी समेटकर किसी कपड़े में बाँध लें। अब बहते हुए जल में पहले कौड़ियों को प्रवाहित करें और फिर राख को भी जल में बहा दें। यह उपाय अत्यन्त प्रभावी है, जो शीघ्र परिणाम देता है।

       २.  यदि आप किसी ग्रह की पीड़ा भोग रहे हैं तो होलिका दहन के समय आपको देशी घी में भिगोकर दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता होलिकाग्नि में अर्पित करना चाहिए। अगले दिन होली की थोड़ी-सी भस्म (राख) लाकर अपने शरीर पर पूरी तरह मल लें और एक घण्टे बाद गरम पानी से स्नान कर लें। आप ग्रह-पीड़ा से तो मुक्त होंगे ही, साथ ही यदि आप पर किसी ने कोई अभिचार प्रयोग  किया है, तो आप उस से भी मुक्त हो जाएंगे। ऐसा करना सम्भव ना हो तो होली के बाद कोई भी सर्वार्थ सिद्धि योग, जिस दिन पड़ता हो, उस दिन होली की राख को बहते जल या किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। आप ग्रह बाधा से मुक्त हो जाएँगे।

       ३. व्यवसाय में सफलता के लिए आपके निवास के पास जब होली जल जाए, तब आप होलिका की थोड़ी-सी अग्नि ले आएं। फिर अपने निवास अथवा व्यवसाय स्थल अथवा दुकान के आग्नेय कोण में उस अग्नि की मदद से सरसों के तेल का दीपक जला दें। इस दीपक की मदद से एक दूसरा दीपक जलाएं और इसे मुख्य द्वार के बाहर रख दें। जब दीपक जलकर ठण्डे हो जाएं, तब इन्हें उठाकर किसी चौराहे पर ले जाकर फोड़ दें और बिना पीछे मुड़कर देखे सीधे घर वापस आ जाएं। भीतर आने से पहले अपने हाथ—पाँव अवश्य धो लें। इस उपाय से आपके निवास व व्यवसाय स्थल अथवा दुकान की सारी नकारात्मक ऊर्जा जलकर समाप्त हो जाएगी। इससे आपके व्यवसाय अथवा दुकान में आर्थिक सफलता मिलेगी।

      ४. यदि आपके परिवार अथवा परिचितों में से कोई व्यक्ति अधिक समय से अस्वस्थ हो तो उसके लिए यह उपाय लाभकारी होगा।
                   होली की रात्रि में सफ़ेद वस्त्र में ११ अभिमन्त्रित गोमती चक्र, नागकेसर के २१ जोड़े तथा ११ धनकारक कौड़ियाँ बाँध लें। कपड़े पर हरसिंगार तथा चन्दन का इत्र लगाकर रोगी पर से सात बार उसारकर किसी शिव मन्दिर में अर्पित कर दें। व्यक्ति तुरन्त स्वस्थ होने लगेगा। यदि बीमारी गम्भीर हो तो यह क्रिया शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरम्भ करके लगातार सात सोमवार तक करते रहें।

      ५. यदि आप अपना कोई विशेष कार्य सिद्ध करना चाहते हों अथवा  कोई व्यक्ति गम्भीर रूप से रोगग्रस्त हो तो होली की रात्रि में किसी काले कपड़े में काली हल्दी तथा खोपरे में चीनी का बूरा भरकर पोटली बनाकर पीपल के वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर दबा दें। फिर पीपल के वृक्ष को आटे से बना सरसों के तेल का दीपक, धूप-अगरबत्ती तथा मीठा जल अर्पित करें। फिर हाथ जोड़कर रोगमुक्ति हेतु अथवा अपने किसी  विशेष कार्य सिद्धि हेतु मानसिक रूप से प्रार्थना करें। इसके बाद ८ अभिमन्त्रित गोमती चक्र पीपल के वृक्ष पर ही छोड़कर पीछे देखे बिना ही घर आ जाएं। शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को पीपल के वृक्ष के समक्ष जाकर सिर्फ़ उपरोक्त प्रकार से दीपक व धूप-अगरबत्ती करके छोड़े गए गोमती चक्र ले आएं। जब तक कार्य सिद्ध न हो, वे गोमती चक्र अपनी ज़ेब में ही रखें अथवा जो व्यक्ति रोगग्रस्त हो, उसके सिरहाने रख दें। कुछ ही समय में आपके कार्य सिद्ध होने लगेंगे अथवा अस्वस्थ व्यक्ति स्वास्थ्य-लाभ करेगा।

       ६. यदि आप किसी प्रकार की आर्थिक समस्या से ग्रस्त हैं, तो होली पर यह उपाय अवश्य करें। होली की रात्रि में चन्द्रोदय होने के बाद अपने निवास की छत पर अथवा किसी खुले स्थान पर आ जाएं। फिर चन्द्रदेव का स्मरण करते हुए चाँदी की एक प्लेट में सूखे छुहारे तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित करें। अब दूध से अर्घ्य प्रदान करें। अर्घ्य के बाद कोई सफेद प्रसाद तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। भगवान चन्द्रदेव से आर्थिक संकट दूर कर समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बाँट दें। आप प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रदेव को दूध का अर्घ्य अवश्य दें। कुछ ही दिनों में आप अनुभव करेंगे कि आर्थिक संकट दूर होकर समृद्धि बढ़ रही है।

       ७.  यदि शनि ग्रह के कारण आपको परेशानियाँ आ रही हैं या कार्यों में व्यवधान आ रहा है तो होली के दिन, होलिका दहन के समय काले घोड़े की नाल या शुद्ध लोहे का छल्ला बनवाकर होली की दो परिक्रमाएँ करने के बाद होलिकाग्नि में डाल दें। दूसरे दिन होलिकाग्नि शान्त हो जाने बाद उस छल्ले को निकाल कर ले आएं। उस छल्ले को कच्चे दूध (गाय का हो तो उत्तम) एवं शुद्ध जल से धोकर शनिवार के दिन सायंकाल या शनि की होरा में दाहिने हाथ की मध्यमा अँगुली में शनिदेव जी का मन्त्र पढ़ते हुए धारण कर लें। आपकी परेशानियाँ और व्यवधान धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे।

       ८.  इस उपाय को अगर होली की रात कर में लिया जाए तो इसके प्रभाव से आप कभी भी आर्थिक समस्या में नहीं आएंगे। इसके लिए होली की रात्रि में सबसे पहले अपने घर में तथा यदि कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान हो तो वहाँ भी शाम को सूर्यास्त होने के पूर्व दीयाबत्ती अवश्य करें। घर व प्रतिष्ठान की सारी लाइट जला दें। घर के पूजा-स्थल के सामने खड़े होकर लक्ष्मी जी का कोई भी मन्त्र ११ बार मानसिक रूप से जपें। फिर घर या प्रतिष्ठान की कोई भी कील लाकर जिस स्थान पर होली जलनी है, वहाँ की मिट्टी में दबा दें। अगले दिन  उस कील को निकालकर मुख्यद्वार के बाहर की मिट्टी में दबा दें। इस उपाय से आपके घर या प्रतिष्ठान में किसी भी तरह की नकारात्मक शक्ति का प्रवेश नहीं होगा और आप आर्थिक संकट में भी कभी नहीं आएँगे।
विशेष :— यदि यह करना सम्भव ना हो तो आप इसे इस तरह भी कर सकते हैं कि होली की रात्रि में होली जलने के बाद आप बनने वाली थोड़ी गर्म राख घर ले आएं। फिर घर के मुख्य द्वार के अन्दर की तरफ ज़मीन पर कील रख कर उसके ऊपर होली की राख डाल दें और ऊपर से किसी चीज़ से ढँक दें। दूसरे दिन कील को उपरोक्त विधि के अनुसार प्रयोग करें और राख को जल में प्रवाहित कर दें। इस से भी आपको उपरोक्तानुसार समुचित लाभ प्राप्त होगा।

       ९.  यदि आपको बार-बार आर्थिक हानि हो रही हो तो आप होलिका दहन की शाम को अपने मुख्य द्वार की चौखट पर दो मुखी आटे का दीपक बनाएं। फिर चौखट पर थोड़ा-सा गुलाल छिड़क कर, दीपक जलाकर उस पर रख दें। दीपक जलाते समय मानसिक रूप से अपनी आर्थिक हानि रोकने की प्रार्थना ईश्वर से अवश्य करें। दीपक ठण्डा हो जाने पर उसे जलती होलिकाग्नि में डाल दें।

       १०.  अगर आपको ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति ने आप पर या परिवार के किसी सदस्य पर कोई बड़ा तन्त्र-प्रयोग करवाया है तो मूल प्रयोग को करने के साथ ही थोड़ी मिश्री भी होलिकाग्नि में समर्पित करें। अगले दिन होली की राख लाकर, चाँदी के ताबीज़ में भर कर लाल या पीले धागे में, गले में धारण करें या करवाएं।

       ११.  यदि आपके धन को कोई व्यक्ति वापिस नहीं कर रहा है तो जिस दिन होलिका दहन होना है, उस दिन होली जलने वाले स्थान पर जाकर, उस स्थान पर अनार की लकड़ी की कलम से उस व्यक्ति का नाम लिख कर, होलिका माता से अपने धन की वापसी की प्रार्थना करते हुए उसके नाम पर हरा गुलाल इस प्रकार छिड़क दें, जिस से पूरा नाम गुलाल से ढँक जाए अर्थात नाम दिखाई ना दे। इस उपाय के बाद कुछ ही समय में वह आपके धन को वापिस कर देगा।

              १२. आपने देखा होगा कि किसी निवास या व्यवसाय स्थल पर अचानक ही कुछ अजीबो-गरीब घटनाएँ घटित होती हैं अथवा उस स्थान पर जो व्यक्ति प्रवेश करता है, उसके मन में डर के साथ अजीब-सी घुटन होने लगती है अथवा बिना बात के नुकसान या झगड़े होने लगते हैं। यदि आपके साथ ऐसा कुछ होता है, तो समझ जाएं कि आप पर अथवा उस स्थान पर किसी प्रकार की कोई ऊपरी बाधा का प्रभाव है। जब तक आप उस बाधा से मुक्ति नहीं पा लेंगे, तब तक आप ऐसे ही परेशान होते रहेंगे । इस बाधा से मुक्ति पाने के लिए आप यह उपाय अवश्य करें।
                        जिस स्थान पर यह बाधा है, उस स्थान के सर्वाधिक निकट जो भी वृक्ष हो, उसको देखें। यदि पीपल का वृक्ष हो, तो बहुत अच्छा है। होली के पूर्व शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को अँधेरा होने पर आप उस स्थान पर जाएं, जिस स्थान पर वृक्ष है। फिर ताँबे के एक पात्र में दूध में थोड़ी-सी शक्कर मिश्रित करें और खोए के तीन लड्डू, थोड़ी-सी साबूदाने की खीर, ११ हरी इलायची, २१ बताशे, दूध से बनी थोड़ी-सी कोई भी अन्य मिठाई तथा एक सूखे खोपरे में बूरा भरकर उसके मध्य लौंग का एक जोड़ा रखकर उस वृक्ष की जड़ में अर्पित करें। साथ ही २१ अगरबत्ती भी अर्पित करें। यही क्रिया किसी मन्दिर में लगे हुए पीपल के वृक्ष पर भी करें। प्रथम बार के प्रयोग से ही आप परिवर्तन अनुभव करेंगे। यदि समस्या अधिक है, तो यह क्रिया ३, ५, ७ या ११ सोमवार तक करें। आप निश्चित रुप से ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे। परन्तु इतना ध्यान रखें कि बाधा से मुक्ति के बाद आप प्रभु श्री हनुमानजी के नाम पर कुछ दान अवश्य करें।

                १३. यदि आपको ऐसा लगे कि आपके निवास अथवा व्यवसाय स्थल पर कोई ऊपरी बाधा है, तो आप इस उपाय द्वारा उस बाधा से मुक्ति पा सकते हैं।
होली की रात्रि में गाय के गोबर से एक दीपक बनाएं। इसके बाद उसमें सरसों का तेल, लौंग का जोड़ा, थोड़ा-सा गुड़ और काले तिल डाल दें। फिर दीपक को अपने मुख्य द्वार के बिल्कुल मध्य स्थान पर रख दें। द्वार की चौखट के बाहर आठ सौ ग्राम काली साबूत उड़द को फैला दें।
अब द्वार के अन्दर आकर दीपक को जला दें और द्वार बन्द कर दें। अगले दिन  ठण्डा दीपक उठाकर घर के बाहर रख दें और झाड़ू की मदद से सारी उड़द को समेट लें। फिर ठण्डा दीपक और उड़द को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। तत्पश्चात् घर वापस आ जाएं तथा हाथ-पैर धोकर ही घर में प्रवेश करें। इसके बाद आप अगले शनिवार से पुनः यही क्रिया लगातार तीन शनिवार करें। यदि आपको लगे कि बाधा अधिक बड़ी है, तो अगले शुक्ल पक्ष से पुनः तीन बार यह क्रिया दोहराएं। कार्य सिद्ध हो जाने पर शनिवार को ही किसी भी पीपल के वृक्ष में मीठे जल के साथ धूप-दीप अर्पित करें। इस उपाय द्वारा आप ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे।

       १४.  धन-संचय के लिए होली के दिन कौड़ी का पूजन कर लाल वस्त्र में बाँध कर किसी अलमारी या संदूक में रख दें। इस दिन जो व्यक्ति कौड़ी अपने पास रखता है, उसे वर्ष भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहती है।

खण्ड ()  होली पर करने योग्य लघु प्रयोग

       १. आजीविका या नौकरी प्राप्ति के लिए होली की रात्रि में काले तिल के २१ दाने दाहिने हाथ में लेकर होलिका दहन के पूर्व ८ परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय निम्न मन्त्र का मानसिक जाप करते रहें---
मन्त्र :---

।। ॐ फ्रां फ्रीं सः ।।
                  जब परिक्रमा पूर्ण हो जाए तो काले तिलों को चाँदी के ताबीज़ में भर कर होली की रात्रि को ही गले में धारण कर लेने से नौकरी में आने वाले व्यवधान दूर होते हैं। इण्टरव्यू में भी यह पहन कर जाएं, सफलता मिलेगी।

       २. शत्रु-बाधा निवारण के लिए होली की रात्रि में काँसे की थाली में कनेर के ११ पुष्प तथा गूगल की ११ गोलियाँ रख कर जलती हुई होली में नीचे दिए मन्त्र को पढ़ते हुए जलती होलिका में डाल दें---
मन्त्र :----

।। ॐ ह्रीं हुम् फट् ।।

       ३. धन-प्राप्ति के लिए  अथवा आर्थिक कष्ट दूर करने के लिए होली वाले दिन कमलगट्टा की माला लेकर होली की परिक्रमा करते हुए निम्न श्रीयन्त्र के मन्त्र को १०८ बार जाप करें---
मन्त्र :----

।। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।।

                   मन्त्र जाप पूर्ण होने पर माला पहन कर होली के समीप गौ-घृत का दीपक जलाकर घर लौट आएं, फिर एक माला नित्य इस मन्त्र की करते रहें। जल्दी ही धन-प्राप्ति के योग बनेंगे।

      ४. स्वास्थ्य लाभ के लिए होलिका दहन के समय होली की ११ परिक्रमा करते हुए निम्न मन्त्र का जाप मन ही मन में करना चाहिए ---
मन्त्र :---
।। ॐ देहि सौभाग्यं आरोग्यं, देहि में परमं सुखम्।

रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विशो जहि।।

                 होली के बाद नित्य प्रातः इस मन्त्र का कम से कम ११ बार अवश्य जाप करें।

      ५. यदि आप पर किसी प्रकार का कोई कर्ज है, तो आप होली की रात्रि में यह उपाय करके कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं। आप निवास के पास जिस स्थान पर होली जलनी हो, उस स्थान पर एक छोटा-सा गड्ढा खोदकर उसमें तीन अभिमन्त्रित गोमती चक्र तथा तीन धनकारक कौड़ियाँ दबा दें। फिर मिट्टी में लाल गुलाल व हरा गुलाल मिलाकर उस गड्ढे को भर दें। फिर गड्ढे के ऊपर पीले गुलाल से कर्जदार का नाम लिखकर उसके ऊपर एक पान का पत्ता रखकर उस पर कोई एक सिक्का, एक छोटी-सी कील एवं एक सुपारी रख दें। अब जब होली जले, तब आप एक पान के पत्ते पर ३ बतासे, घी में डुबोया हुआ एक जोड़ा लौंग, तीन बड़ी इलायची, थोड़े-से काले तिल, पीली सरसों, एक सुपारी व गुड़ की एक डली रखकर पीला गुलाल या सिन्दूर छिड़क दें। अब इसे एक दूसरे पान के पत्ते से ढँक दें और उस पर ७ गोमती चक्र रखें।
                   अब आप सात परिक्रमा करते हुए प्रत्येक बार निम्न मन्त्र का जाप करके एक-एक गोमती चक्र होलिका में डालते जाएं -
।। ल्रीं ल्रीं फ्रीं फ्रीं अमुक कर्ज विनश्यते फट् स्वाहा ।।

                   यहाँ अमुक के स्थान पर कर्जदार का नाम लें। परिक्रमा करने के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं। अगले दिन जाकर सर्वप्रथम तीन अगरबत्ती दिखाकर गड्ढे में से सामग्री निकाल लें और थोड़ी-सी गुलाल मिश्रित मिट्टी भी ले लें। फिर सभी को किसी नदी में प्रवाहित कर दें। कुछ ही समय में कर्ज मुक्ति के मार्ग निर्मित होने लगेंगे।

      ६. यदि आप आर्थिक संकट से ग्रस्त हैं, तो जिस स्थान पर होलिका जलती हो, उस स्थान पर गड्ढा खोदकर अपनी मध्यमा अँगुली के लिए बनने वाले छल्ले की मात्रा के अनुसार चाँदी, पीतल, लोहा, लाल गुलाल व ११ लौंग मिलाकर दबा दें। फिर मिट्टी से ढँककर पील गुलाल से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। जब आप होलिका पूजन को जाएं, तो पान के एक पत्ते पर कपूर, थोड़ी-सी हवन सामग्री, शक्कर, शुद्ध घी में डुबोया हुआ लौंग का जोड़ा काले तिल, पीली सरसों तथा ७  बताशे रखें। दूसरे पान के पत्ते से उस पत्ते को ढँक दें। फिर सात बार परिक्रमा करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मन्त्र का जाप करते  रहेंप्रत्येक परिक्रमा के पश्चात एक बताशा अग्नि में डालते रहें। परिक्रमा समाप्त होने पर सारी सामग्री होलिका में अर्पित कर दें तथा पूजन के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं। 
                    अगले दिन पान के पत्ते वाली सारी नई सामग्री ले जाकर पुनः यही क्रिया करें। जो धातुएँ आपने दबाई हैं, उनको निकाल लाएं। फिर किसी सुनार से तीनों धातुओं को मिलाकर अपनी मध्यमा अँगुली के माप का छल्ला बनवा लें। १५ दिन बाद आने वाले शुक्ल पक्ष के गुरुवार को छल्ला धारण कर लें। जब तक आपके पास यह छल्ला रहेगा, तब तक आप कभी भी आर्थिक संकट में नहीं आएंगे।

       ७.  यदि आप किसी से शत्रुता समाप्त करना चाहते हैं अथवा किसी से प्रेमभाव अधिक करना चाहते हैं तो आप होलिका दहन की दूसरी रात्रि को १२ बजे के बाद अनार की कलम से होली की राख में शत्रु का नाम लिखें और बाएँ हाथ से मिटा दें। पुनः उसी स्थान पर एक उर्ध्वमुखी त्रिकोण बनाकर उसके बीच में  "ह्रीं" लिख कर यन्त्र बनाएं। उसके बाद वहाँ से कुछ राख लेकर वापस आ जाएं। यह राख शत्रु के सिर पर डालते ही उसकी शत्रुता समाप्त हो जाएगी। यदि प्रेमभाव के लिए आपने उपाय किया है आप से प्रेमभाव अधिक कर लेगा। यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार है —
                                             

आज के लिए बस इतना ही।

ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।।                        

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