शनि जयन्ती समीप ही है। शनि जयन्ती इस बार २५ मई २०१७ को आ
रही है। इस अवसर का सदुपयोग करके शनि की साढ़े साती, अढ़ैया अथवा जन्म कुण्डली में शनि ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण होने
वाली पीड़ाओं, बाधाओं और कुप्रभावों को दूर किया जा
सकता है।
ज्योतिषशास्त्र में शनि ग्रह का विशेष
स्थान है। शास्त्रों में शनि को सन्तुलन व न्याय का ग्रह माना गया है। कई
ज्योतिषविदों ने शनि को क्रोधी ग्रह भी माना है और यदि किसी व्यक्ति से कुपित हो
जाएं तो व्यक्ति के हँसते-खेलते संसार को बर्बाद भी कर देता है।
इस संसार में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं
है, जो शनि के प्रभाव से अछूता हो। शनिदेव
का नाम सुनते ही व्यक्ति में भय उत्पन्न हो जाता है। शनि के प्रति सभी का डर सदैव
बना रहता है। शनि के कारण जीवन की दिशा, सुख, दुःख आदि सभी बातें निर्धारित होती है।
वास्तविकता में शनि कुकर्मियों को
पीड़ित करता है तथा सुकर्मियों व कर्मठ लोगों का भाग्योदय करता है। यदि किसी
व्यक्ति के कर्म अच्छे नहीं हैं तो शनि भाग्य हरकर पापियों को कंगाल बना देता है, परन्तु किसी भी व्यक्ति पर अपना असर
डालने पर शनि व्यक्ति को कुछ संकेत देता है। यह संकेत एक प्रकार की चेतवानी होती
है कि व्यक्ति अपने कर्म सुधारे और जीवन के मार्ग पर कर्म व धर्म अपनाकर दुष्कर्म
व अधर्म का परित्याग करे।
शनि व्यक्ति के जीवन में अनेक
परेशानियाँ लाकर निम्नलिखित बदलाव लाता है -----
१.
शनि प्रभावित व्यक्ति के घर की दीवारों में अकस्मात दरारें आना शुरू हो जाती हैं।
नियमित सफ़ाई के बावजूद घर की दीवारों पर मकड़ियाँ अपने जाले बनाना शुरू कर देती
हैं।
२.
शनि प्रभावित व्यक्ति के घर पर बने नमकीन पदार्थों में भी चींटियाँ आ जाती हैं तथा
पूरी सफ़ाई के बावजूद भी चींटियाँ घर से पलायन नहीं करती हैं। इसे खाना खरण होना
कहते हैं।
३.
शनि प्रभावित व्यक्ति के घर पर काली बिल्लियाँ डेरा डाल लेती हैं तथा वहीं बिल्ली
अपने बच्चों को जन्म भी देती हैं। अक्सर दो बिल्लियाँ मिलकर एक दूसरे से लड़ती हुई
भी पाई जाती हैं।
४.
शनि प्रभावित व्यक्ति के स्वभाव और विचारों में भी बदलाव आता है। व्यक्ति में काम
भावना बढ़ जाती है। मन और भावनाओं पर नियन्त्रण नहीं रहता। व्यक्ति के अनैतिक
सम्बन्ध भी बन जाते हैं।
५.
शनि प्रभावित व्यक्ति की सूझबूझ खो जाती है। व्यक्ति अर्जित किया हुआ धन व कीमती
समय लम्बी दूरी की यात्राओं में लगा देता है। व्यक्ति को अकारण ही लम्बी दूरी की
असफल यात्राएँ करनी पड़ती हैं।
६.
शनि प्रभावित व्यक्ति का झूठ बोलना बढ़ जाता है। व्यक्ति आकारण झूठ बोलना शुरू करा
देता है। उसके आचरण और विचारों में झूठ का वास हो जाता है। व्यक्ति को लगता ही
नहीं है कि वह झूठ बोल रहा है।
७.
शनि प्रभावित व्यक्ति अत्यधिक सुस्त हो जाता है। व्यक्ति गन्दगी पसन्द करता है तथा
खुद को साफ़-सुथरा नहीं रख पाता। नित्य स्नान का त्याग करता है, व्यक्ति बाल और नाखून काटने से परहेज
करता है।
८.
व्यक्ति के खानपान की पसन्द में अकस्मात बदलाव आ जाता है। व्यक्ति माँसाहार भक्षण
में अत्यधिक रुचि लेता है। मदिरा के सेवन में भी व्यक्ति की रुचि बढ़ती है तथा बासी
व तला हुआ खाना पसन्द करता है।
९.
शनि प्रभावित व्यक्ति को प्रॉपर्टी के विवादों का सामना करना पड़ता है।
सगे-सम्बन्धियों से पैतृक सम्पत्ति को लेकर मतभेद बढ़ता है। घर की कोई दीवार गिर
सकती है। गृह निर्माण में धन खर्च करना पड़ता है।
१०.
शनि व्यक्ति की टाँगों पर का बुरा प्रभाव शुरु करता है तो इस समय व्यक्ति के
घुटनों में जकड़न शुरू हो जाती है तथा व्यक्ति के चमड़े से बने हुए जूते या चप्पल
खोने लगते हैं या जल्दी-जल्दी टूटने लगते हैं।
११.
शनि प्रभावित व्यक्ति को कर्मक्षेत्र में परेशानी आती है। व्यक्ति को पदोन्नति
नहीं मिल पाती है। अधिकारियों से सम्बन्ध बिगड़ने लगते हैं व नौकरी छूट जाती है।
व्यक्ति का अनचाही जगह पर तबादला होता है।
१२.
शनि सर्वदा व्यक्ति के पेट और पीठ पर अपना वार करता है। व्यक्ति के कार्यक्षेत्र
में समस्याएँ आती हैं, उसका कामकाज ठप्प पड़ जाता है। व्यक्ति
का चलता हुआ कारोबार बन्द हो जाता है। व्यवसाय में कानूनी दाँवपेंच आ जाते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को न्यायालय के
चक्कर काटने पड़ते हैं।
१३.
शनि प्रभावित व्यक्ति के यहाँ इन्कम टैक्स औरे सेल टैक्स आदि के छापे भी पड़ते हैं।
व्यक्ति के जीवनसाथी के चरित्र का हनन भी होता है।
१४.
शनि प्रभावित व्यक्ति का लाइफ पार्टनर दूसरे लोगों से शारीरिक रूप से अनैतिक
सम्बन्ध बनाता है। शनि प्रभावित व्यक्ति के भाई-बहन उससे गद्दारी करते हैं तथा
पैसे में ठगी भी करते हैं। शनि प्रभावित व्यक्ति के दोस्त और रिश्तेदार भी व्यक्ति
का जीवन खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
शनि शान्ति के उपाय
१.
सुबह और शाम को पूजा करते समय महामृत्युंजय मन्त्र अथवा "ॐ नमः शिवाय"
इस मन्त्र के जाप से शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
२.
घर के किसी अँधेरे कोने में एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें ताँबे
का सिक्का डालकर कोने वाली जगह पर रखें।
३.
अगर शनिदेव की आप के जीवन में अशुभ दशा चल रही हो तो माँस-मदिरा जैसी तामसी चीज़ों
सेवन न करें।
४.
जब भी घर में खाना बने तो उसमें दोनों समय खाने में काला नमक और काली मिर्च को
उपयोग में लाएं।
५.
शनिवार के दिन बन्दरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले
कुत्ते को खाने को दें। इससे जीवन में खुशियाँ आएंगी।
६.
शनिवार के दिन अपने हाथ के नाप का काला धागा लेकर उसको माँझकर माला की तरह गले में
पहनें।
७.
आठ शनिवार तक यह प्रयोग करें---शनि ढैया के शमन के लिए शुक्रवार की रात्रि में आठ
सौ ग्राम काले तिल पानी में भिगो दें और शनिवार को प्रातः उन्हें पीसकर एवं गुड़
में मिलाकर ८ लड्डू बनाएं और किसी काले घोड़े को खिला दें। इस से जीवन में शुभ दिन
की शुरुआत होती है।
८.
बरगद और पीपल पेड़ के नीचे हर शनिवार सूर्योदय से पूर्व राई तेल का दीपक जलाकर
शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप अर्पित करें।
९.
शनि के प्रकोप से बचने के लिए प्रत्येक शनिवार को काली गाय की सेवा करें और खाने
से पहले रोटी का पहला निवाला गाय को खिलाएं। सिन्दूर लेकर गाय को लगाएं और पूजा
करें।
१०.
हनुमान चालीसा, भैरव चालीसा अथवा शनि चालीसा का पाठ
करें एवं पीपल की सात परिक्रमा करें। यदि शनि की साढ़ेसाती से ग्रस्त हैं और
शनिवार को अँधेरा होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित कर सरसों के तेल का दीपक और
अगरबत्ती जलाएं।
इन दस नियमों का पालन करके आप एक बार
जरूर देखें। शनिदेव कैसे आपके सारे कष्ट पलक झपकते ही दूर कर देंगे।
लाल किताब के अनुसार शनि-शान्ति के उपाय
१.
लग्न स्थित शनि अशुभ फल देता है। ऐसे में जातक को बन्दरों की सेवा करनी चाहिए।
चीनी मिला हुआ दूध बरगद के पेड़ की जड़ में डालकर गीली मिट्टी से तिलक करना चाहिए।
झूठ नहीं बोलना चाहिए। दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि नहीं डालनी चाहिए।
२.
शनि द्वितीय भावस्थ होकर अशुभ फल देता हो तो जातक को अपने माथे पर दूध या दही का
तिलक लगाना चाहिए और साँपों को दूध पिलाना चाहिए।
३.
शनि तीसरे भाव में हो तो जातक को माँस, मदिरा
आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में जातक को तिल, नीम्बू एवं केले का दान करना चाहिए। घर में काला कुत्ता पालें एवं
उसकी सेवा करें।
४.
शनि चतुर्थ भावस्थ होकर अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को कुए में दूध डालना चाहिए।
बहते हुए पानी में शराब डालनी चाहिए, हरे
रंग की वस्तुओं से परहेज नहीं रखना चाहिए। मजदूरों की सहायता करें व भैंस एवं कौओं
को भोजन दें। जातक को अपने नाम पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए।
५.
पंचम भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने पास सोना एवं केसर रखना
चाहिए। जातक को ४८ साल से पहले अपने लिए मकान नहीं बनाना चाहिए। साथ ही नाक व
दाँतों को साफ रखना चाहिए। लोहे का छल्ला पहनने से व साबुत हरी मूँग मन्दिर में
दान करने से शनि की पीड़ा कम होगी।
६.
षष्ठम् भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को चमड़े एवं लोहे की वस्तुएँ खरीदनी
चाहिए। इस भाव में जातक को ३९ साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना चाहिए।
७.
सप्तम् भाव में स्थित शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को शहद से भरा हुआ बर्तन कहीं
सुनसान जगह में दबाना चाहिए। बाँसुरी में चीनी भरकर कहीं सुनसान जगह में दबाएं। इस
भाव में शनि हो तो जातक को बना-बनाया मकान खरीदना चाहिए।
८.
अष्टम् भाव में स्थित शनि अशुभ हो तो जातक को अपने पास चाँदी का टुकड़ा रखना चाहिए।
साँपों को दूध पिलाना चाहिए व जीवन में कभी भवन का निर्माण नहीं कराना चाहिए।
९.
नवम् भावस्थ शनि अशुभ फल दे रहा हो तो छत पर कबाड़, लकड़ी आदि नहीं रखनी चाहिए, जो
बरसात आने पर भीगती हो। चाँदी के चौरस टुकड़े पर हल्दी का तिलक लगाकर उसे अपने पास
रखना चाहिए। पीपल के पेड़ को जल देने के साथ-साथ गुरुवार का व्रत भी करना चाहिए।
अगर इस भाव में शनि हो और जातक की पत्नी गर्भवती हो तो भूलकर भी मकान न बनवाएं।
बच्चा होने के बाद बनवा सकते हैं।
१०.
दशम् भाव में शनि हो तो माँस, मदिरा
आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। चने की दाल तथा केले मन्दिर में चढ़ाने चाहिए।
११.
एकादश भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को घर में चाँदी की ईंट रखनी चाहिए।
उसे माँस, मदिरा आदि सेवन नहीं करना चाहिए एवं
दक्षिणामुखी मकान में वास नहीं करना चाहिए।५५ साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना
शुभ रहेगा।
१२.
बारहवें भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। माँस, मदिरा, अण्डे का सेवन नहीं करना चाहिए।
लाल किताब की इन बातों पर अमल कर शनि
से प्राप्त परेशानियों को हम समाप्त कर सकते हैं।
मैं सद्गुरुदेव भगवान श्री निखिलेश्वरानन्दजी
से आप सबके लिए कल्याण कामना करता हूँ।
इसी कामना के साथ
ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश आदेश आदेश।।
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