नवग्रह दोष निवारण
पीताम्बरा साधना
चैत्र नवरात्रि पर्व निकट ही है। इस वर्ष यह नवरात्रि २८ मार्च २०१७ दिन मंगलवार से शुरु हो रही है। आप सभी को नवरात्रि पर्व की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ!
माता बगलामुखी को ही पीताम्बरा कहा जाता है। भगवती पीताम्बरा इस
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को चलाने वाली शक्ति हैं। नवग्रहों को भगवती के द्वारा ही
विभिन्न कार्य सौंपे गये हैं, जिनका वो पालन करते हैं।
नवग्रह स्वयं भगवती की सेवा में सदैव उपस्थित रहते हैं। जब साधक भगवती की उपासना
करता है तो उसे नवग्रहों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि साधक को उसके
कर्मानुसार कहीं पर दण्ड भी मिलना होता है तो वह दण्ड भी भगवती की कृपा से न्यून
हो जाता है एवं माँ पीताम्बरा अपने प्रिय भक्त को इतना साहस प्रदान करती हैं
कि वह दण्ड साधक को प्रभावित नहीं कर पाता। इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कोई भी
इतना शक्तिवान नहीं है, जो माँ पीताम्बरा के
भक्तों का एक बाल भी बाँका कर सके। कहने का तात्पर्य यह है कि कारण चाहे कुछ भी हो, भगवती बगलामुखी की उपासना आपको किसी भी प्रकार की समस्या से मुक्त
करा सकती है।
भगवती बगलामुखी को स्तम्भन की देवी कहा गया है। स्तम्भनकारिणी शक्ति
नाम रूप से व्यक्त एवं अव्यक्त सभी पदार्थो की स्थिति का आधार पृथ्वी के रूप में
शक्ति ही है और बगलामुखी उसी स्तम्भन शक्ति की अधिस्ठात्री देवी हैं। इसी स्तम्भन
शक्ति से ही सूर्यमण्डल स्थित है, सभी लोक इसी शक्ति के
प्रभाव से ही स्तम्भित है।
इस साधना का प्रभाव तुरन्त ही साधक के जीवन में देखने को मिलता है।
इस साधना की यह विशेषता है कि माँ पीताम्बरा नक्षत्र स्तम्भिनी भी कही जाती
है और जब नक्षत्र स्तम्भिनी से हम प्रार्थना करते हैं तो हमारे सभी प्रकार के
कार्य सहज ही सम्पन्न हो जाते हैं। अभी तक आपने पीताम्बरा जी की कई साधनाएँ
सम्पन्न की होगी, परन्तु यह साधना आज के युग
में अत्यन्त आवश्यक साधना मानी गई है। इस साधना से जहाँ नवग्रह देवता के दोष
कम होते हैं, वैसे ही उनकी प्रचण्ड कृपा
भी प्राप्त होती है और जीवन में कई प्रकार के लाभ होते हैं। इसी साधना से
भाग्योदय भी सम्भव है। इसी साधना से कालसर्प-दोष, नक्षत्र-दोष, पितृ- दोष, कुण्डली में जितने भी दोष हों, उन सभी की
समाप्ति निश्चित ही हो जाती है।
साधना विधान :———
यह साधना किसी भी नवरात्रि में की जाने वाली साधना है। किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार या शनिवार या बगलामुखी जयन्ती से भी यह साधना आरम्भ कर सकते हैं। साधना का समय रात्रिकालीन होगा, रात्रि ९ बजे के बाद साधना की जाए तो अधिक उचित रहेगा। सर्वप्रथम स्नान करके अपने साधना कक्ष में पीले वस्त्र पहिनकर पीले ही आसन पर बैठ जाएं। दिशा उत्तर या पश्चिम ही उत्तम रहेगी। अपने सामने बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर माँ भगवती पीताम्बरा और पूज्य सद्गुरुदेवजी का सुन्दर चित्र स्थापित करें। साथ ही साधक गणेश और भैरव की मूर्ति अथवा दो सुपारी मौलि बाँधकर क्रमशः अक्षत और काले तिल की ढेरी पर स्थापित कर दे।
साधना से पूर्व साधक संक्षिप्त गुरुपूजन करें और फिर गुरुमन्त्र की कम से कम चार माला जाप करें। इसके बाद साधक सद्गुरुदेवजी से पीताम्बरा साधना करने की अनुमति लें और साधना की सफलता के लिए प्रार्थना करें।
फिर साधक संक्षिप्त गणेशपूजन
करे और निम्न गणेशमन्त्र की एक माला जाप करे ———
।। ॐ वक्रतुण्डाय
हुम् ।।
इसके बाद साधक साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए भगवान गणपतिजी से प्रार्थना करें।
फिर साधक संक्षिप्त भैरव पूजन सम्पन्न करे और निम्न भैरव मन्त्र की एक
माला जाप करें ---
।। ॐ हौं जूं सः मृत्युंजय
भैरवाय नमः।।
इसके बाद साधक साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए भगवान मृत्युंजय भैरवजी से प्रार्थना करें।
इसके बाद साधना के प्रथम दिवस पर साधक को संकल्प
अवश्य लेना चाहिए।
संकल्प लेने के बाद किसी स्टील या ताँबे की प्लेट में हल्दी से "ह्लीं" बीज का अंकन करें। इस "ह्लीं" बीज अंकन के ऊपर पीली सरसों की एक ढेरी बनाकर उस पर एक सुपारी, जिसे पहले से ही पीली हल्दी से रँग दिया गया हो, को स्थापित कर दें। इस सुपारी पर हल्दी से रँगा हुआ पीला धागा लपेटकर ही स्थापित करना चाहिए।
इसके बाद माँ पीताम्बरा बगलामुखी का हाथ जोड़कर निम्न श्लोकों
का उच्चारण करते हुए ध्यान करें —
ॐ
सौवर्णासन संस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लासिनीं, हेमाभांगरुचिं
शशांकमुकुटां सच्चम्पकस्त्रग्युताम्। हस्तैर्मुद्गरपाश वज्ररसनां सम्बिभ्रतिं भूषणैः,
व्याप्तांगीं बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तयेत्।।
इस प्रकार ध्यान करके भगवती पीताम्बरा बगलामुखी का मानसिक पूजन
सम्पन्न करें —
मानसिक पीताम्बरा पूजन :———
ॐ लं पृथ्वी तत्वात्मकं गन्धं श्रीबगलामुखीश्रीपादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि। (अँगूठे से कनिष्ठिका के अधोभाग को स्पर्श करें)
ॐ हं आकाश तत्वात्मकं पुष्पं श्रीबगलामुखीश्रीपादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि। (तर्जनी से अँगूठे के अधोभाग
को स्पर्श करें)
ॐ यं वायु तत्वात्मकं धूपं श्रीबगलामुखीश्रीपादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि। (अँगूठे से तर्जनी के अधोभाग
को स्पर्श करें)
ॐ रं
अग्नि तत्वात्मकं दीपं श्रीबगलामुखीश्रीपादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि। (अँगूठे से मध्यमा के अधोभाग
को स्पर्श करें)
ॐ वं जल
तत्वात्मकं नैवेद्यं श्रीबगलामुखीश्रीपादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि। (अँगूठे से अनामिका के
अधोभाग को स्पर्श करें)
ॐ शं
सर्व तत्वात्मकं ताम्बूलं श्रीबगलामुखीश्रीपादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि। (दोनों हाथों के करतलकर पृष्ठों को एक-दूसरे से स्पर्श करें)
पीताम्बरा मानस पूजन के पश्चात निम्न मन्त्र का सिद्ध हल्दी
माला अथवा पीली हकीक माला से जाप करें —
मूल मन्त्र :———
॥ ॐ नमो भगवते मंगल शनि राहू केतु चतुर्भुजे पीताम्बरे अघोर रात्रि कालरात्रि मनुष्याणां सर्व मंगल तेजस राहवे शान्तये शान्तये केतवे क्रूर कर्मे दुर्भिक्षता विनाशाय फट् स्वाहा ॥
OM NAMO
BHAGWATE MANGAL SHANI
RAAHU KETU CHATURBHUJE
PEETAAMBARE AGHOR RAATRI
KAAL RAATRI MANUSHYAANAAM
SARVA MANGAL TEJAS
RAAHAVE SHAANTAYE SHAANTAYE
KETAVE KROOR KARME
DURBHIKSHATA VINAASHAAY PHAT
SWAAHA.
इस साधना में आपको
प्रतिदिन ७ माला का जाप करना है। फिर साधक पुनः एक माला मृत्युंजय भैरव मन्त्र की जाप करें ---।। ॐ हौं जूं सः मृत्युंजय भैरवाय नमः।।
ऐसा आप सतत् ९ दिन तक करें और दशमी के दिन या दसवें दिन पीली सरसों से ६८१ आहुतियाँ अग्नि में समर्पित करें। तत्पश्चात हो सके तो किसी शिव मन्दिर जाकर किसी गरीब भूखे व्यक्ति को अन्नदान करके सन्तुष्ट करें। बगलामुखी माला एवं पीली सुपारी को जल में विसर्जित कर दें।
माँ
भगवती जगदम्बा आप और आपके परिवार का कल्याण करे! साथ ही आपकी साधना सफल हो और आपको माँ भगवती
पीताम्बरा का वरदहस्त प्राप्त हो! मैं सदगुरुदेवजी से
ऐसी ही प्रार्थना करता हूँ।
इसी कामना के साथ
ॐ नमो आदेश निखिल को आदेश
आदेश आदेश॥
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