मंगलवार, 17 जुलाई 2018

तीव्र इच्छापूर्ति योगिनी प्रयोग

तीव्र इच्छापूर्ति  योगिनी प्रयोग


         गुरु पूर्णिमा महापर्व निकट ही है। यह २७ जुलाई २०१८ को आ रहा है। इसी दिवस रात्रिकाल में चन्द्रग्रहण भी है। आप सभी को गुरुपूर्णिमा महापर्व की अग्रिम रूप से बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!

         अगर तन्त्र साधना उपयुक्त समय या दिवस पर की जाए तो उसका प्रभाव स्वतः ही कई गुना बढ़ जाता है। अतः साधना क्षेत्र में विभिन्न दिनों का महत्व विस्तार पूर्वक समझाया गया है और इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि महोरात्रि (शिवरात्रि), क्रूररात्रि (होली), मोहरात्रि (जन्माष्टमी) और कालरात्रि (दीपावली) कुछ ऐसे विशेष पर्व है, जो कि साधना के क्षेत्र में अद्वितीय है, जिनका महत्व हर योगी, यति, साधक भली प्रकार से जानता एवं समझता है।

          परन्तु जहाँ हमारे शास्त्रों ने इन जैसे अनेक पर्वों को सराहा है, प्राथमिकता दी है, वहीं उन्होंने कुछ विशेष पर्वों को अति शुभ एवं साधना और तन्त्र क्षेत्र में सर्वोपरि माना है। ये पर्व हैं ---
१. सूर्यग्रहण एवं २. चन्द्रग्रहण।

          ग्रहण की महत्ता इसलिए सर्वाधिक है, क्योंकि उस समय कुछ इस प्रकार का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव पैदा होता है, जो साधना से प्राप्त होने वाले फल को कई गुना बढ़ा देता है। ग्रहण काल के दौरान किए गए मन्त्र जप सामान्य रूप से किए गए लाख जपों के के बराबर होते हैं। उस दिन दी गई एक आहुति भी हज़ार आहुतियों के समान फल देती है।

          इस बार चन्द्रग्रहण २७/२८ जुलाई २०१८ को है और चूँकि ज्योतिष के अनुसार चन्द्र एवं सूर्य मुख्य ग्रह है। अतः इस काल का मानव जीवन के साथ-साथ समस्त संसार पर भी निश्चित प्रभाव पड़ता है।

          एक साधक के लिए काल ज्ञान अत्यधिक आवश्यक है। क्योंकि सिद्ध योगों में उर्जा का प्रवाह अत्यधिक वेगवान होता है, विशेष काल में विशेष देवी-देवता अपने पूर्ण रूप में जागृत होते हैं तथा ब्रह्माण्ड में शक्ति का संचार स्वतः बढ़ जाता है। साधकों के लिए इन विशेष काल में साधना करने से साधना में सफलता की सम्भावना अत्यधिक बढ़ जाती है।

          इस दिशा में ग्रहण का समय अपने आप में साधकों के लिए महत्वपूर्ण है। इस काल में साधक किसी भी मन्त्र का जाप करे तो उस मन्त्र और प्रक्रिया से सम्बन्धित योग्य परिणाम प्राप्त करना सहज हो जाता है। यूँ तो इस काल में कोई भी साधना या मन्त्र जाप किया जा सकता है, लेकिन कुछ विशेष शाबर साधनाएँ ग्रहण काल के लिए ही निहित है, जिसे मात्र और मात्र ग्रहण के समय ही किया जाता है। इसी क्रम में ऐसे कई दुर्लभ विधान हैं, जो कि साधक को सफलता के द्वार तक लेकर जाता है।

          वस्तुतः हमारा जीवन इच्छाओं के आधीन है और अगर मनुष्य की इच्छाएँ ही ना रहे तो फिर जीवन ही ना रहे। क्योंकि इच्छा मुख्य त्रिशक्तियों में से एक है, "क्रियाज्ञानइच्छा च शक्तिः"। अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना किसी भी रूप में अनुचित नहीं है। तन्त्र तो श्रृंगार की प्रक्रिया है, जो नहीं प्राप्त किया है उसे प्राप्त करना और जो प्राप्त हुआ है उसे और भी निखारना। यूँ भी तन्त्र दमन का समर्थन नहीं करता। अपनी योग्य इच्छाओं की साधक पूर्ति करे और अपने आपको पूर्णता के पथ पर आगे बढ़ने के लिए कदम भरता जाए। ग्रहण काल से सम्बन्धित कई दुर्लभ विधानों में इच्छापूर्ति के लिए भी विधान है। अगर इन विधानों को साधक विधिवत पूर्ण कर ले, तब साधक के लिए निश्चित रूप से सफलता मिलती ही है। ऐसे ही विधानों में से एक विधान है "तीव्र योगिनी इच्छापूर्ति प्रयोग"। जो कि आप सब के मध्य इस ग्रहणकाल को ध्यान में रखते हुए रख रहा हूँ।

साधना विधान :------------

          इस साधना के लिए साधक को अपने आसन की ज़मीन को गाय के गोबर से लीप दे और उस पर आसन लगा कर बैठ जाए। अगर साधक के लिए यह सम्भव नहीं हो तो वह भूमि पर बैठ जाए। यह साधना निर्वस्त्र होकर ही करे, अगर यह सम्भव नहीं है तो सफ़ेद वस्त्रों को धारण करे। साधना कक्ष में और कोई व्यक्ति ना हो तो उत्तम है। साधक अपने सामने तेल का एक बड़ा दीपक लगाए और ६४ योगिनी को मन ही मन प्रणाम करते हुए मिठाई का भोग लगाए। फिर अपनी इच्छा को साफ-साफ ३ बार दुहराए तथा योगोनियों से उसकी पूर्ति के लिए प्रार्थना करे। इसके बाद साधक निम्न मन्त्र का जाप प्रारम्भ कर दे।

साबर मन्त्र :-----------

।। ॐ जोगिनी जोगिनी आवो
    आवो कल्याण धारो इच्छा पूरो
    आण दुर्गा की
    गोरखनाथ गुरु को आदेश आदेश आदेश ।।

OM JOGINI JOGINI AAVO
AAvO KALYAAN DHAARO ICHCHHA POORO
AAN DURGA KI
GORAKHNAATH GURU KO AADESH AADESH AADESH.

          इसमें किसी भी प्रकार की माला की ज़रूरत नहीं है, फिर भी अगर साधक चाहे तो रुद्राक्ष की माला उपयोग कर सकता है। साधक को यह प्रक्रिया ग्रहण काल शुरू होने से एक घण्टे पहले ही शुरू कर देनी चाहिए तथा जितना भी सम्भव हो जाप करना चाहिए। यूँ उत्तम तो यही रहता है कि साधक ग्रहण समाप्त हो जाने के बाद भी एक घण्टे तक जाप करता रहे।

          मन्त्र जाप की समाप्ति पर मिठाई का भोग स्वयं ग्रहण करे तथा स्नान करे। साधक की इच्छा शीघ्र ही निश्चित रूप से पूरी होती है।

          आपकी साधना सफल हो और आपकी मनोकामना पूरी हो! मैं पूज्यपाद सद्गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

          इसी कामना के साथ 

ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश ।।।


1 टिप्पणी:

Neha dhanwani ने कहा…

Grahan kaal shuru hone se lekar grahan kaal ant hone tak sadhana karni hai kya