सोमवार, 11 सितंबर 2017

नवरात्रि और लघु साधना प्रयोग

नवरात्रि और लघु साधना प्रयोग


          शारदीय नवरात्रि पर्व निकट ही है। यह नवरात्रि पर्व २१ सितम्बर २०१७ से आरम्भ हो रहा है और इसका समापन २१ सितम्बर २०१७ को हो रहा है। ३० सितम्बर २०१७ को विजय दशमी अर्थात् दशहरा पर्व आ रहा है। आप सभी को शारदीय नवरात्रि पर्व एवं दशहरा पर्व की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!

          हिन्दू धर्म के अन्तर्गत दुर्गापूजा के रूप में नवरात्रि पर्व साल में दो बार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दिनों में नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में भक्तगण दुर्गा माँ के नौ रूपों की पूजा पूरी श्रद्धा से करते हैं। नवरात्रों के इन पर्वों को देशभर में पूरे उत्‍साह के साथ मनाया जाता है।

          देश के कुछ हिस्‍सों में महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती, महाकाली और दुर्गा के नौ स्वरुपों की अलग-अलग अन्दाज में पूजा की जाती है। दुर्गा माता के इन उत्‍सवों को विशेष तौर पर रात में मनाने की परम्परा है। ऋषि-मुनियों ने नवरात्र को दो भागों में विभाजित किया है। पहला, विक्रम संवत के पहले दिन यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से नवमी तिथि तक वासन्तीय नवरात्र और दूसरा, छः महीने बाद आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि से नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र। आश्विन मास में मनाए जाने वाले नवरात्रों में दसवें दिन विजयदशमी यानी दशहरा त्‍यौहार के रूप में मनाया जाता है।

          आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से मनाए जाने वाले पर्व नवरात्र में दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा बेहद धूमधाम से होती है। शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा की शुरूआत की थी। लगातार नौ दिन की पूजा के बाद भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से पूजा समाप्‍त कर आगे प्रस्‍थान किया था और भगवान राम को लंका पर विजय प्राप्ति भी हुई थी।

          इसी कारण शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा माँ की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। हर साल दसवें दिन तब से ही दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि धर्म की अधर्म पर जीत, सत्‍य की असत्‍य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं।

          नवरात्रि पर्व के इस पावन अवसर पर साधक भाई-बहन तो साधना सम्पन्न करते ही हैं, परन्तु कई गुरुभाई-बहन ऐसे भी हैं, जो अपनी व्यस्तता के कारण साधना नहीं कर पाते हैं अथवा जिनके पास समय ही नहीं है अथवा अन्य कोई कारण हो, जिससे वे साधना करने में असमर्थ हैं, उनके लिए प्रस्तुत है लघु साधना प्रयोग।

          ये प्रयोग दिखने में साधारण है, परन्तु पूर्ण प्रभावशाली है, सिर्फ इनमें आपका विश्वास अटूट होना चाहिये। क्यूँकि ये सभी प्रयोग माँ जगदम्बा के हैं, जो इस संसार की जगत-जननी है।

          (१) नवरात्रि के प्रथम दिन साधक अपनी तीन मनोकामनाएँ बोलकर एक लाल वस्त्र में तीन लौंग बाँध दें और माँ भगवती जगदम्बा के चरणों मे समर्पित कर दें। फिर निम्न मन्त्र का १०-१५ मिनिट तक जाप करें -----

         ।। ॐ ह्रीं कामना सिद्ध्यर्थे स्वाहा ।।

OM HREEM KAAMANA SIDDHYARTHE SWAAHAA.

          दूसरे दिन सुबह पवित्र होकर लाल वस्त्र में देखे कि कितनी लौंग बची हुई है? अगर सारी लौंग गायब हो जाए तो समझ लीजिए कि आपकी तीनों कामनाएँ पूर्ण होगी। इस क्रिया का समय है शाम ०४:३० से रात्रि ०९:०० बजे तक।

          (२) नवरात्रि के द्वितीय दिवस साधक एक स्टील की प्लेट में कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और उस प्लेट में अनार का शुद्ध रस भर दें। वह प्लेट माँ भगवती दुर्गा के चरणों में अर्पित कर दें और साथ में आरोग्य प्राप्ति की कामना करें। आप चाहे तो किसी दूसरे व्यक्ति विशेष के लिए भी कर सकते हैं।

     इस प्रयोग में अनार के रस को देखते हुए निम्न मन्त्र का ३० मिनिट तक जाप करना है -----

          ।। ॐ ह्रीं आरोग्यवर्धिनी ह्रीं ॐ नम: ।।

OM HREEM AAROGYAVARDHINI HREEM OM NAMAH.

          दूसरे दिन आप स्नान करें और फिर अनार के रस से स्नान करें। तत्पश्चात जल से फिर एक बार शुद्धोदक स्नान करें।

          किसी और के लिए कर रहे हों तो उसको स्नान करवाएं। यह सब सम्भव ना हो तो अनार के रस को पीपल के वृक्ष की जड़ में चढ़ा दीजिए। इस प्रयोग का समय होगा रात्रि को ९:०० से १०:३० बजे तक।

           (३) नवरात्रि के तृतीय दिवस साधक ७ काली मिर्च के दाने लें। उसे सिर से लेकर पैरों तक ७ बार उतारें और काले वस्त्र में बाँधकर माँ भगवती के चरणों में समर्पित कर दें। फिर निम्न मन्त्र का ३६ मिनिट तक जाप करें -----

          ।। ॐ क्रीं सर्व दोष निवारण कुरु कुरु क्रीं फट् ।।

OM KREEM SARVA DOSH NIVAARANN KURU KURU KREEM PHAT.

          इस प्रयोग से तन्त्र बाधा समाप्त होती है। प्रयोग के बाद दूसरे दिन सुबह काले वस्त्र की पोटली को जल में प्रवाहित कर दें। साधना का समय रात्रि में ०९ बजे से ०१:३० तक रहेगा।

           (४) नवरात्रि के चौथे दिन साधक लाल वस्त्र में कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और स्वस्तिक पर ९ कमलगट्टे स्थापित करें, उनका पूजन करें। तदुपरान्त निम्न मन्त्र का २७ मिनिट तक जाप करें -----

                 ।। ॐ श्रीं प्रसीद प्रसीद श्रीं श्रियै नमः ।।

OM SHREEM PRASEED PRASEED SHREEM SHRIYEI NAMAH.

          इस साधना के लिए समय होगा शाम ६.०० से रात्रि १०.३० बजे तक।

          साधना से पूर्व एवं दूसरे दिन माँ भगवती दुर्गा से प्रार्थना करे कि मेरा जीवन आपकी कृपा से धन-धान्य-सुख-सौभाग्य युक्त हो और दूसरे दिन वस्त्र सहित कमलगट्टे जल में प्रवाहित कर दें।

          (५) नवरात्रि के पाँचवें दिन साधक पाँच हरी इलायची माँ भगवती जगदम्बा के चरणों में समर्पित करें और व्यवसाय वृद्धि की कामना करें। फिर साधक श्रीसूक्त का ५ बार पाठ करें -----

।। श्री सूक्त ।।

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।१।।
ताम्म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरूषानहम्।।२।।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्ति-नाद-प्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम्।।३।।
कां सोऽस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्।।४।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे।।५।।
आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः।।६।।
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिं वृद्धिं ददातु मे।।७।।
क्षुत्पिपासाऽमलां ज्येष्ठां अलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिं असमृद्धिं च सर्वान् निर्णुद मे गृहात्।।८।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्।।९।।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः।।१०।।
कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्।।११।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले।।१२।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगला पद्ममालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।१३।।
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।१४।।
ताम्म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरूषानहम्।।१५।।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत्।।१६।।

          दूसरे दिन इलायची को किसी डिबिया में सँभाल कर रख दें। शीघ्र ही व्यवसाय में वृद्धि एवं लाभ की प्राप्ति होती है। साधना समय रहेगा दोपहर १.३० से शाम ७:३० बजे तक।

          (६) नवरात्रि के छठें दिन साधक पाँच केले माँ भगवती जगदम्बा के चरणों में समर्पित करें और माँ से गुरुकृपा प्राप्ति की कामना करें। फिर साधक निम्न मन्त्र का ४५ मिनिट तक जाप करें -----

          ।। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीं शक्ति सिद्धये नमः ।।

OM AYIEM HREEM SHREEM SHREEM SHAKTI SIDDHAYE NAMAH.

          साधना का समय रात्रि १०:३० से ३:०० बजे तक रहेगा। दूसरे दिन केले छोटे बालकों में बाँट दें।

          (७) नवरात्रि सातवें दिन साधक १०८ हरी चूड़ियाँ माँ भगवती जगदम्बा के चरणों में समर्पित करें और माँ से बल, बुद्धि, विद्या एवं सुख प्राप्ति की कामना करें। फिर साधक निम्न मन्त्र का ३२४ बार उच्चारण करें -----

    ।। ॐ नमो भगवती जगदम्बा सर्वकामना सिद्धि कुरु कुरु ॐ फट् ।।

OM NAMO BHAGVATI JAGDAMBA SARVKAAMNA SIDDHI KURU KURU OM PHAT.
      
    दूसरे दिन १२-१२ चूड़ियाँ ९ कन्याओं में बाँट दें। इस साधना का समय होगा रात्रि ७:३० बजे से १२.०० बजे तक।

          (८) नवरात्रि के आठवें दिन साधक सुबह ६:०० से ७.४८ के शुभ समय पर १०९ लौंग की माला बनाएं, जिसमें १ लौंग सुमेरु होगा फिर इसी माला से साधक निम्न विशेष अंक मन्त्र का १ माला जाप करें -----

                 ।। ॐ ७ ४ १ ५ २ ३ ६ ॐ दुं दुर्गायै नमः।।

OM SAAT CHAAR EK PAANCH DO TEEN CHHEH OM DUM DURGAAYEI NAMAH.

          इस मन्त्र का उच्चारण होगा --- ॐ सात चार एक पाँच दो तीन छ: ॐ दुं दुर्गायै नमः।

          मन्त्र जाप के बाद माला को किसी दुर्गा जी के मन्दिर जाकर शेर के गले में पहना दें और अपनी विशेष कामना शेर के कान में बोल दें या फिर आप माला को जहाँ कहीं दुर्गाजी के विग्रह की स्थापना हूई हो, वहाँ भी यह कार्य कर सकते हैं। माला पहनाने का समय होगा सुबह १०:३० से दोपहर ३:०० बजे तक।

          (९) नवरात्रि की नवमी तिथि को ९ कुँवारी कन्या का पूजन करें और उन्हें उपहार स्वरूप काजल की डिब्बिया अवश्य दें तथा ज्यादा से ज्यादा निम्न त्रिशक्ति मन्त्र का जाप करें -----

        ।। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ॐ नमः।।

OM AYIEM HREEM SHREEM OM NAMAH.

          कुँवारी कन्या पूजन का समय होगा, सुबह ६:०० से रात्रि १०:३० बजे तक।

          (१०) दशहरा (विजया दशमी) दिवस विजय प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ दिवस है। ज्यादा से ज्यादा गुरुमन्त्र का जाप करें एवं निम्न मन्त्र का जाप करें -----

     ।। ॐ रां रामाय नमः।।

OM RAAM RAAMAAY NAMAH.

          अवश्य ही आपको जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण विजय प्राप्ति होगी। साधना का समय दोपहर १२:०० से शाम ४:३० बजे तक रहेगा।

         नवरात्रि पर्व एवं दशहरा पर्व आपके लिए मंगलमय हो। माँ भगवती आप पर कृपालु हों और उनका वरदहस्त आपको प्राप्त हो। मैं सद्गुरुदेव भगवान श्रीनिखिलेश्वरानन्दजी से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।

       इसी कामना के साथ


ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।

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