शनिवार, 13 अप्रैल 2019

हनुमान प्रत्यक्ष सिद्धि प्रयोग


हनुमान प्रत्यक्ष सिद्धि प्रयोग


          श्रीहनुमान जयन्ती निकट ही है। इस बार यह १९ अप्रैल २०१९ को आ रही है। आप सभी को श्रीहनुमान जयन्ती की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

          हनुमान शक्तिशाली, पराक्रमी, संकटों का नाश करने वाले और दुःखों को दूर करने वाले महावीर हैं। इनके नाम का स्मरण ही साहस और शक्ति प्रदान करने वाला है।  एक कहावत है कि "घर का जोगी जोगिया और आन गाँव का सिद्ध" यह बात पवनपुत्र रुद्रावतार श्रीहनुमान के सम्बन्ध में लागू होती है। श्रीहनुमान साधना द्वारा कष्टों का निवारण जिस सरल और सहज भाव से हो सकता है, उतनी सरल कोई अन्य साधना नहीं है। फिर क्लिष्ट साधनाएँ क्यों की जाए, हनुमान साधनाएँ तो रामबाण साधनाएँ हैं।

          कई वर्ष पुरानी बात है। मेरे एक मित्र का नौकरी के लिए इण्टरव्यू था, मित्र बड़े परेशान और वास्तव में भयभीत थे, नौकरी की बहुत सख्त आवश्यकता थी। इण्टरव्यू के लिए बुलावा दो सौ से अधिक लोगों का था और चयन केवल पाँच का ही होना था। चिन्ता और अनिश्चय से मित्र बड़े व्याकुल थे, मैंने कहा कि इण्टरव्यू में भीतर जाने से पहले शान्त मन से केवल एक बार "हनुमान मन्त्र चमत्कारानुष्ठान" का पाठ अवश्य कर लेना। तब परीक्षार्थी तो पुस्तक टटोल रहे थे, परन्तु मेरे मित्र एक कुर्सी पर बैठकर "हनुमान मन्त्र चमत्कारानुष्ठान" का पाठ कर रहे थे। पाठ करने के बाद उनका नम्बर आया और वह सहज भाव से पूरे आत्मविश्वास के साथ भीतर गए, बिना किसी सिफारिश के उनका सेलेक्शन हो गया। यह श्रीहनुमान चमत्कार ही है।

          यह सिद्ध बात है कि कृष्णपक्ष में अर्धरात्रि के पश्चात शहर के किसी घने जंगल अथवा श्मशान में भी हनुमान मन्त्र, हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए हनुमान साधक निकल जाएं तो सर्प, बिच्छू, जंगली जानवर तो क्या, भूत, प्रेत, पिशाच भी पास नहीं फटकते! मरणान्तक पीड़ा से व्याप्त कष्ट भोगते हुए रोगियों को हनुमान साधना से अभिमन्त्रित जल पिलाया है  और हनुमानजी की कृपा से वे पूर्ण स्वस्थ हुए हैं। ऐसा केवल हनुमानजी ही कर सकते हैं, वे अपने भक्तों को कष्ट में नहीं देख सकते। उनके लिए कुछ भी करना सहज सम्भव है, क्योंकि जो एक संजीवनी बूटी के लिए पूरा पहाड़ उठाकर ले जा सकते हैं, जो रावण जैसे महाप्रतापी का अहंकार चूर-चूर कर सकते हैं, ऐसे एकादश रूद्र की महिमा उनकी भक्ति करके ही जानी जा सकती है।

          श्रीहनुमान प्रतीक है ब्रह्मचर्य, बल, पराक्रम, वीरता, भक्ति, निडरता, सरलता और विश्वास के। शत्रु अथवा बाधा न छोटी होती है और न बड़ी, वह तो केवल व्यक्ति या घटना होती है और उस पर आत्मविश्वास द्वारा विजय प्राप्त की जा सकती है। और जो श्रीहनुमान का साधक है, उसके भीतर तो आत्मविश्वास, आत्मशक्ति छलकती रहती है। उसे ज्ञान है कि मेरी पीठ के पीछे प्रबल पराक्रम के देव बजरंगबली खड़े हैं, फिर मुझे काहे की चिन्ता!

हनुमान उपासना में कुछ आवश्यक तथ्य

     १. हनुमान मूर्ति को तिल में मिले हुए सिन्दूर का लेपन करना चाहिए।

     २. नैवेद्य में प्रातः गुड, नारियल का गोला व लड्डू, मध्याह्न में गुड़, घी और गेहूँ की रोटी का चूरमा अथवा मोटा रोट तथा रात्रि में आम, अमरूद अथवा केला नैवेद्य रूप में चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है।

     ३. पुष्पों में केवल लाल और पीले बड़े फूल जैसे कमल, हजारा, सूर्यमुखी, गेन्दा चढ़ाना चाहिए।

     ४. घी में भीगी हुई एक अथवा पाँच बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।

     ५. हनुमान साधना में ब्रह्मचर्य व्रत का पूर्ण रूप से पालन करें।

     ६. सम्भव हो तो कुएं के जल से स्नान करें।

      ७. हनुमान मन्त्र का जप बोलकर अर्थात आवाज के साथ हनुमान मूर्ति/चित्र में नेत्रों को देखते हुए किया जाता है।

     ८. अनिष्ट की इच्छा से हनुमान साधना नहीं करनी चाहिए।

     ९. श्रीहनुमान सेवा, पूजा के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, अतः साधक को सेवा करके फल प्राप्ति की इच्छा रखनी चाहिए, पूजा में पूर्ण श्रद्धा और सेवा भाव होना चाहिए।

     १०. पूजा स्थान में भगवान राम व सीता का चित्र होना हनुमान जी को प्रियकर लगता है।

साधना विधान :-----------

          हनुमान जयन्ती हनुमान साधना का सिद्ध दिवस है। इस दिन संकल्प लेकर आरम्भ किया गया अनुष्ठान/साधना निष्फल नहीं जाती और साधक को अल्पकाल में ही परिणाम दृष्टिगोचर होने लगते हैं। आगे हनुमान प्रत्यक्ष सिद्धि साधना प्रस्तुत की जा रही है, जिसे इस दिन से अथवा किसी भी मंगलवार को आरम्भ किया जा सकता है।

          साधक स्नान आदि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण कर दक्षिणाभिमुख होकर वीरासन में बैठ जाएं। अपने सामने एक चौकी पर सिन्दूर छिड़क दें तथा उस पर हनुमानजी का चित्र स्थापित करें। अपने सामने लाल वस्त्र से ढँके बाजोट पर मन्त्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित "हनुमत यन्त्र" को किसी पात्र में स्थापित करें। यन्त्र पर सिन्दूर अच्छी तरह से लगा दें। फिर गुड़, घी, आटे से बनी हुई रोटी को मिलाकर लड्डू बनाकर उसका भोग लगावें।

         फिर दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि मैं अमुक नाम का व्यक्ति अमुक गोत्र अमुक प्रयोजन से यह अनुष्ठान आरम्भ कर रहा हूँ। भगवान हनुमान मेरी साधना को स्वीकार कर मेरा मनोरथ सिद्ध करें। और फिर जल को भूमि पर छोड़ दें।

          इसके बाद श्रीहनुमानजी का सकाम ध्यान करें। दोनों आँखें बन्द कर कुछ देर तक उनके स्वरूप का स्मरण करें तथा उनके आशीर्वाद की कामना करें। हनुमान का ध्यान मन्त्र इस प्रकार है -----

ॐ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनां अग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
मनोजवं मारुततुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानर यूथमुख्यं श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥

          ध्यान के पश्चात फिर निम्न मन्त्र का "मूँगा माला" से २१ माला मन्त्र जाप करें -----

मन्त्र :-----------

॥ ॐ नमो हनुमन्ताय आवेशय आवेशय स्वाहा ॥

OM NAMO HANUMANTAAY AAVESHAY AAVESHAY SWAAHA.

          मन्त्र जाप के बाद एक आचमनी जल छोड़कर समस्त जाप समर्पित कर दें। इसके तुरन्त बाद पूजा स्थान में वहीं भूमि पर ही सो जाएं। यह रात्रिकालीन साधना है। इस प्रकार नित्य ११ दिनों तक करें। जो नैवेद्य हनुमानजी के सामने रखा है, वह आठों प्रहर रखा रहे। अगले दिन रात्रि को वह नैवेद्य दूसरे पात्र में रख दें और नया नैवेद्य हनुमानजी को चढ़ा दें।

          यह निश्चित है कि ११ वें दिन हनुमानजी साधक को प्रत्यक्ष दर्शन देंगे और उसके प्रश्नों का उत्तर देंगे अथवा जिस निमित्त से यह प्रयोग किया गया है, वह कार्य निश्चय ही सम्पन्न होगा।

          जब यह प्रयोग पूरा हो जाए तो वह एकत्र किया हुआ नैवेद्य या तो किसी गरीब व्यक्ति को दे दें अथवा दक्षिण दिशा में घर के बाहर भूमि खोदकर उसे गाड़ दें।

          इसी प्रयोग से साधकों ने कई बड़ी-बड़ी विपत्तियों को सरलता से टाला है, भयंकर रोगों से छुटकारा पाया है, दण्ड पाये व्यक्ति को इस प्रयोग से निदान/छुटकारा मिल सका है, वास्तव में ही यह प्रयोग अपने आप में अचूक और अद्वितीय है।

           आपकी यह साधना सफल हो और भगवान हनुमानजी आपका मनोरथ सिद्ध करें! मैं सद्गुरुदेवजी से यही प्रार्थना करता हूँ।

           इसी कामना के साथ
 
ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश॥।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Jai guru dev jai nikhileswar guru dev...